Saturday, February 4, 2017

इंदिरा गांधी की सरकार के दौरान सोवियत संघ ने कांग्रेस को पहुंचाया था पैसा : सीआयए

इंदिरा गांधी की सरकार के दौरान सोवियत संघ ने कांग्रेस को पहुंचाया था पैसा : सीआयए

अमेरिका की खुफिया #एजेंसी #सीआयए के गोपनीय दस्तावेजों के सार्वजनिक होने के बाद चौंकानेवाली #जानकारियां सामने आई हैं। इन दस्तावेजों में कहा गया कि, #सोवियत संघ ने #इंदिरा गांधी सरकार के समय #कांग्रेस पार्टी और कम्युनिस्ट नेताओं को #पैसा पहुंचाया था।
इंदिरा गांधी की सरकार के दौरान सोवियत संघ ने कांग्रेस को पहुंचाया था पैसा : सीआयए


 रिपोर्ट में कहा गया है कि इंदिरा गांधी के #कार्यकाल में उनके 40 प्रतिशत सांसदों को सोवियत संघ से #राजनीतिक चंदा मिला था। 2005 में केजीबी (सोवियत रूस की जासूस एजेंसी) के लीक हुए गोपनीय #दस्तावेजों में भी कुछ ऐसी ही जानकारियां सामने आयी थी। #सीआयए की सोवियत संघ के #भारत पर प्रभाव को लेकर दिसंबर 1985 की रिपोर्ट में कहा गया कि सोवियत संघ राजनीतिक दलों और व्यक्तियों को छिपाकर रकम देने के जरिए भारतीय राजनीतिक प्रक्रिया में बड़ी भूमिका रखता है। 

रिपोर्ट के अनुसार ‘इंदिरा गांधी की पिछली #सरकार में कांग्रेस के लगभग 40 प्रतिशत सांसदों को सोवियत संघ से राजनीतिक चंदा मिला था। सोवियत संघ का दूतावास कांग्रेस के नेताओं को छिपकर रकम देने सहित कई खर्चों के लिए बड़ा रिजर्व रखता है !’

इससे पहले केजीबी के एक पूर्व जासूस वासिली मित्रोकिन की 2005 में आई एक किताब में भी इसी तरह के दावे किए गए थे। वासिली सोवियत संघ से हजारों गोपनीय दस्तावेज चुराकर #देश से बाहर ले गए थे। उनमें दावा किया गया था कि #इंदिरा गांधी को कांग्रेस पार्टी के लिए सूटकेसों में भरकर रकम भेजी गई थी और केजीबी ने 1970 के दशक में पूर्व रक्षा मंत्री वी के मेनन के अलावा चार अन्य केंद्रीय #मंत्रियों के #चुनाव प्रचार के लिए फंड दिया था।

इकनॉमिक टाइम्स की #रिपोर्ट के अनुसार, सीआयए के दस्तावेजों में आरोप लगाया गया है कि सोवियत #संघ ने भारतीय कारोबारियों के साथ समझौतों के जरिए कांग्रेस पार्टी को रिश्वत दी थी। इनमें सीपीआय और सीपीएम को भी सोवियत संघ से फंडिंग मिलने की बात कही गई है।

 रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि #सभी राजनेताओं को वित्तीय मदद नहीं दी गई। इसमें ऐसे व्यक्तियों का उल्लेख है जिन्होंने सोवियत संघ के साथ कथित तौर पर व्यवहार किए थे। इनमें इंदिरा गांधी को चुनौती देने की संभावना रखनेवाले एक राजनेता का भी नाम है !

उस समय सीआयए का आकलन था कि #केजीबी की ओर से फंड दिए जाने के कारण बहुत से नेताओं तक सोवियत संघ की पहुंच थी और इससे उसे भारतीय राजनीति को प्रभावित करने में मदद मिली थी। इससे पहले केजीबी के लीक हुए दस्तावेजों में भी भारत को तीसरी दुनिया की सरकारों में केजीबी की घुसपैठ का एक मॉडल बताया गया था। इन दस्तावेजों में सरकार में केजीबी के बहुत से सूत्र होने की बात कही गई थी।

KGB की सच्चाई का वीडियो जरूर देखें

आपको बता दें कि #रूस के कम्युनिस्ट यूरी एक्जेन्ड्रोविच बेज्मेनोव ने KGB का पूरा पोल खोल दिया है उन्होंने बताया है कि #KGB का ज्यादातर काम जासूसी का नहीं था बल्कि दूसरे देशों की सत्ता, व्यवस्था को नष्ट या परिवर्तित करने का था । केजीबी का 15 प्रतिशत समय या पैसा जासूसी में लगता था, बाकी 85 प्रतिशत एक कूटनीतिक चाल से धीरे व चुपके से, सालों-साल की मेहनत द्वारा दूसरे देश में उठा-पटक करके लोगों का ब्रेनवॉश कर उनका मन और विचारधारा बदल के देश की व्यवस्था को नष्ट या मूलभूत रूप से परिवर्तित करने के लिए लगाया जाता था ।

आगे बताया गया कि हमारा बहुत-सा जासूसी का काम पहले उन लोगों की जानकारी इकट्ठा करने में लगता है, जिनका इस्तेमाल हम उस देश के बच्चों की विचारधारा नष्ट कर हमारी विचारधारा थोपने के लिए कर सकते हैं । #इसमें #मीडिया, प्रकाशक, सम्पादक, पत्रकार, एक्टर, अध्यापक,  राजनीति शास्त्र के प्रोफेसर, संसद सदस्य, व्यापारिक संगठनों के प्रवक्ता इत्यादि लोगों का हम इस्तेमाल करते हैं । 

हम देशवासियो का दिमाग बदलकर ऐसा कर देते हैं कि वे सच्चाई को समझ-बूझ ही न पायें । चाहे आप उनके सामने सारी सच्चाई खोलकर रख दें फिर भी वे अपनी, अपने परिवार, जाति, धर्म तथा अपने देश की रक्षा न कर पायें । 


जैसे #मोहनजोदडो, बेबीलोन, मिश्र आदि की प्राचीन सभ्यताएँ केवल इसलिए ही तहस-नहस हो गयी क्योंकि उनकी शिक्षा, धर्म, संस्कृति और उनका सामाजिक ढाँचा गिरा दिया गया था । 

हम उन्हें महत्त्वपूर्ण पदों पर बैठाते हैं ताकि वे मीडिया और लोकसंचार के जरिये लोगों को हमारी विचारधारा में बहकायें । 

और दूसरे वे जो हमारे खिलाफ हैं । देश को बचाने में लगे है उन्हें हम नष्ट करते हैं ।

कूटनीति के अंतर्गत युवाओं का नैतिक पतन करते हैं, जिसमें #विद्यार्थियों को गलत तथ्य और जानकारी सिखाकर गुमराह किया जाता है । ऐसे में बुद्धिजीवी जैसे प्रोफेसर इत्यादि देश की संस्कृति को नष्ट करने में कठपुतली बन जाते हैं । इनकी गतिविधियाँ धर्म, देश की सरकारी व आर्थिक पद्धति का विनाश करने का हिस्सा हैं और उनकी विनाशकारी गतिविधियाँ विषैली मीठी गोलियों की भाँति होती हैं । उनके गहरे षड्यंत्रों का देश के लोगों को एहसास भी नहीं हो पाता । ऐसे में देश के छुपे हुए शत्रु होते हैं परंतु शत्रु जैसे नजर ही नहीं आते इसलिए वे धीरे-धीरे देश को अंदर से खोखला कर देते हैं । ऐसा देश फिर रेत पर बने महल की तरह किसी भी समय गिरकर उसकी छत के नीचे सोनेवालों की कब्र बन जाता है । 

अब आप समझ गये होंगे कि #कांग्रेस द्वारा #देश को #तोड़ने का कितना गहरा षड्यंत्र था जो देश की दिव्य संस्कृति मिटाने में लगे थे ।

आज #भारत के हितचिंतकों व देशप्रेमी जनता को जागने तथा #सावधान होने की जरूरत है । यह #षड्यंत्र हमारे देश में बहुत तेजी से चल रहा है । 

भारत के युवाओं की विचारधारा को दैवी, सबल व #भारतीय संस्कारों से ओत-प्रोत बनाने का काम जो #संत कर रहे हैं, आज उन्हींके चरित्र पर लांछन लगाकर उनको जेल भेजकर #विदेशी कूटनीतिक षड्यंत्र द्वारा भारत की युवा पीढी को खोखला व गुलाम बनाया जा रहा है । 

अतः हम सभीको सजग व एकजुट हो के इस #षड्यंत्र को विफल करना होगा । यह हर एक #भारतीय का #कर्तव्य है । #इन विदेशी ताकतों को अपने देश से उखाड़ के फेंक देना होगा।

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