Saturday, September 29, 2018

इटली में रहने वाला जोसेफ शाइन ने 497 खत्म करने का उठाया था मुद्दा...

29 September 2018
http://azaadbharat.org
🚩भारत से किसी मामले में निर्वासित और इटली NRI Joseph Shine की अपील से पश्चिमी मान्यता को भारत की मान्यता पर थोप दिया गया।
🚩केरल के निवासी और इटली में रह रहा जोसेफ शाइन (Joseph Shine) ने भारत मे व्यभिचार वाली धारा 497 खत्म करने की याचिका डाली थी, जो सुप्रीम कोर्ट ने मान्य रखते हुए 497 धारा खत्म कर दिया अब कोई भी व्यभिचार कर सकता है ।
🚩जो काम पहले एकता कपूर के शो दिखा रहे थे, सिनेमा दिखा रहा था आज विधायिका और न्यायपालिका ने भी दिखा ही नहीं दिया बल्कि सबको अधिकार स्वरूप व्याभिचार को खुली स्वीकृति दे दी ।
Joseph Shine, who lives in Italy,
 raised the issue of eliminating 497 ...

🚩सीधी सी बात है, भारत के लोगों को शरीर से भारतीय, चरित्र से अंग्रेज और आत्मा से अमेरिकन बनाना । मैकॉले शिक्षा पद्धति अंदर से चरित्रहीनता भर ही रही थी और अंग्रेजी व्यवस्था की इस न्यायपालिका सुप्रीम कोर्ट ने उसे बाहर से भी जायज कर दिया । ये लोकतंत्र के चार स्तंभ न्यायपालिका, कार्यपालिका, विधायिका और मीडिया चारों पश्चिमी सभ्यता के दलाल और व्याभिचारी बन चुके हैं ।
🚩भारत में दोनों धाराएं 377 और 497 को खत्म करना भारत को पश्चिमी सभ्यता की ओर बढ़ाता है जो #कामवासना, #चरित्रहीनता, #वेश्यावृति और #व्याभिचार को बढ़ावा देकर भारतीय सभ्यता को खत्म करने का षड्यंत्र है, जिससे देश के लोग दिखने में तो भारतीय होंगे पर चरित्र से अंग्रेज और आत्मा से अमेरिकन बन जाएंगे ।
🚩भारतीय सभ्यता में पर-पुरूष गमन/पर-स्त्री गमन को पाप और अमान्य माना गया है तो इस सभ्यता के एक पुरुष एक पत्नी के आदर्श को विखंडित करने के प्रयास क़ानूनपालिका कैसे चल रही है ?
🚩ये #सुप्रीम_कोर्ट है या कोठा, एक के बाद एक कामवासना, वेश्यावृति और व्याभिचार को बढ़ावा देकर भारत की संस्कृति, मर्यादा, संयम, विश्वास,आदर्श को रूढ़िवाद के नाम पर, आधुनिक सोच के नाम पर भारतीयता से दूर करके पश्चिमी सभ्यता पर ले जाया जा रहा है ।
🚩27 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी चतुराई और सुनियोजित ढंग से एक के बाद एक फैसले दिए जिसमे पहला फैसला था #धारा_497 को खत्म करना अर्थात अब विवाह के बाद पर पुरुष गमन/ पर स्त्री गमन साधारण भाषा मे कहें तो पति के अलावा गैर मर्दों से शारीरिक सम्बन्ध बनाना कानूनन अपराध नहीं है ।
🚩सुप्रीम कोर्ट को ये अधिकार किसने दे दिया कि देश की चरित्र, संस्कार और भारतीय सभ्यता पर वो पश्चिमी सभ्यता थोपे । #धारा_377 को खत्म कर वासना के लिए समलैंगिकता जैसी विकृति को स्वीकृति इसी महीने मिली और अब व्यभिचार को भी लीगल बना दिया गया है ।
🚩इसके तुरंत बाद कोर्ट ने #राम_मंदिर से जुड़ा #मस्जिद के  मुद्दे पर भी फैसला सुनाया ताकि लोगो का ध्यान राम मंदिर पर उलझाकर पिछले दरवाजे से व्याभिचार को वैध कर उससे जनता के  ध्यान को हटाया जा सके और लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ मीडिया ने भी #राम के नाम पर इस समाचार को छोटा कर दिया और जितना दिखाया वो बस महिलाओं के अधिकार के नाम पर इसको वैध कर दिया । https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=732569783763030&id=160117591008255
🚩शर्मनाक: देश के नकली लोकतंत्र चारों स्तंभ देश में अंग्रेजियत और अभारतीय संस्कृति का नंगा नाच खेल रहे हैं, जो भारत की पीढ़ी और संस्कृति को खत्म कर देगा ।
🚩बहुत शर्मनाक है सरकार, बड़े-बड़े साधु-संत, लाखों #हिन्दू संग़ठन, विश्व हिंदू परिषद, #RSS, #आर्यसमाज, #सनातनी, #जैन, #बौद्ध, #सिख किसी में भी व्याभिचार की स्वीकृति नहीं है फिर भी उसके विरोध में कोई कुछ नहीं बोल रहा है और एक इटली NRI Joseph Shine की अपील से सुप्रीम कोर्ट में ईसाई पश्चिमी मान्यता भोग, कामुकता, वासना, पर-पुरुष/पर-स्त्री गमन को भारत की संयम पूर्ण, त्याग, विवेक, पवित्रता और एक पत्नी/पति आदर्श प्रथा पर थोप दिया ।
🚩#राम_मंदिर की मांग करने वाले देश मे माँ #सीता और भगवान #राम के वंशजों को चरित्रहीनता की स्वीकृति दे दी गयी है और कोई धार्मिक संगठन उफ तक नहीं कर रहा ।
🚩इन फैसलों के विरोध में आखिर क्यों विरोध नहीं करते जो भारतीय संस्कृति और सभ्यता के नाम पर सड़कों पर आते हैं, राम नाम की मर्यादा को गाते है पर इन अमर्यादित कानूनों और आदेशों का विरोध नहीं करते ।
🚩देश की #सरकार, व्यवस्था, #न्यायपालिका, #कार्यपालिका, विधायिका और #मीडिया सब की सब देश के लिए खतरा है । हम सबने मिलकर इनका प्रतिरोध और आपसी स्वार्थो में विरोध नहीं किया तो ना ही भारतीयता रहेगी और ना ही भारतीय सभ्यता ।
🚩Official Azaad Bharat Links:👇🏻
🔺Youtube : https://goo.gl/XU8FPk
🔺 Twitter : https://goo.gl/kfprSt
🔺 Instagram : https://goo.gl/JyyHmf
🔺Google+ : https://goo.gl/Nqo5IX
🔺 Word Press : https://goo.gl/ayGpTG
🔺Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ

No comments: