अंग्रेज भारत आकर आयुर्वेद का इलाज कराते हैं और हम... : - अक्षय कुमार
सेना और मार्शल आर्ट जैसे गंभीर मुद्दों पर बोलने वाले अक्षय कुमार ने एक वीडियो द्वारा आयुर्वेदिक इलाज के फायदे बताये हैं । दरअसल अक्षय कुमार ने 14 दिन केरल के एक आयुर्वेदिक आश्रम में बिताए ।
ये इस दौरान मिले अनुभव का हिस्सा हैं । आइये 10 पॉइंट्स द्वारा जाने कि अक्षय कुमार ने क्या कहा !!
अंग्रेज भारत आकर आयुर्वेद का इलाज कराते हैं और हम.- अक्षय कुमार |
1). आप लोगों से सीधे बात करके मजा आ रहा है । आज मैं आपको दुःख या गुस्सा नहीं, बल्कि मुस्कान शेयर करना चाहता हूँ, पिछले कुछ दिन मैंने केरल में एक शांत आश्रम में बिताए ।
2). इस बार मेरा जो अनुभव रहा वो कमाल का था । मैंने आयुर्वेदिक के बारे में जाना ।
3). इस आश्रम में मेरे पास न टीवी था, न फोन, न ब्रांडेड कपड़े सिर्फ सादा कुर्ता- पायजामा व सादा खाना था ।
4). बहुत कम लोगों को पता है कि मैं पिछले 25 सालों से आयुर्वेदिक को अपना रहा हूँ । आयुर्वेदिक में हर बीमारी का इलाज संभव है । लेकिन लोग इसे भूलते जा रहें हैं।
5). जैसे आप कभी कभी अपनी बाइक और कार की सर्विसिंग करते हैं । ठीक उसी तरह मैंने भी अपनी बॉडी की सर्विसिंग कराई । वह आनंददायी रही ।
6). लोगो को अंदाजा ही नहीं कि आयुर्वेद के रूप में भगवान ने हमारे देश को कितना बड़ा खजाना दिया है । अंग्रेज हमारे यहां विदेश से आयुर्वेदिक इलाज कराने आते हैं और हम इससे दूर भागते हैं । दिलचस्प बात यह है कि केरल के उस आश्रम में मैं एकमात्र भारतीय था बाकि सभी विदेशी लोग थे ।
7). हमारी सरकार में एक आयुष मंत्रालय भी है । मैंने कहीं पढ़ा था यदि आप रजिस्टर्ड आयुर्वेदिक सेंटर पर इलाज करते हैं तो आपको इंश्योरेंस आदि की सुविधा भी मिलेगी ।
8) . मुझे एलोपैथी से कोई तकलीफ नहीं है , लेकिन हम अपनी भारतीय चिकित्सा पद्धति को भूल रहें हैं । यह उचित नही है । इससे तकलीफ होती है । हमारे साथ दीया तले अँधेरा जैसी स्थिति है ।
9). मैं स्पष्ट करना चाहता हूँ कि मैं किसी आयुर्वेदिक कंपनी के ब्रैंड के प्रचारक के तौर पर यह सब नही कह रहा हूँ । मैंने यह सब खुद महसूस किया है ।
10). केरल से आने के बाद मैं हल्का और शांत महसूस कर रहा हैं । ऐसा अनुभव पहले कभी नहीं मिला ।
आयुर्वेद निर्दोष एवं उत्कृष्ट चिकित्सा-पद्धति
आयुर्वेद एक निर्दोष चिकित्सा पद्धति है। इस चिकित्सा पद्धति से रोगों का पूर्ण उन्मूलन होता है और इसकी कोई भी औषध दुष्प्रभाव (साईड इफेक्ट) उत्पन्न नहीं करती। आयुर्वेद में अंतरात्मा में बैठकर समाधिदशा में खोजी हुई स्वास्थ्य की कुंजियाँ हैं। एलोपैथी में रोग की खोज के विकसित साधन तो उपलब्ध हैं लेकिन दवाइयों की प्रतिक्रिया (रिएक्शन) तथा दुष्प्रभाव (साईड इफेक्टस) बहुत हैं। अर्थात् दवाइयाँ निर्दोष नहीं हैं क्योंकि वे दवाइयाँ बाह्य प्रयोगों एवं बहिरंग साधनों द्वारा खोजी गई हैं। आयुर्वेद में अर्थाभाव, रूचि का अभाव तथा वर्षों की गुलामी के कारण भारतीय खोजों और शास्त्रों के प्रति उपेक्षा और हीन दृष्टि के कारण चरक जैसे ऋषियों और भगवान अग्निवेष जैसे महापुरुषों की खोजों का फायदा उठाने वाले उन्नत मस्तिष्कवाले वैद्य भी उतने नहीं रहे और तत्परता से फायदा उठाने वाले लोग भी कम होते गये। इसका परिणाम अभी दिखायी दे रहा है।
हम अपने दिव्य और सम्पूर्ण निर्दोष औषधीय उपचारों की उपेक्षा करके अपने साथ अन्याय कर रहे हैं। सभी भारतवासियों को चाहिए कि आयुर्वेद को विशेष महत्त्व दें और उसके अध्ययन में सुयोग्य रूचि लें। आप विश्वभर के डॉक्टरों का सर्वे करके देखें तो एलोपैथी का शायद ही कोई ऐसा डॉक्टर मिले जो 80 साल की उम्र में पूर्ण स्वस्थ, प्रसन्न, निर्लोभी हो। लेकिन आयुर्वेद के कई वैद्य 80 साल की उम्र में भी निःशुल्क उपचार करके दरिद्रनारायणों की सेवा करने वाले, भारतीय संस्कृति की सेवा करने वाले स्वस्थ सपूत हैं।
(एक जानकारी के अनुसार 2000 से भी अधिक दवाइयाँ, ज्यादा हानिकारक होने के कारण अमेरिका और जापान में जिनकी बिक्री पर रोक लगायी जाती है, अब भारत में बिक रही हैं। तटस्थ नेता स्वर्गीय मोरारजी देसाई उन दवाइयों की बिक्री पर बंदिश लगाना चाहते थे और बिक्री योग्य दवाइयों पर उनके दुष्प्रभाव हिन्दी में छपवाना चाहते थे। मगर अंधे स्वार्थ व धन के लोभ के कारण मानव-स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करने वाले दवाई बनाने वाली कंपनियों के संगठन ने उन पर रोक नहीं लगने दी। ऐसा हमने-आपने सुना है।)
अतः हे भारतवासियों! हानिकारक रसायनों से और कई विकृतियों से भरी हुई एलोपैथी दवाइयों को अपने शरीर में डालकर अपने भविष्य को अंधकारमय न बनायें।
No comments:
Post a Comment