26 September 2018
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China closed 4000 porn and other 'harmful' websites. |
रूस ने भी कई पॉर्न वेबसाइट पर प्रतिबंध लगा दिया है ।
भारत सरकार ऐसा कदम क्यों नहीं उठाती ?
एक रिसर्च में पाया गया है कि जो व्यक्ति पोर्न फिल्में देखते हैं, उनका दिमाग सिकुड़ जाता है । उनकी सोचने समझने की शक्ति धीरे-धीरे क्षीण हो जाती है । और लोगों का जीवन नरक बन जाता है ।
पोर्न फिल्में देखने वाला व्यक्ति को कभी संतुष्टि नही मिल पाती । व्यक्ति के स्वभाव में क्रुरता और उग्रता आ जाती है और वह चिड़चिड़ा हो जाता है ।
लगातार पोर्न देखने के कारण व्यक्ति को अपने पार्टनर के प्रति अलगाव पैदा होने लगता है ।
पोर्न देखने से सेक्स को लोकर विकृत नज़रिया बन जाता है, जो समाज में रेप जैसी घटनाओं में बढ़ोतरी के लिए जिम्मेवार बनता है ।
ऑक्सीटोसिन दिमाग में पाया जाने वाला एक शक्तिशाली हार्मोन है जिसे ‘लव हार्मोन‘ भी कहा जाता है । यह हार्मोन पुरूष और महिलाओं दोनो को बंधन में बांधने में मदद करता है ।
लेकिन पोर्न फिल्में दिखने से यह गायब हो जाता है ।
कुछ लोग उत्तेजित होने के लिए पोर्न का सहारा लेने लगते हैं और धीरे -धीरे यह उनकी आदत बन जाती है । इसका नुकसान यह होता है कि व्यक्ति प्राकृतिक तोर पर उत्तेजित होने में नाकाम होने लगता है जिसका नुकसान आगे चलकर होता है ।
अवैध संबंधो के लिए पोर्न काफी हद तक जिम्मेदार होता है । ज्यादा पोर्न देखने वाले लोग अक्सर किसी के साथ अवैध संबंध बनाने के बारे में सोचते रहते हैं, जो समाज के लिए काफी नुकसानदेह साबित हो रहा है और कई बार मर्यादा तार-तार होने की भी अशंका रहती है । यह पोर्न देखने का सबसे बड़ा नुकसान है ।
विद्यार्थी काल शारीरिक, मानसिक एवं भावनात्मक विकास का समय है और इस विकास का मुख्य आधार है वीर्यरक्षा । विद्यार्थीयों को अपने अध्ययन और प्रवृत्ति लिए उत्साह, बुद्धिशक्ति, स्मृतिशक्ति, एकाग्रता, संकल्पबल आदि गुणों के विकास की बहुत आवश्यकता होती है । इन सबमें वीर्यरक्षा द्वारा बहुत प्रगति प्राप्त की जा सकती है । इसके विपरीत वीर्यनाश से तन और मन को बहुत नुकसान होता है । वीर्यनाश से निर्बलता, रोग, आलस्य, चंचलता, निराशा और पलायनवादिता के दुर्गुण आ धमकते हैं । इस दुष्प्रवृत्ति के शिकार विद्यार्थी, अपने विकासकाल के अति महत्त्वपूर्ण समय को गँवा बैठते हैं ।
पालो ब्रह्मचर्य विषय-वासनाएँ त्याग।
ईश्वर के भक्त बनो जीवन जो प्यारा है।।
ईश्वर के भक्त बनो जीवन जो प्यारा है।।
उठिए प्रभात काल रहिये प्रसन्नचित्त।
तजो शोक चिन्ताएँ जो दुःख का पिटारा है।।
तजो शोक चिन्ताएँ जो दुःख का पिटारा है।।
कीजिए व्यायाम नित्य भ्रात! शक्ति अनुसार।
नहीं इन नियमों पै किसी का एकाधिकार है।।
नहीं इन नियमों पै किसी का एकाधिकार है।।
देखिये सौ शरद औ’कीजिए सुकर्म प्रिय! सदा स्वस्थ रहना ही कर्त्तव्य तुम्हारा है।।
लाँघ गया पवनसुत ब्रह्मचर्य से ही सिंधु।
मेघनाद मार कीर्ति लखन कमायी है।।
मेघनाद मार कीर्ति लखन कमायी है।।
लंका बीच अंगद ने जाँघ जब रोप दई।
हटा नहीं सका जिसे कोई बलदायी है।।
हटा नहीं सका जिसे कोई बलदायी है।।
पाला व्रत ब्रह्मचर्य राममूर्ति, गामा ने भी।
देश और विदेशों में प्रसिद्धि पायी है।।
देश और विदेशों में प्रसिद्धि पायी है।।
भारत के वीरो! तुम ऐसे वीर्यवान बनो।
ब्रह्मचर्य महिमा तो वेदन में गायी है।।
ब्रह्मचर्य महिमा तो वेदन में गायी है।।
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