13 जून 2020
जम्मू कश्मीर के अनंतनाग जिले में आतंकियों ने 8 जून 2020 को कांग्रेस के हिंदू सरपंच अजय पंडिता (भारती) की गोली मारकर हत्या कर दी। अजय पंडिता की हत्या उस वक्त की गई, जब वो बागान में गए हुए थे। उनके परिवार में माँ-पिता के अलावा पत्नी और दो बेटियाँ हैं। आतंकियों ने पीछे से उन पर वार कर मौत की नींद सुला दिया। कश्मीर में हिंदुओं की हत्या कोई नई बात नहीं है और अजय पंडिता की हत्या भी इसीलिए हुई, क्योंकि वो एक कश्मीरी पंडित हिंदू थे और साथ ही वो एक जनसेवक के पद भी थे।
अजय पंडिता की हत्या को लेकर कश्मीरी पंडित जनर्लिस्ट दिव्या राजदान ने अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए कहा, “कश्मीर में 700 साल से ज्यादा से कश्मीरी पंडितों का नरसंहार होता आ रहा है और हमारा जनेऊ हमेशा से रक्त में लिपटा रहा है। ये सिर्फ कश्मीरी पंडितों का ही नहीं सभी हिंदुओं का हाल रहा है। आज यह समय आ गया है कि हम समझें कि यह स्थिति काफी गंभीर है, क्योंकि इसका जो मूल कारण है, वो इस्लाम से आता है। अजय पंडिता की बात करें तो उन्होंने कोई ऐसा अपराध नहीं किया था कि उन्हें मौत के घाट उतार दिया जाए। उनका अपराध बस इतना था कि उनका नाम अजय पंडिता था, वो जेनेऊधारी थे, इसीलिए उन्हें मौत की नींद सुला दिया गया।”
वो आगे कहती हैं, “कहीं न कहीं आज भी कश्मीर इस्लामिक स्टेट है, वहाँ पर मुस्लिमों का वर्चस्व है और वो नहीं चाहते हैं कि 1% भी हिंदू वहाँ पर रहे। वहाँ पर हिंदुओं के लिए कोई जगह नहीं है। अनुच्छेद 370 हट गया, लेकिन आज भी हिंदुओं की हालत जस की तस है। आज भी वहाँ 1990 की तरह की ही स्थिति है, जब हमारा 7 बार नरसंहार हुआ। अगर आज हम वहाँ पर गए तो हमारा 8वीं बार नरसंहार होगा। मगर मैं हमेशा से कहती हूँ कि हमारा 8वीं बार नरसंहार नहीं होगा, क्योंकि उसके लिए हम बचेंगे ही नहीं। हमें पूरी तरह से हमेशा के लिए खत्म कर दिया जाएगा।”
दिव्या राजदान का कहना है कि आज जो अजय पंडिता के साथ हुआ है, उसका विरोध करने के लिए जनआक्रोश की आवश्यकता है। पूरे भारत को एक होने की आवश्यकता है। इसके साथ ही उन्होंने सारे मीडिया हाउस, सभी हिन्दू भाई-बहनों और भारतीय नागरिकों से अपील की है कि वो इसके खिलाफ आवाज उठाएँ और लोगों को जागरुक करें, क्योंकि जो कश्मीर में हुआ है, वो सिर्फ कश्मीर की बात नहीं है, पूरे भारत की बात है। पूरे देश में किसी न किसी कोने में एक कश्मीर तैयार हो रहा है। इसके पीछे उन्होंने इस्लाम के माध्यम से लोगों को बहकाने, आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने, मारने-काटने, रेप करने के लिए उकसाना बताया।
दिव्या ने आगे कहा कि इसके पीछे जमात है, हुर्रियत के लोग हैं, पाकिस्तान है, इसके पीछे एक अंतर्राष्ट्रीय साजिश है, जो कि सरकार को पता है, लेकिन फिर भी इस पर काम नहीं हो रहा है। उन्होंने बताया कि कश्मीर को अगर इस्लामिक स्टेट कहें तो इसमें कोई बड़ी बात नहीं होगी, क्योंकि यहाँ पर लगभग 99% मुस्लिम हैं, और 1% से भी कम में हिंदू, सिख आदि हैं। वो कहती हैं, “देश में एक इस्लामिक स्टेट है और वो कश्मीर है। तो इसे आप हल्के में मत लीजिए, जो चीज इराक और सीरिया में होती आ रही है वही कश्मीर में भी हो रहा है और यह 13वीं शताब्दी से हो रहा है। आज भी 21वीं शताब्दी में इराक और सीरिया में हो रहा है, कश्मीर में उसी का प्रतिबिंब दिख रहा है और यही असलियत है।”
इंडिया फॉर कश्मीर (India4Kasmir) के संस्थापक रोहित कचरू ने कहा कि इसमें चौंकने वाली तो कोई बात ही नहीं है। ये तो एक दिन होना ही था। अब तो हम लोगों ने इतनी लाशें देख ली, इतनी लाशों को कंधा दे दिया कि अब समझ में ही नहीं आता कि कैसे रिएक्ट करूँ? उन्होंने बताया कि जिस इलाके में ये घटना हुई है, वहाँ पर एक भी हिंदू राजनीतिक क्षेत्र में नहीं है, न तो एमएलए और न ही एमपी। एकमात्र हिंदू सरपंच अजय पंडिता थे, जिन्हें आतंकवादियों ने मौत के घाट उतार दिया।
वो आगे कहते हैं कि आतंकवादियों ने उन्हें मारा है तो इसका मतलब है कि वो कुछ अच्छा कर रहे होंगे। स्थानीय लोगों को डर होगा कि कल को कहीं ये एमएलए या एपमपी न बन जाए, कहीं ये लोगों की सोच को न बदल दे, लोगों के अंदर के भय को न मिटा दे। इसलिए इसे यहीं पर खत्म कर दो। जड़ से ही मिटा दो। स्थानीय लोग आतंकवादियों से संपर्क करते हैं और वो आकर गोली मारकर चले जाते हैं और कोई उन्हें पकड़ भी नहीं पाता है। इसके बाद सोशल मीडिया पर कश्मीरी मुसलमान इसकी तारीफ करते हैं कि वाह, बहुत अच्छा काम किया।
तो सोचने वाली बात है कि जब उन्हें हिंदू सरपंच तक बर्दाश्त नहीं तो फिर भला वो एमएलए एमपी क्या बनने देंगे? उन्होंने तो राज्य को इस्लामिक बना दिया है। वहाँ शरिया चलता है। वो कहते हैं, पीएम मोदी ने अनुच्छेद 370 हटाकर बहुत अच्छा काम किया है। इसके लिए मैं उनका सदा आभारी रहूँगा। लेकिन अभी भी जमीनी स्तर पर काफी कुछ करना बाकी है। हकीकत में वहाँ के लोगों की स्थिति आज भी नहीं सुधरी है। हम सरकार से कश्मीरी पंडितों के पॉलिटिकल एम्पोवेर्नमेंट की माँग करते हैं। डोमिसाइल से आप 1-2 लाख लोगों को तो वहाँ भेज दोगे, लेकिन होगा क्या? वो एक दो बम गिराकर सबको उड़ा देंगे। उनके लिए तो ये और भी अच्छा होगा। एक साथ इतने हिंदुओं को मारना तो जिहाद है उनके लिए।
रोहित आगे कहते हैं, “इसलिए हमें पॉलिटिकल एम्पॉवरमेंट चाहिए। जब आप एंग्लो इंडियन को नॉमिनेशन दे सकते हो तो हमें क्यों नहीं? जब तक हमारे पास पॉलिटिकल पावर नहीं होगी, हम कुछ नहीं कर पाएँगे। कल को यदि हम कश्मीर से चुनाव लड़ने का सोचें तो उस क्षेत्र से नहीं लड़ेंगे, क्योंकि जो अजय पंडिता के साथ हुआ है, वो हमारे साथ भी हो सकता है। इंसान तभी यह कर सकता है, जब वह अपने परिवार की मोह-माया त्याग दे और ये सोच ले कि वो मरने जा रहा है। इधर कुछ हिंदू भी बीजेपी कॉन्ग्रेस में ही उलझ रहे हैं। ये नहीं देखते कि एक हिंदू मरा है। उनका तो मकसद ही हमें उलझाना है, जो उन्होंने कर दिया। उनका बलिदान बेकार नहीं जाना चाहिए। सरकार को हमारी सुरक्षा के लिए सोचना चाहिए।”
इंडिया फॉर कश्मीर (India4Kasmir) की प्रवक्ता साक्षी मट्टू ने इसके पीछे की वजह डोमिसाइल सर्टिफिकेट (प्रोसिजर) रूल्स, 2020 को बताया। जिसके तहत 1989 के बाद कश्मीर घाटी से विस्थापित उन सभी हिंदू परिवारों को प्रदेश का स्थाई निवासी होने का प्रमाण पत्र जारी किया जाएगा, जो प्रदेश से निकलकर देश के अन्य हिस्सों में बस गए। मगर, उनके बच्चों या परिवार के अन्य सदस्यों को राज्य का स्थाई निवासी होने का प्रमाण पत्र नहीं मिल पाया।
उन्होंने बताया कि 1990 में भी इसी तरह से शुरुआत हुई थी। पहले हिंदूओं के प्रतिष्ठित और नामी नेताओं को निशाना बनाया गया। वो कहती हैं, “अनंतनाग और शोपियाँ आतंकवादियों का हब है। अजय पंडिता वहाँ से चुनाव जीतकर सरपंच बने थे। तो अब सोचने वाली बात है कि वो वहाँ पर सेवा तो मुसलमानों की ही कर रहे थे न। क्योंकि हिंदू तो वहाँ पर 1% से भी कम है। इनके लिए हर हिंदू काफिर है और इनका किसी भी प्रतिष्ठित या शासन करने वाले पोस्ट पर रहना उन्हें कतई बर्दाश्त नहीं है।”
साक्षी ने कहा, “370 के बाद इनकी कमर टूट गई है। सरकार ने बहुत ही उम्दा तरीके से इसे हैंडल किया है, मगर ये नया डोमिसाइल लॉ इन्हें पच नहीं रहा है, क्योंकि इससे वहाँ के विस्थापित हिंदुओं को फिर से स्थाई नागरिक का अधिकार मिल सकता है। ये बातें उन्हें खटक रही है। वो लोग दावा करते हैं कि कश्मीर इस्लामिक राज्य है, मगर कश्मीर का नाम ऋषि कश्यप के नाम पर पड़ा था तो जाहिर सी बात है कि हिंदू संस्कृति थी। मगर सच्चाई यही है कि कश्मीर का इस्लामीकरण हो चुका है। वह शरिया के हिसाब से चलता है, मगर अब डोमिसाइल आने से उन्हें लग रहा है कि उनका हुकूमत खत्म होने वाला है। इसलिए इस तरह की वारदात करके वो ये संदेश देना चाहते हैं कि कश्मीर में 1990 से लेकर अभी तक कुछ नहीं बदला है। अभी भी वहाँ पर हिंदुओं की स्थिति वैसी ही है। उन्होंने संदेश दिया है कि अगर आप यह सोचते हैं कि कोई गैर हिंदू यहाँ पर आकर रह सकता है, तो वो बात अपने दिलो-दिमाग से निकाल दीजिए।”
इसके साथ ही वो मानवाधिकार आयोग और वामपंथी लॉबी पर भी हमला बोला। उन्होंने कहा कि ये कश्मीर में इंटरनेट बंद होने पर तो दुनिया सिर पर उठा लेते हैं, मुसलमानों के साथ कुछ होता है तो उसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उछाला जाता है, मगर जब बात हिंदुओं के हत्या की होती है, तो ये इनकी डिक्शनरी में फिट ही नहीं होता है। ये उनके लिए मायने ही नहीं रखते है। उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री फारुख अब्दुल्ला पर भी निशाना साधा। आतंकवादियों ने स्पष्ट संदेश दिया कि जब सरपंच की हत्या हो सकती है, तो फिर आप कितने सुरक्षित हो, खुद सोच लो।
साथ ही उन्होंने इस तरफ भी इशारा किया कि हिंदू सरपंच की हत्या के बाद आप कश्मीरी मुसलमानों के सोशल रिएक्शन देखेंगे तो आप समझ जाएँगे कि आखिर ऐसा क्यों हो रहा है? आतंकवादियों के हौसले वहाँ पर बुलंद क्यों हैं? उन्होंने कहा कि अगर आप एक टूरिस्ट की तरह कश्मीर जाएँगे तो आपकी काफी आवभगत करेंगे, क्योंकि उन्हें पैसा चाहिए, आप नहीं। अगर आप वहाँ के निवासी बनने की कोशिश करेंगे तो यही होगा। वहीं एक्टिविस्ट आशीष कौल ने बताया कि उन्हें लगातार इस्लामी आतंकवाद की तरफ से धमकियाँ मिलती रहती थी।
लेखक : रचना कुमारी
आपको बता दें कि प्राचीनकाल में कश्मीर हिन्दू संस्कृति का गढ़ रहा है। यहाँ पर भगवान शिव और सती पार्वती रहते थे । यहाँ झील में देवताओं का वास था, वहाँ एक राक्षस भी रहने लगा, जो देवताओं को सताने लगा, जिसका वैदिक ऋषि कश्यप और देवी सती ने मिलकर अंत कर दिया, ऋषि कश्यप द्वारा उस असुर को मारने से उस जगह का नाम कश्यपमर पड़ा, जो आगे चलकर कश्मीर नाम से जाना जाने लगा । लेकिन भारत के बंटवारे के बाद जवाहरलाल नेहरू की गलती के कारण आज कश्मीर पर आतंकवाद फेल गया और हिंदुओं की बुरी हालत हुई। वर्त्तमान केंद्र सरकार ने 370 हटाकर उनकी कमर तोड़ दी है लेकिन जब तक हिंदू एकजुट होकर कश्मीर के लिए समर्थन नही करेगा तब तक हिंदू वहाँ बसकर सुरक्षित नही रह पाएंगे इसलिए हिंदुओं को एक होने की अत्यंत आवश्यकता हैं।
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