Sunday, January 19, 2020

विज्ञापनों द्वारा हिंदू संस्कृति तोड़ने की साजिश, सुहाना भी वही कर रहा

19 जनवरी 2020
www.azaadbharat.org
*🚩टीवी, इंटरनेट आदि माध्यम द्वारा दिखाया जा रहा विज्ञापनों में हिंदू संस्कृति तोड़ने का भयंकर षडयंत्र चल रहा है।*
*🚩आजकल टीवी पर सुहाना मसाला का एक घटिया विज्ञापन आ रहा है जिसमें शाकाहारवाद का मजाक उड़ाया गया है।*
*🚩विज्ञापन में एक सिख बच्चा बटर चिकन खाने के लिए अपने गुजराती दोस्त को बुलाता है।  उसकी गुजराती माँ, जो किचन में खाना बनाने में व्यस्त है, लड़के से पूछती है कि वह कब वापस आएगा।  अपने शाकाहारी घरवाले परेशान ना हों, इसके लिए वह झूठ बोलता है और कहता है कि वह अपने अगले दरवाजे वाले दोस्त से नोट्स लेने जा रहा है। फिर वह अपने मित्र के घर जाकर बटर चिकन खाता है। फिर बच्चे का परिवार दोपहर के भोजन में शाही पनीर बनाता है।  पेट भरा होने पर भी गुजराती बच्चा दोपहर के भोजन करने के लिए बैठ जाता है और खाते ही बोलता है - "ये शाही पनीर तो बटर चिकन जैसा मस्त है"।  यह सुनकर खाने की मेज पर साथ भोजन कर रहे उसके शाकाहारी परिवार को बड़ा झटका लगता है।*
*🚩इस विज्ञापन से समाज में बहुत बुरा असर पड़ रहा है। इस विज्ञापन से हो रहे नुकसान 👇🏻*
*👉🏻 इससे समाज मांसाहार की तरफ आकर्षित होगा। इसमें बच्चे की आड़ में मांसाहार को सही दिखाने की चेष्टा की गई है, जो बहुत गलत है। इससे छोटे बच्चों में मांसाहार के संस्कार जा रहे हैं, जो बहुत भयावह है।*
*👉🏻 बच्चे इस विज्ञापन से झूठ बोलना सीखेंगे। वे अपने माँ बाप को झूठ बोलेंगे।*
*👉🏻 इससे शाकाहारी परिवारों की भावना को ठेस पहुँची है। सोचिए एक शाकाहारी को अगर कोई खाना खाते वक़्त मांस का नाम ले तो उसे उस समय कितनी घिन्न आएगी, वो ठीक से भोजन भी नहीं कर पायेगा। इस विज्ञापन में तो ये दृश्य दिखाकर शाकाहारियों का मजाक उड़ाया गया है।*
*👉🏻 इस विज्ञापन में एक हिन्दू गुजराती बच्चे को एक सिख बच्चे के घर बटर चिकन खाते दिखाया गया है। ना हिन्दू धर्म मांसाहार का समर्थन करता है, ना सिख धर्म। ये सीधे इन दोनों धर्मों का अपमान है।*
*🚩वेदों में कहा गया है:-*
*"व्रीहिमत्तं यवमत्तमथोमाषम तिलम्*
*एष वां भागो निहितो रत्नधेयाय*
*दन्तौ मा हिंसिष्टं पितरं मातरं च।''*
*अर्थ: चावल खाओ, जौ खाओ, उड़द खाओ और तिल खाओ। हे ऊपर-नीचे के दांत तुम्हारे ये भाग निहित हैं उत्तम फलादि के लिए। किसी नर और मादा को मत मारो।*
*तिल भर मछली खायके, कोटि गऊ दे दानम*
*कासी करवट ले मरै, तो भी नरक निदान।।*
*🚩संत शिरोमणि कबीरदास जी कहते हैं कि जो तिल भर मछली-मांस खाकर उसको प्रायश्चित करने के लिए करोडों गायों का दान दे और काशी में करवट लेकर देह त्यागे तो भी वह अज्ञानी नरक यातना ही भोगेगा उसकी मुक्ति हो ही नहीं सकती।*
*जीव हनै हिंसा करै, प्रगट पाप सिर होय।*
*पाप सबन जो देखिया, पुन्न न देखा होय।।*
*🚩संत शिरोमणि कबीरदास जी कहते हैं कि जो किसी जीव को मारता है, हिंसा कर्म करता है प्रत्यक्ष रूप से उसके सिर पर पाप का भार होता है। उसका हिंसा का कर्म तो सबको दिखाई देता है पर भले ही वह पुण्य के काम भी करता हो पर वह किसी को दिखाई नहीं देते।*
*🚩गुरु नानक साहिब शाकाहारी भोजन के बड़े दृढ़ समर्थक थे।  मोहसिन फ़ानी अपनी प्रसिद्द फ़ारसी रचना 'दबिस्ताने मज़ाहिब' में, जो कि गुरु नानक जी के बारे में एक विश्वसनीय पुस्तक है, कहा है: 'वे (गुरु नानक साहिब) माँस - शराब के विरुद्ध थे । उन्होनें स्वयं इन वस्तुओं के प्रयोग से परहेज़ किया और जीवों के प्रति निर्दयतापूर्ण व्यवहार के विरुद्ध प्रचार किया।"*
*🚩विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार मांसाहार का सेवन करना हमारे शरीर के लिए उतना ही नुकसानदायक होता है जितना कि धूम्रपान असर करता है । इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पका हुआ मांस खाने से कैंसर का खतरा बना रहता है ।*

*🚩ऐसे धर्म भी हैं जो मांसाहार को जायज मानते हैं, उस धर्म के बच्चे क्यों नहीं दिखाए विज्ञापन में। हिन्दू धर्म और सिख धर्म की आस्था का अपमान क्यों?*
*🚩सुहाना मसाला ने सारी मर्यादाएं तोड़ दी हैं। ऐसे विज्ञापन समाज के लिए अति घातक हैं। अपने निजी फायदे के लिए बच्चों को गलत शिक्षा क्यों दे रही है सुहाना मसाला कंपनी? क्यों हिन्दू धर्म और सिख धर्म की आस्था से खिलवाड़ कर रही है सुहाना कम्पनी? इसका विरोध करना बहुत जरूरी है।*
*🚩विरोध कैसे करें?*
*🚩आप सुहाना कंपनी के ऑफिस में फोन करके अपना विरोध दर्ज करा सकते हैं।*
*🚩पुणे, महाराष्ट्र में ऑफिस के दूरभाष नम्बर 👇🏻*
020-67092095
020-26872095
020-26878017
*🚩आप कम्पनी को E-mail करके भी अपना विरोध दर्ज करा सकते हैं। इस E-mail ID पर E-mail करें 👇🏻*
*🚩विज्ञापनों द्वारा भारतीय संस्कृति पर प्रहार करना कोई नई बात नहीं। Surf Excel के एक विज्ञापन में एक मुस्लिम लड़के को होली के निमित्त हिन्दू लड़की को रंग लगाते दिखाया गया और कहा गया कि 'दाग अच्छे हैं।' कंडोम के विज्ञापन द्वारा विवाह पूर्व संबंधों को जायज दिखाने की कोशिश होती है जो सीधा हिन्दू संस्कृति पर हमला है। परफ्यूम, टूथपेस्ट आदि के विज्ञापनों में लड़के का लड़की की तरफ आकर्षित होना दिखाया जाता है जबकि हिन्दू संस्कृति ब्रह्मचर्य की शिक्षा देती है।*
*🚩इससे पहले कि देर हो जाये, विज्ञापनों द्वारा हिन्दू संस्कृति पर कुठाराघात के खिलाफ हिन्दुओं को एक होना होगा और ऐसे विज्ञापन बनाने वालों के उत्पादों का बहिष्कार करना होगा।*
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