Thursday, May 4, 2017

लिंग भेद कानून हटाओ, पुरुषों को तबाही से बचाओ

 *महिलाओं के बढ़ते अपराध को लेकर पुरुष आयोग व मंत्रालय बनाने की उठी तीव्र माँग*

लिंग भेद कानून मिटाओ, पुरुषों को #तबाही से बचाओ...
पुरुष आयोग

महिलाओं के लिए बने विभिन्न #कानूनों में खास कर 498, 376 के दुरुपयोग से परेशान पुरुषों ने पुरुष #मंत्रालय और पुरुष आयोग की #मांग शुरू कर दी है ।

इस मांग को लेकर देश में 40 संगठनों समेत देश के दूसरे #परेशान पुरुषों ने #जंतर-मंतर पर शनिवार को प्रदर्शन किया है । ये #प्रदर्शन सिर्फ 'सैफ इंडिया और सैफ फैमिली के फाउंडेशन" की अपील पर किया जा रहा है । शनिवार को 'सैफ फैमिली ऑर्गेनिज़ीशन" की ओर से चलाई जा रही इस #मूमेंट में महिलाएँ भी शामिल थी जो उन महिलाओं के खिलाफ सड़क पर उतरी थी जो महिलाएँ कानून का दुरुपयोग कर पूरे परिवार को बर्बाद कर देती है ।

पुरुषों की ये डिमांड है कि एक पुरुष आयोग बने #मैन कमीशन वेल्फेर मैन भी उतना ही जरूरी है जितना कि #वीमेन वेल्फेर जरूरी होता है |

3 मई 2017
देखिये वीडियो
प्रदर्शनकारी महिला ने कहा कि #पेड़-पौधों के लिए यहाँ पर बहुत सारे आयोग हैं । महिलाओं के लिए #आयोग हैं, बच्चों के लिए आयोग हैं,रसायन के लिए आयोग हैं पर #पुरुषों के लिए कोई आयोग नहीं ।

 तो एक पुरुष आयोग बने और Rape In law 498 है  scrap 498 है ये जो ऐसा कानून है, बहुत सारी #फेमिलिस को तबाह कर रहा है । बर्बाद कर रहा है । जिसकी वजह से मैन #सुसाइट्स इतने बढ़ गए हैं कि हर साल 94000 पुरुष आत्म हत्याऐं कर रहे हैं ।

आंदोलन में आये #पुरुषों का कहना था कि आज #संविधान में 48 कानून महिलाओं के हित के लिए बनाए गए हैं फिर भी महिलाओं को बेचारी #अबला कहा जाता है । पुरुषों के लिए कानून नहीं है । #कुत्ते-बिल्लियों के लिए कानून है, पेड़-पौधों के लिए कानून है ।

अब देखना है कि क्या #सरकार पुरुषों के लिए कोई कानून लाती है ? या ऐसी #असमानता के कारण इन लोगों का आंदोलन और तेज होगा ?


महिलाओं के खिलाफ इतने #अपराध होते हैं कि उन्हें हमेशा #पीड़िता की नजर से ही देखा जाता है।  जबकि #हकीकत कुछ और ही है। 

शीना बोरा मर्डर #केस केवल एक मात्र ऐसा केस नहीं है जहां एक महिला #मर्डर के रूप में नजर आई। यह एक छिपी हुई #हकीकत है कि महिलाएं भी #हिंसा की घटनाओं को अंजाम देने में #माहिर हैं और उनकी संख्या दिन व दिन बढ़ रही है। आज जब #महिलाएं शिक्षा, कैरियर और समाजिक कानूनों से मजबूत हो गई हैं तो वह पुरुषों की ही तरह संगीन #अपराध कर रही हैं। महिलाओं के लिए बचना थोड़ा आसान भी है क्योंकि उन्हें जल्दी संदिग्ध के तौर पर नहीं देखा जाता है।

एनसीआरबी की #रिपोर्ट के मुताबिक, पूरे देश भर में 1,94,867 महिलाओं को मर्डर, किडनैपिंग, लूटपाट जैसे संगीन #अपराधों में गिरफ्तार किया गया।

भारत के 5 राज्यों में महिला अपराधियों की संख्या सबसे ज्यादा है ।

महाराष्ट्र:
महाराष्ट्र में 2014 में 30,568 महिलाओं को #गिरफ्तार किया गया है। इस राज्य में सबसे ज्यादा महिला अपराधी हैं।

उत्तर प्रदेश:
यहां अपराध के अलग-अलग मामलों में 17,437 #महिलाओं को गिरफ्तार किया गया।

राजस्थान:
 राजस्थान में 16, 187 महिलाओं को गिरफ्तार किया गया है।

गुजरात:
इस राज्य की 14,152 महिलाओं को साल 2014 में #अरेस्ट किया गया है।

पश्चिम बंगाल:
यहां गिरफ्तार महिलाओं की संख्या 12,181 है और यह लिस्ट में #पाँचवें नंबर पर है।

यह तो महिलाएं जो अपराध करती हैं उसकी बात हुई लेकिन कुछ #स्वार्थी महिलाएं दहेज एवं बलात्कार के झूठे केस लगाकर निर्दोष पुरूषों की जिंदगी खराब कर देती हैं ।

दिल्ली में बीते छह महीनों में 45 फीसदी ऐसे मामले अदालत में आये जिनमें #महिलाएँ हकीकत में #पीड़िता नहीं थी, बल्कि छोटी-छोटी बातों पर #गुस्सा होने या फिर पुरुषों द्वारा माँगें पूरी न होने पर #बलात्कार का केस दर्ज कराया गया था । द्वारका अदालत ने ऐसे बढ़ते मामलों पर चिंता जताई है और साथ ही पुलिस से कहा कि वह निष्पक्ष रूप से मामले की जाँच करने के बाद ही #मुकद्दमा दर्ज करे।

दिल्ली महिला कमीशन के #आँकड़ों के अनुसार इनमें से 53.2% मामले झूठे हैं ।

अप्रैल 2013 से जुलाई 2014 के बीच #दिल्ली में रेप के 2753 मामले दर्ज हुए जिनमें से 1464 मामले #झूठे थे । 

एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार 2011 से 2013 के बीच आईपीसी की धारा 498A का दुरूपयोग करते हुए, पुरुषों पर 31,292 #झूठे मामले दर्ज हुए हैं । इनमें #वैवाहिक हिंसा और रेप के आरोप शामिल हैं । #छानबीन करने पर पता चला है कि महिला ने #प्रतिशोध लेने के लिए झूठा केस किया था ।

छह जिला अदालतों के #रिकॉर्ड से ये बात सामने आई है कि #बलात्कार के 70 फीसदी मामले अदालतों में #साबित ही नहीं हो पाते हैं । 

अब ये सोचिये, जिस #पुरुष पर झूठा केस किया जाता है, उसका जीवन कितना #अस्त-व्यस्त हो जाता होगा, समाज में अपमानित होने से ले कर #काम-रोजगार पर कितना असर होता होगा ? यह तो #भुक्तभोगी सदस्य व उसका परिवार ही समझ सकता है । एक बार ऐसा आरोप आप पर लग जाये तो चाहे आप #दोषमुक्त भी क्यों न हो जाएँ, समाज #सिर्फ आप पर लगे आरोप को #याद रखेगा । 

पॉक्सो, #बलात्कार व दहेज निरोधक #कानूनों की खामियों को दूर करना होगा तभी समाज के साथ #न्याय हो पायेगा अन्यथा एक के बाद एक #निर्दोष सजा भुगतने के लिए मजबूर होते रहेंगे । इसमें पुरुषों के साथ संबंधित बेशुमार #महिलाएँ व बच्चे और रिश्ते-नातेदार भी पीड़ित हो रहे हैं । अतः #बच्चों-महिलाओं की सुरक्षा तथा #राष्ट्रहित में कार्यरत संस्थाएँ और जागरूक जनता सजग हो और इन कानूनों में आवश्यक #संशोधन की माँग हो ।

केवल कानून और #डंडे के जोर से सच्चा सुधार नहीं हो सकता । सच्चे और स्थायी #सुधार के लिए, बलात्कार जैसे नृशंस अपराधों को रोकने के लिए #संयम-शिक्षा पर बल देने की आवश्यकता है ।सिनेमा, अश्लील साहित्य, समाचार पत्र-पत्रिकाओं, अश्लील वेबसाइटों एवं #इलेक्ट्रोनिक मीडिया पर संयम लाना पड़ेगा ।  

इसके लिए #संयम-शिक्षा तथा सच्चे, सात्विक मूल्यों को पुन:स्थापित करना होगा । जो संत-#महापुरुष इस कार्य को देश में कर रहे थे उनपर ही #षड्यंत्रकारियों ने झूठा आरोप लगवाकर जेल में बंद करवा दिया ।

इससे पता चलता है कुछ स्वार्थी #राष्ट्र-विरोधी ताकतें कानून की आड़ लेकर #भारतीय #संस्कृति को नष्ट करने की बुरी मंशा रखती हैं । #संत-महापुरुष ही समाज के प्रहरी हैं, हमें उन पर हो रहे इस आघात को रोकना होगा । तभी जनता में #सुसंस्कार आयेगा और पुरुष महिलाओं की इज्जत करेगा बड़ी महिलाओं को अपनी माँ बहन समान सम्मान  और छोटी को बेटी की दर्जा देगा और महिलायें भी #अपराध करना, पुरुषों पर झूठे आरोप लगाना बन्द करेगी और फिर से भारत #विश्वगुरु पद पर आसीन होगा ।

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