Wednesday, January 22, 2020

पेरियार की असलियत अब दुनिया के सामने आ चुकी है !!

22 जनवरी 2020

*🚩सुपरस्टार रजनीकान्त जी ने पेरियार का कड़वा सच दुनिया के सामने ला दिया तो पेरियार के अंधानुयायी इस तरह चीखने लगे जैसे किसी ने उनकी पूछ पर पैर रख दिया हो। कुछ दिन पहले योग गुरु बाबा रामदेव ने भी पेरियार के बारे मे कुछ बोला तो ये लोग परेशान हो गए।*

*🚩पेरियार का उद्देश्य हमारे महान इतिहास, हमारी संस्कृति, हमारे धर्म ग्रन्थ, हमारी सभ्यता और हमारी परंपरा को खत्म करने का था।*

*🚩पेरियार ने 1940 में दक्षिण राज्यों जैसे तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक और आँध्रप्रदेश को मिलाकर द्रविड़स्तान बनाने का प्रयास भी किया था। जिसे अंग्रेजों और राष्ट्रभक्त नेताओं ने सिरे से नकार दिया था। पेरियार का प्रभाव केवल तमिल नाडु और श्री लंका में हुआ जिसका नतीजा तमिल-सिंहली विवाद के रुप में निकला।*

*🚩पेरियार ने तमिलनाडु के प्रसिद्द कवि सुब्रमण्यम भारती की भी जमकर आलोचना करी थी। कारण भारती द्वारा अपनी कविताओं की रचना संस्कृत भाषा में करी गई थी। जबकि पेरियार उसे विदेशी आर्यों की मृत भाषा मानते थे। सत्य यह है कि पेरियार को हर उस चीज से नफरत थी जिस पर हम भारतीय गर्व करते है।*

*🚩पेरियार कम्युनिस्टों को अपना सहयोगी मानते थे क्योंकि वे उन्हीं के समान देश विरोधी राय रखते थे। पेरियार को भारतीय संस्कृति और इतिहास से सख्त नफरत थी।*

*🚩पेरियार ने एक बच्ची को गोद लिया नाम था मनिअम्मई। 31 साल  की उम्र तक वह लड़की पेरियार को अप्पा कहती थी। उसके बाद पेरियार ने 72 साल की उम्र मे उससे ही विवाह कर लिया था।*

*🚩आइए जानिए पेरियार के रामायण सम्बन्धी विचार। उसके साथ महर्षि वाल्मीकि कृत रामायण मे मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री रामचन्द्र जी के विषय मे ।*

*🚩कुछ दिन पहले तमिलनाडु से एक खबर थी । कुछ लोगों ने सड़कों पर प्रदर्शन करने निकले और उन्होंने श्री राम जी के चित्र को जूते लगाए।  2 अप्रैल 2018 को दलित आंदोलन के नाम पर हनुमान जी के चित्र को जूते मारे गए। तमिलनाडु के मृत नेता पेरियार को इस विघटनकारी मानसिकता का जनक कहा जाये, तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। पेरियार ने दलित वोट-बैंक को खड़ा करने के लिए ऐसा घृणित कार्य किया था। ये लोग भी अपनी राजनीतिक हितों को साधने के लिए उन्हीं का अनुसरण कर रहे है। पेरियार ने अपने आपको सही और श्री राम जी को गलत सिद्ध करने के लिए एक पुस्तक भी लिखी थी जिसका नाम था सच्ची रामायण।*

*🚩सच्ची रामायण पुस्तक वाल्मीकि रामायण की समान कोई जीवन चरित्र नहीं है। बल्कि हम इसे रामायण की आलोचना में लिखी गयी एक पुस्तक कह सकते है। इस में रामायण के हर पात्र के बारे में अलग अलग लिखा गया है। उनकी यथासंभव आलोचना की गई है। इस में राम ,सीता ,दशरथ हनुमान आदि के बारे में ऐसी ऐसी बाते लिखी गई है।* *जिनका वर्णन करने में लेखनी भी इंकार कर दे। सब से बड़ी बात सच्ची रामायण में पेरियार ने जबरन कुछ पात्रों को दलित सिद्ध करने का प्रयास किया है। इन (स्वघोषित) दलित पात्रों का पेरियार ने जी भरकर महिमामंडन किया। यहाँ तक की रावण की इस पुस्तक में बहुत प्रशंसा की गई है। यहाँ तक कहा गया है कि राम उसे आसानी से हरा नहीं सकते थे।* *इसलिए उसे धोखे से मार गया। इसी पुस्तक में लिखा है के सीता अपनी इच्छा से रावण के साथ गयी थी क्यों के उन्हें राम पसंद नहीं थे।पेरियार श्री राम के विषय में लिखते है कि तमिलवासियों तथा भारत के शूद्रों तथा महाशूद्रों के लिये राम का चरित्र शिक्षा प्रद एवं अनुकरणीय नहीं है।*

*राम के बारे में पेरियार का मत है कि वाल्मीकि के राम विचार और कर्म से धूर्त थे। झूठ, कृतघ्नता, दिखावटीपन, चालाकी, कठोरता, लोलुपता, निर्दोष लोगों को सताना और कुसंगति जैसे अवगुण उनमें कूट-कूट कर भरे थे। पेरियार कहते हैं कि जब राम ऐसे ही थे और रावण भी ऐसा ही था तो फिर राम अच्छे और रावण बुरा कैसे हो गया?*

*🚩पेरियार राम में तो इतनी कमियां निकालते हैं, किन्तु रावण को वे सर्वथा दोषमुक्त मानते हैं। वे कहते हैं कि स्वयं वाल्मीकि रावण की प्रशंसा करते हैं और उनमें दस गुणों का होना स्वीकार करते हैं। उनके अनुसार रावण महापंडित, महायोद्धा, सुन्दर, दयालु, तपस्वी और उदार हृदय जैसे गुणों से विभूषित था। जब हम वाल्मीकि के कथनानुसार राम को पुरुषोत्तम मानते हैं तो उसके द्वारा दर्शाये इन गुणों से संपन्न रावण को उत्तम पुरुष क्यों नहीं मान सकते? सीताहरण के लिए रावण को दोषी ठहराया जाता है, लेकिन पेरियार कहते हैं कि वह सीता को जबर्दस्ती उठाकर नहीं ले गया था,  बल्कि सीता स्वेच्छा से उसके साथ गई थी। इससे भी आगे पेरियार यह तक कहते हैं कि सीता अन्य व्यक्ति के साथ इसलिये चली गई थी क्योंकि उसकी प्रकृति ही चंचल थी ।*

*🚩रामायण के राम से पहले संविधान मे अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता पर बात करें। ध्यान दे यह स्वतन्त्रता रजनीकान्त या स्वामी रामदेव को नहीं है।*

*★1 - पेरियार भगवान् राम को गाली देता है, सीता जी को चरित्रहीन और रावण को महान बताता है और दक्षिण भारत में महानायक बन जाता है। उत्तर प्रदेश उसकी मुर्तिया चौराहों पर लगती हैं.. कानून संविधान उसके साथ खड़ा है..*

*★2 - कन्नड़ में किताब छपती है.पेड़ से बाँध कर श्री राम और कृष्ण को पीटने का कार्टून बनता है. दलित समूहों में इस कार्टून को 10 हजार Like। कानून संविधान उसके साथ खड़ा है।*

*★3- ऐ के रामानुजन एक बकवास लिखता है 300 रामायण। इसे दिल्ली विश्विद्यालय में शामिल किया जाता है. कानून संविधान उसके साथ खड़ा है।*

*◆4- अमिष त्रिपाठी नाम का आदमी किताब लिखता है Sita: Warrior of Mithila. किताब क्या है. अलिफ़ लैला की कहनियों से भी अधिक काल्पनिक। कानून संविधान उसके साथ खड़ा है.*
*इन्हे अभिव्यक्ति की आजादी है क्योंकि जय श्रीराम कहने वाले चुप हैं.*
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*🚩रामायण का प्रमुख पात्र राम मनुष्य रूप में आदर्श और मर्यदापुर्षोत्तम थे। इसलिए वाल्मीकि ने स्पष्ट लिखा है कि श्री राम विश्वासघात, छल, कपट, लालच, कृत्रिमता, हत्या,आमिष-भोज,और निर्दोष पर तीर चलाने की साकार मूर्ति थे।*

*एतदिच्छाम्यहं श्रोतु परं कौतूहलं हि मे।महर्षे त्वं समर्थो$सि ज्ञातुमेवं विधं नरम्।।* (बालकांड सर्ग १ श्लोक ५)

*🚩आरंभ में वाल्मीकि जी नारदजी से प्रश्न करते है कि “हे महर्षि ! ऐसे सर्वगुणों से युक्त व्यक्ति के संबंध में जानने की मुझे उत्कट इच्छा है,और आप इस प्रकार के मनुष्य को जानने में समर्थ हैं।*

*🚩महर्षि वाल्मीकि ने श्रीरामचंद्र को सर्वगुणसंपन्न कहा है।*

*🚩अयोध्याकांड प्रथम सर्ग श्लोक ९-३२ में श्री राम जी के गुणों का वर्णन करते हुए वाल्मीकि जी लिखते है।*

*सा हि रूपोपमन्नश्च वीर्यवानसूयकः।भूमावनुपमः सूनुर्गुणैर्दशरथोपमः।९।कदाचिदुपकारेण कृतेतैकेन तुष्यति।न स्मरत्यपकारणा शतमप्यात्यत्तया।११।*

अर्थात्:- *श्रीराम बड़े ही रूपवान और पराक्रमी थे।वे किसी में दोष नहीं देखते थे।भूमंडल उसके समान कोई न था।वे गुणों में अपने पिता के समान तथा योग्य पुत्र थे।९।।कभी कोई उपकार करता तो उसे सदा याद करते तथा उसके अपराधों को याद नहीं करते।।११।।*

*आगे संक्षेप में इसी सर्ग में वर्णित श्रीराम के गुणों का वर्णन करते हैं।देखिये *श्लोक १२-३४*। *इनमें श्रीराम के निम्नलिखित गुण हैं।*

*१:-अस्त्र-शस्त्र के ज्ञाता।महापुरुषों से बात कर उनसे शिक्षा लेते।*
*२:-बुद्धिमान,मधुरभाषी तथा पराक्रम पर गर्व न करने वाले।*
*३:-सत्यवादी,विद्वान, प्रजा के प्रति अनुरक्त;प्रजा भी उनको चाहती थी।*
*४:-परमदयालु,क्रोध को जीतने वाले,दीनबंधु।*
*५:-कुलोचित आचार व क्षात्रधर्मके पालक।*
*६:-शास्त्र विरुद्ध बातें नहीं मानते थे,वाचस्पति के समान तर्कशील।*
*७:-उनका शरीर निरोग था(आमिष-भोजी का शरीर निरोग नहीं हो सकता),तरूण अवस्था।सुंदर शरीर से सुशोभित थे।*
*८:-‘सर्वविद्याव्रतस्नातो यथावत् सांगवेदवित’-संपूर्ण विद्याओं में प्रवीण, षडमगवेदपारगामी।बाणविद्या में अपने पिता से भी बढ़कर।*
*९:-उनको धर्मार्थकाममोक्ष का यथार्थज्ञान था तथा प्रतिभाशाली थे।*
*१०:-विनयशील,गुरुभक्त,आलस्य रहित थे।*
*११:- धनुर्वेद में सब विद्वानों से श्रेष्ठ।*

*कहां तक वर्णन किया जाये? वाल्मीकि जी ने तो यहां तक कहा है कि लोके पुरुषसारज्ञः साधुरेको विनिर्मितः। ( वही सर्ग श्लोक १८)*

अर्थात्:- *उन्हें देखकर ऐसा जान पड़ता था कि संसार में विधाता ने समस्त पुरुषों के सारतत्त्व को समझनेवाले साधु पुरुष के रूपमें एकमात्र श्रीराम को ही प्रकट किया है।*

*🚩अब पाठकगण स्वयं निर्णय कर लेंगे कि श्रीराम क्या थे? लोभ,हत्या,मांसभोज आदि या सदाचार और श्रेष्ठतमगुणों की साक्षात् मूर्ति।*
*श्री राम तो रामो विग्रहवान धर्मः अर्थात धर्म के मूर्त रूप है।*

*पूर्व न्यायाधीश मार्कंडेय काटजू के अनुसार , " तथ्य यह है कि पेरियार ब्रिटिश एजेंट था। उसने जातिगत् घृणा ही फैलाई , विशेषरुप से ब्राह्मणों के विरुद्ध...।*


*🚩सच में देखा जाये तो पेरियार के नास्तिकता और तर्कवाद के दायरे से इस्लाम और ईसाइयत बाहर थी। ब्राह्मणों को नष्ट करना ही जातिविहीन समाज का आधार था। इनका जातियां तोड़ो अभियान केवल ब्राह्मण विरोध ही था। उन्हें हिंदू धर्म शास्त्रों में महिलाओं के प्रति भेदभाव तो दिखा पर इस्लाम में महिलाओं की स्थिति पर चुप्पी लगा गये। नमाज , अजान , हालेलुइया आदि प्रार्थनायें तमिल में हो ऐसा कहने से भयभीत हो गये।*

*🚩एक पत्नीव्रती भगवान राम और पतिव्रताओं की आदर्श भगवती माता सीता का अपमान करने वाला पेरियार खलनायक है और रहेगा।*

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