महिलाओं कि सुरक्षा के लिए कानून जरूरी है परंतु आज साजिश या प्रतिरोध कि भावनाओं से निर्दोष लोगों को फँसाने के लिए बलात्कार के आरोप लगाकर कानून का भयंकर दूरुपयोग हो रहा है ।
न्यायाधीश निवेदिता शर्मा ने बताया कि पुरूषों के खिलाफ रेप के झूठे मामलों से बचाने के लिए ऐसे कानून बनाये जाये जो उन्हें बचा सके।
False cases of rape are innocent men that are ruining life |
अभी ताजा मामला बताते है बरेली कि दो युवतियों ने एक युवक पर फर्जी रेप केस दर्ज कराया और बाद में उससे 2 लाख रुपये फिरौती मांगी। युवतियों कि ब्लैकमेलिंग का खुलासा हुआ और पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार करके जेल भेज दिया है।
घटना उत्तर प्रदेश के बरेली जिले कि है। पुलिस ने बताया कि नेहा गुप्ता (24) और साफिया (22) नाम कि दो युवतियों के रैकेट का खुलासा हुआ है। दोनों युवकों को फर्जी रेप केस में फंसाकर उनसे फिरौती मांगती थीं।
एसएचओ प्रेम नगर धर्मेंद्र कुमार ने बताया कि युवतियों ने युवक के खिलाफ रेप का केस दर्ज कराया था। जब पूछताछ के लिए दोनों को बुलाया गया तो दोनों ने सवालों के अलग-अलग जवाब दिए। हालांकि पुलिस को उन पर तब खास शक नहीं हुआ।
शिकायत के बाद युवक सुनील शर्मा को पूछताछ के लिए थाने बुलाया गया। इस दौरान युवतियां भी वहां पहुंची। उस समय थाने में महिला कॉन्स्टेबल सुनीता सिंह मौजूद थीं। उन्होंने युवतियों को देखते ही पहचान लिया कि वे पहले भी कई लोगों के खिलाफ रेप का केस दर्ज करा चुकी हैं। जब पुलिस ने रेकॉर्ड खंगाला तब मामले का खुलासा हुआ।
पुलिस ने युवतियों को कस्टडी में लेकर पूछताछ कि तो उन्होंने यह स्वीकार किया कि वह पहले भी कई लोगों पर रेप के फर्जी केस दर्ज करा चुकी हैं। केस दर्ज कराने के बाद वे युवकों से फिरौती मांगती थीं। पुलिस ने बताया कि युवतियों को हिरासत में लिया गया तो उन्होंने पुलिस को भी 1 लाख रुपये घूस देने का लालच दिया।
युवक ने बताया कि 1 मार्च को युवतियां लगातार उन्हें फोन करके दोस्ती करने की बात कर रही थीं। उन्होंने ध्यान नहीं दिया। युवतियों को उनका नंबर कहां से मिला यह वह नहीं जानते। एक दिन युवतियां उनके जनकपुरी स्थित घर आ गईं और उनसे रुपये मांगने लगीं। जब उन्होंने रुपये देने से मना कर दिया तो युवतियां उन्हें धमकाने लगीं।
एसपी सिटी रोहित सिंह साजवान ने बताया कि महिलाये इसी तरह बारादरी, सुभाषनगर, प्रेम नगर और कोतवाली थाने में कई युवकों के खिलाफ फर्जी रेप केस दर्ज करा चुकी हैं। पुलिस को अंदेशा है कि युवतियां किसी बड़े रैकेट का हिस्सा हैं। पुलिस इसकी जांच कर रही है। स्तोस्त्र : नवभारत टाइम्स
अब आपने देखा बलात्कार के कड़े कानून का कैसे दुरुपयोग किया जा रहा है, वास्तविकता में जो लड़की पीड़ित है उनको तो न्याय मिल नही पाता है और जो पैसे ऐठने के लिए झूठे आरोप लगा देती है उनको काफी मुनाफा हो जाता है ।
दिल्ली महिला आयोग कि जाँच के अनुसार- अप्रैल 2013 से 2014 तक #बलात्कार के 53% शिकायतें #झूठी पाई गयी है।
न्यायाधीश राजेन्द्र सिंह ने बताया कि रेप के केस 90% झूठे पाए जाते है ।
निर्दोष लोगों को फँसाने के लिए बलात्कार के नये कानूनों का व्यापक स्तर पर हो रहा इस्तेमाल आज समाज के लिए एक चिंतनीय विषय बन गया है । राष्ट्रहित में क्रांतिकारी पहल करनेवाली सुप्रतिष्ठित हस्तियों, संतों-महापुरुषों एवं समाज के आगेवानों के खिलाफ इन कानूनों का राष्ट्र एवं संस्कृति विरोधी ताकतों द्वारा कूटनीतिपूर्वक अंधाधुंध इस्तेमाल हो रहा है ।
बलात्कार का निवारण कड़े कानून से नही संयम-शिक्षा से संभव
यदि बलात्कार के सख्त कानून से बलात्कार की घटनाओं पर अंकुश सम्भव होता तो नये बलात्कार निरोधक कानून बनने के बाद बलात्कार की शिकायतों (कम्प्लेंट्स) में 35% की वृद्धि नहीं होती । इसके लिए संयम-शिक्षा तथा सच्चे सात्त्विक मूल्यों को पुनर्स्थापित करना होगा । यह कार्य निस्वार्थ रूप से समाज कि भलाई में लगे हुए संत-महापुरुष ही कर सकते हैं । भारतीय संस्कृति के आधारभूत सिद्धांत को अपने जीवन में उतारनेवाले स्वामी रामतीर्थ, श्री रमण महर्षि, समर्थ रामदासजी, स्वामी विवेकानंद, साँईं लीलाशाहजी महाराज आदि महापुरुषों ने पूरी दुनियां में भारतीय अध्यात्म-ज्ञान का डंका बजाया । वर्तमान में संत आसारामजी बापू से मार्गदर्शन एवं प्रेरणा से देश-विदेश में करोड़ों साधक ब्रह्मचर्य का पालन करके जीवन धन्य बना रहे हैं । हजारों बाल-संस्कार केन्द्रों द्वारा देश-विदेश के बालक-बालिकाओं को सुसंस्कारित किया जा रहा है । करोड़ों युवाओं को संयमी और व्यशन मुक्त बनाया । महिलाओं के उत्थान के लिये अनेक कार्य किये और भी अनेक समाजसेवा के कार्य बापू आसारामजी कि प्रेरणा से चल रहे हैं ।
केवल कानून और डंडे के जोर से सच्चा सुधार नहीं हो सकता । सच्चे और स्थायी सुधार के लिए बलात्कार जैसे नृशंस अपराधो को रोकने के लिए संयम-शिक्षा पर बल देने कि अति आवश्यकता है । संत आसारामजी बापू द्वारा प्रेरित ‘युवाधन सुरक्षा अभियान’, ‘दिव्य प्रेरणा-प्रकाश ज्ञान प्रतियोगिता’, ‘योग व उच्च संस्कार शिक्षा’, ‘महिला जागृति’, ‘मातृ-पितृ पूजन दिवस’, ‘नशामुक्ति’ जैसे अभियानों को और अधिक व्यापक बनाने कि आवश्यकता है । इनके माध्यम से हमारी युवा पीढ़ी को ब्रह्मचर्य, संयम-सदाचार कि शिक्षा देकर उन्हें ईमानदार व सच्चा नागरिक बनाया जा रहा है । किंतु हमारे प्रेरणास्रोत, राष्ट्र— एवं संस्कृति के रक्षक संतों-महापुरुषों पर झूठे आरोप लगवाकर षड्यंत्रपूर्वक उन्हें जेल में बंद करवाना यह दर्शाता है कि कुछ स्वार्थी राष्ट विरोधी ताकतें कानून कि आड़ लेकर भारतीय संस्कृति को नष्ट करने कि बुरी मंशा रखती हैं । संत-महापुरुष ही समाज के प्रहरी हैं हमें उन पर हो रहे इस आघात को रोकना होगा ।
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