06 मार्च 2021
कन्नूर (कैरल) के कैथोलिक चर्च की एक नन सिस्टर मैरी चांडी ने पादरियों और ननों का चर्च और उनके शिक्षण संस्थानों में व्याप्त व्यभिचार का जिक्र अपनी आत्मकथा ‘ननमा निरंजवले स्वस्ति’ में किया है कि ‘चर्च के भीतर की जिन्दगी आध्यात्मिकता के बजाय वासना से भरी थी ।
कैथलिक चर्च की दया, शांति और कल्याण की असलियत दुनिया के सामने उजागर ही हो गयी है । मानवता और कल्याण के नाम पर क्रूरता का पोल खुल चुकी है । चर्च कुकर्मों की पाठशाला व सेक्स स्कैंडल का अड्डा बन गया है ।
फ्रांसीसी चर्चों में शोषण के शिकार हुए बच्चों की संख्या 10 हजार के करीब हो सकती है। यह आशंका चर्चों में बाल शोषण के मामलों की जाँच के लिए गठित स्वतंत्र आयोग के अध्यक्ष जीन मार्क सेवे (Jean-Marc Sauve) ने जताई है। इस जाँच आयोग का गठन कैथोलिक चर्च की ओर से किया गया था। सेवे ने मंगलवार को कहा कि 1950 से अब तक कम से कम 10 हजार बच्चे चर्च में शोषण का शिकार हो सकते हैं।
रिपोर्टों के अनुसार सेवे ने कहा कि पिछले साल जून में तीन हजार बच्चों के पीड़ित होने का अनुमान लगाया गया था। यकीनी तौर पर असल पीड़ितों के मुकाबले यह संख्या काफी कम है। आयोग के कार्यों के बारे में जानकारी देते हुए एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा, “आशंका है कि यह संख्या कम से कम 10 हजार हो सकती है।”
जून 2019 में एक हॉटलाइन शुरू की गई थी ताकि पीड़ित और चश्मदीद मामलों की जानकारी दे सकें। बताया जा रहा है कि शुरू होने के बाद 17 महीनों में इस नंबर पर 6,500 कॉल आए। सेवे ने कहा कि आयोग के समक्ष सवाल यह था कि कितनी संख्या में पीड़ित आगे आएँगे और अपने साथ हुए शोषण के बारे में बताएँगे।
उन्होंने कहा, “हमारे सामने बड़ा सवाल यह है कि कितने पीड़ित आगे आएँगे? क्या यह 25 फीसदी होगा? 10 फीसदी? 5 फीसदी या उससे भी कम?”
2018 में चर्चों में बच्चों के शोषण के लगातार मामले सामने आने के बाद उसी साल नवंबर में इस स्वतंत्र जाँच आयोग का गठन किया गया था। बिशप कॉन्फ्रेंस ऑफ फ्रांस की सहमित से इसका गठन किया गया। इस फैसले को मिली-जुली प्रतिक्रिया मिली थी। कुछ लोगों ने इसका समर्थन करते हुए पीड़ितों से आगे आकर आपबीती बताने की अपील की थी। वहीं, कुछ लोग इसकी सफलता को लेकर सशंकित थे।20 सदस्यीय आयोग के सदस्य कानूनी, शैक्षणिक, चिकित्सकीय सहित अन्य पृष्ठभूमि से चुने गए थे। आयोग को 2020 के अंत तक अपनी अंतिम रिपोर्ट देनी थी। लेकिन, अब इसकी नई मियाद सितंबर 2021 तय की गई है।
दुनियाभर में पादरी बच्चों का शोषण करते है लेकिन सेक्युलर, बुद्धजीवी और मीडिया हिन्दू धर्म के पवित्र मंदिर, आश्रमों व साधु-संतों पर षड्यंत्र के तहत कोई आरोप भी लगा दे तो खूब बदनाम करते हैं, परंतु इन ईसाई पादरीयों के दुष्कर्मो पर चुप रहते हैं क्या उन्हें वेटिकन सिटी से भारी फंडिंग मिलती है ?
आइये जानें इस बारे में विदेशी सुप्रसिद्ध हस्तियों के उद्गार-
मैं ईसाई धर्म को एक अभिशाप मानता हूँ, उसमें आंतरिक विकृति की पराकाष्ठा है । वह द्वेषभाव से भरपूर वृत्ति है । इस भयंकर विष का कोई मारण नहीं । ईसाईत गुलाम, क्षुद्र और चांडाल का पंथ है । - फिलॉसफर नित्शे
दुनिया की सबसे बड़ी बुराई है रोमन कैथोलिक चर्च । - एच.जी.वेल्स
मैंने पचास और साठ वर्षों के बीच बाईबल का अध्ययन किया तो तब मैंने यह समझा कि यह किसी पागल का प्रलाप मात्र है । - थामस जैफरसन (अमेरिका के तीसरे राष्ट्र पति)
बाईबल पुराने और दकियानूसी अंधविश्वासों का एक बंडल है । बाईबल को धरती में गाड़ देना चाहिए और प्रार्थना पुस्तक को जला देना चाहिए । - जॉर्ज बर्नार्ड शॉ
मैंने 40 वर्षों तक विश्व के सभी बड़े धर्मो का अध्ययन करके पाया कि हिन्दू धर्म के समान पूर्ण, महान और वैज्ञानिक धर्म कोई नहीं है । - डॉ. एनी बेसेन्ट
हिंदुस्तानी ऐसे ईसाई पादरियों और उनका बचाव करने वाली मीडिया और सेक्युलर, बुद्धजीवियों से सावधान रहें ।
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