Tuesday, May 9, 2017

बांग्लादेश प्रधानमंत्री का खुलासा : मक्का में हिन्दू मंत्रों के उच्चारण की आती है ध्वनि

बांग्लादेश प्रधानमंत्री का खुलासा : मक्का में हिन्दू मंत्रों के उच्चारण की आती है ध्वनि

'काबा' अरब का प्राचीन #मन्दिर है। जो मक्का शहर में है। विक्रम की प्रथम शताब्दी के आरम्भ में रोमक इतिहास #लेखक 'द्यौद्रस् सलस्' लिखता है - यहाँ इस देश में एक मन्दिर है, जो अरबों का अत्यन्त #पूजनीय है। इस कथन से इस बात को बल मिलता है कि काबा और भगवान शिव का कोई न कोई प्राचीन जुड़ाव जरूर है। पूरा विश्‍व आज काबा के सच को जानने को #उत्सुक है किन्‍तु वर्तमान परिदृश्‍य में काबा में #गैर-इस्‍लामिक या कहे कि गैर मुस्लिम का जाना प्रतिबंधित है इस कारण काबा के अंदर क्या है और इसके पीछे के सच का खुलासा आज तक नहीं हो पाया है।

sacred sound from kaba

दुनियाँ में इस्लामिक #आतंक सबसे ज्यादा है । दुनियाँ का लगभग हर देश इस आतंक से #ग्रस्त है, हर कोई इस्लामिक आतंक से लड़ रहा है। इस इस्लामिक आतंक का बस एक #मक्सद है इस्लाम का प्रचार करना । इस्लाम के आकाओं के अनुसार इस्लाम दुनियाँ में सबसे पुराना है । 

मुसलमान कहते हैं कुरान परमात्मा की वाणी है जो #अनादि काल से चली आ रही है । लेकिन ये बात बिल्कुल आधारहीन है इसका कोई तर्क नहीं है । क्योंकि मुस्लिम धर्म की स्थापना पैगंबर मोहम्मद ने 1400 साल पहले की थी और हमारे ग्रंथो के अनुसार पृथ्वी पर सबसे पहले #हिन्दू धर्म (सनातन धर्म) की छाया के सिद्धांत ही प्रतीत होते है जिसे कई देशों ने भी माना है । 

मुसलमानों के तौर तरीके, रीति-रिवाज आदि हिन्दुओं जैसे ही हैं । हिन्दुओं से ही सीख लेकर इन्होनें अपने हिसाब से इन्हें ढाल लिया है। जिसके सबूत कई जगहों पर मिलते रहे हैं और कई लोगों ने इसकी #पुष्टि भी की है । 

अब बांग्लादेश की #प्रधानमंत्री शेख हसीना ने खुद स्वीकारा है कि, सऊदी अरब के मक्का में मुस्लिमों का जो मजहबी स्थल है, जिसे काबा के नाम से भी जानते हैं उसमें से हिन्दू #मंत्रों की आवाज आती है । शेख हसीना ने बांग्लादेश की एक बड़ी #न्यूज एजेंसी को दिए गए बयान में कहा कि मक्का से अलग अलग मन्त्रों की आवाज आती है जैसे "ॐ" इत्यादि । इस बात की पुष्टि न्यूज एजेंसी ने भी की है । 


मक्का मदीना का सच

मुसलमानों के सबसे बड़े तीर्थ मक्का #मक्केश्वर महादेव का मंदिर था। वहाँ काले पत्थर का विशाल #शिवलिंग था जो खंडित अवस्था में अब भी वहाँ है। हज के समय संगे अस्वद (संग अर्थात् पत्थर, अस्वद अर्थात् अश्वेत यानी काला) कहकर मुसलमान उसे ही #पूजते और चूमते हैं। 


इस सम्‍बन्‍ध में #प्रख्‍यात प्रसिद्ध इतिहासकार स्व. पी.एन.ओक ने अपनी पुस्तक ‘वैदिक विश्व राष्ट्र का इतिहास’ में समझाया है कि मक्का और उस इलाके में इस्लाम के आने से पहले #मूर्ति पूजा होती थी। हिंदू देवी-देवताओं के मंदिर थे, गहन #रिसर्च के बाद उन्होंने यह भी दावा किया कि काबा में भगवान शिव का #ज्योतिर्लिंग है। पैगंबर मोहम्मद ने हमला कर मक्का की मूर्तियां #तोड़ी थी। यूनान और भारत में बहुतायत में मूर्ति पूजा की जाती रही है, पूर्व में इन दोनों ही देशों की #सभ्यताओं का दूरस्थ इलाकों पर प्रभाव था। ऐसे में दोनों ही इलाकों के कुछ विद्वान काबा में #मूर्ति पूजा होने का तर्क देते हैं। हज करने वाले लोग काबा के पूर्वी कोने पर जड़े हुए एक काले पत्थर के दर्शन को पवित्र मानते हैं जो कि हिन्‍दूओं का #पवित्र शिवलिंग है। वास्‍तव में इस्लाम से पहले मिडल-ईस्ट में #पीगन जनजाति रहती थी और वह हिंदू रीति-रिवाज को ही मानती थी।


एक प्रसिद्ध मान्‍यता के अनुसार काबा में “पवित्र गंगा” है। जिसका निर्माण #महापंडित रावण ने किया था, रावण शिव भक्त था वह शिव के साथ गंगा और चन्द्रमा के ‍महत्व को समझता था और यह जानता था कि क‍भी #शिव को गंगा से अलग नहीं किया जा सकता। जहाँ भी शिव होंगे, पवित्र गंगा की अवधारणा निश्चित ही मौजूद होती है। काबा के पास भी एक पवित्र #झरना पाया जाता है, इसका पानी भी पवित्र माना जाता है। इस्लामिक काल से पहले भी इसे पवित्र (आबे जम-जम) ही माना जाता था। रावण की तपस्‍या से प्रसन्‍न होकर भगवान शिव ने रावण को एक #शिवलिंग प्रदान किया जिसे लंका में स्‍थापित करने को कहा और बाद में  जब रावण आकाश मार्ग से लंका की ओर जाता है पर रास्ते में कुछ ऐसे हालात बनते हैं कि रावण को शिवलिंग #धरती पर ही रखना पड़ता है। वह दोबारा शिवलिंग को उठाने की कोशिश करता है पर खूब प्रयत्न करने पर भी लिंग उस स्थान से हिलता नहीं। #वेंकटेश पण्डित के अनुसार यह स्थान वर्तमान में सऊदी अरब के मक्का नामक स्थान पर स्थित है। सऊदी अरब के पास ही यमन नामक राज्य भी है जहाँ #श्री कृष्ण ने कालयवन नामक राक्षस का विनाश किया था। जिसका जिक्र #श्रीमद्भगवत पुराण में भी आता है।

पहले राजा भोज ने मक्का में जाकर वहां स्थित #प्रसिद्ध शिवलिंग मक्केश्वर महादेव का पूजन किया था, इसका वर्णन भविष्य-पुराण में निम्न प्रकार है :-

"नृपश्चैवमहादेवं मरुस्थल निवासिनं !

गंगाजलैश्च संस्नाप्य पंचगव्य समन्विते :

चंद्नादीभीराम्भ्यचर्य तुष्टाव मनसा हरम !

इतिश्रुत्वा स्वयं देव: शब्दमाह नृपाय तं!

गन्तव्यम भोज राजेन महाकालेश्वर स्थले !! "


इस्लाम नींव इस आधार पर रखी गई कि दूसरों के धर्म का #अनादर करों और उनको #नेस्‍तानाबूत और पवित्र स्थलों को खंडित कर वहाँ मस्जिद और मकबरे का निर्माण किया  जाए। इस काम में बाधा डालने वाले जो लोग भी सामने आये उन लोगों को #मौत के घाट उतार दिया जाये। भले ही वे लोग मुस्लिमों को परेशान न करते हो। 

1400 साल पहले मुहम्‍मद साहब और #मुसलमानों के हमले से मक्‍का और मदीना के आस पास का पूरा इतिहास बदल दिया गया। इस्लाम एक #तलवार पे बना धर्म था है और रहेगा। पी.एन.ओक ने सिद्ध कर दिया है मक्केश्वर शिवलिंग ही हजे अस्वद है। मुसलमानों के सबसे बड़े तीर्थ मक्का #मक्केश्वर महादेव का मंदिर था। वहां काले पत्थर का विशाल शिवलिंग था जो #खंडित अवस्था में अब भी वहां है। हज के समय संगे अस्वद (संग अर्थात पत्थर, अस्वद अर्थात अश्वेत यानी काला) कहकर मुसलमान उसे ही #पूजते और चूमते हैं। 

द्वारिका शारदा पीठाधीश्वर शंकराचार्य जी का मानना है कि #मक्का में मक्केश्वर महादेव #मंदिर है। मुहम्मद साहब भी शैव थे, इसलिए वे मक्केश्वर महादेव को मानते थे। एक बार वहां लोगों ने बुद्ध की मूर्ति लगा दी थी, वह इसके बहुत विरोधी थे। अरब में मुहम्मद पैगम्बर से पूर्व #शिवलिंग को 'लात' कहा जाता था। मक्का के कावा में जिस काले पत्थर की उपासना की जाती रही है, भविष्य पुराण में उसका उल्लेख #मक्केश्वर के रूप में हुआ है। इस्लाम के प्रसार से पहले #इजराइल और अन्य #यहूदियों द्वारा इसकी पूजा किए जाने के स्पष्ट प्रमाण मिले हैं। 

इराक और सीरिया में #सुबी नाम से एक जाति थी यही #साबिईन है। इन साबिईन को अरब के लोग #बहुदेववादी मानते थे। कहते हैं कि साबिईन अर्थात नूह की कौम। माना जाता है कि भारतीय मूल के लोग बहुत बड़ी संख्या में यमन में आबाद थे, जहां आज भी श्याम और हिन्द नामक किले #मौजूद हैं। विद्वानों के अनुसार सऊदी अरब के मक्का में जो काबा है, वहां कभी प्राचीनकाल में 'मुक्तेश्वर' नामक एक शिवलिंग था जिसे बाद में 'मक्केश्‍वर' कहा जाने लगा।


अरब के मक्का नामक स्थान पर स्थित है 'मक्केश्वर लिंग' (मक्केश्वर महादेव)

मक्का के गेट पर साफ-साफ लिखा था कि #काफिरों का अंदर जाना गैर-कानूनी है। कहा जा रहा है अब इस बोर्ड को उतार दिया गया है और लिख दिया है #नॉन-मुस्लिम्स का अंदर जाना मना है। इसका मतलब है कि ईसाई, जैनी या बौद्ध धर्म को भी #मानने वाले इसके अंदर नहीं जा सकते हैं।

मक्का मदीना के शिवलिंग का रहस्य क्‍या है ? इसे इस्‍लाम पंथियों द्वारा सदा से छिपाया जा रहा है। 

मुसलमानों के पैगम्‍बर मुहम्‍मद ने मदीना से मक्का के शांतिप्रिय #मूर्तिपूजकों पर हमला किया और जबरदस्‍त नरसंहार किया। मक्‍का का मदीना का अपना अलग अस्तित्व था किन्‍तु मुहम्‍मद साहब के हमले के बाद मक्‍का मदीना को एक साथ जोड़कर देखा जाने लगा। जबकि मक्‍का के लोग जो कि शिव के उपासक माने जाते हैं। मुहम्‍मद की टोली ने मक्‍का में स्‍थापित कर वहां पर स्थापित की हुई 360 में से 359 मूर्तियाँ #नष्ट कर दी और सिर्फ काला पत्थर #सुरक्षित रखा जिसको आज भी मुस्‍लिमों द्वारा पूजा जाता है। 

उसके अलावा अल-उज्जा, अल-लात और मनात नाम की #तीन देवियों के मंदिरों को नष्ट करने का आदेश भी मुहम्मद ने दिया और आज उन मंदिरों का नामों निशान नही है (हिशम इब्न अल-कलबी, 25-26)। इतिहास में यह किसी हिन्दू मंदिर पर सबसे पहला इस्लामिक आतंकवादी हमला था। उस काले पत्थर की तरफ आज भी मुस्लिम #श्रद्धालु अपना शीश झुकाते हैं । किसी #हिंदू पूजा के दौरान बिना सिला हुआ वस्त्र या धोती पहनते हैं, उसी तरह हज के दौरान भी बिना सिला हुआ सफेद सूती कपड़ा ही पहना जाता है।

जिस प्रकार हिंदुओं की मान्यता होती है कि गंगा का पानी #शुद्ध होता है ठीक उसी प्रकार मुस्लिम भी #आबे जम-जम के पानी को पाक मानते हैं। जिस तरह हिंदू #गंगा स्नान के बाद इसके पानी को भरकर अपने घर लाते हैं ठीक उसी प्रकार मुस्लिम भी मक्का के #आबे जम-जम का पानी भर कर अपने घर ले जाते हैं। ये भी एक समानता है कि गंगा को मुस्लिम भी पाक मानते हैं और इसकी अराधना किसी न किसी रूप में जरूर करते हैं।

तो पाठक समझ गए होंगे कि #हिन्दू धर्म ही सनातन धर्म है जो सृष्टि की उत्पत्ति करने के समय से है और बाद में अनेक धर्म, महजब, पंथ बने है अतः हिंदुओं को अपने #सनातन धर्म पर #गर्व करना चाहिए और उसके खिलाफ जो भी #षड्यंत्र हो रहे है उसके खिलाफ आवाज उठानी चाहिए।

जय हिन्द!!

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