Thursday, October 3, 2019

गौमूत्र बेचकर किसान हो रहे है मालामाल, 140 रुपये लीटर बिक रहा है

03 अक्टूबर 2019

गौझरण (गौमूत्र) में गंगाजी का वास होता है। आयुर्वेद में गौमूत्र के ढेरों प्रयोग बताएं गए हैं। गौमूत्र का रासायनिक विश्लेषण करने पर वैज्ञानिकों ने पाया, कि इसमें 24 ऐसे तत्व हैं जो शरीर के विभिन्न रोगों को ठीक करने की क्षमता रखते हैं। आयुर्वेद के अनुसार गौमूत्र का नियमित सेवन करने से कई बीमारियों को खत्म किया जा सकता है। जो लोग नियमित रूप से थोड़े से गौमूत्र का भी सेवन करते हैं, उनकी रोगप्रतिरोधी क्षमता बढ़ जाती है। शरीर स्वस्थ और ऊर्जावान बना रहता है।
आपको बता दे कि गौ उत्पादों की मांग में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। गौ संरक्षण और गौ उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए राजस्थान सरकार ने अलग से गोपालन निदेशालय बनाने के बाद अब गौमूत्र के एक्सपोर्ट को बढ़ावा देने का निर्णय लिया है। राज्य की प्रमुख गौशालाओं के गौमूत्र के दाम में अचानक दो से तीन गुना तक तेजी आई है। हालात यह हो गए कि गौमूत्र दूध से अधिक महंगा बिक रहा है। गौमूत्र और इससे बनने वाली औषधियां बाजार में खूब बिक रही है। विदेशों में भी इनकी मांग बढ़ी है।

बताया गया है कि प्रदेश की प्रमुख गौशालाओं का गौमूत्र 135 से 140 रूपए प्रति लीटर बिक रहा है, जबकि दूध की कीमत 45 से 52 रूपए प्रति किलो है। गौमूत्र के सेवन में लोगों की दिलचस्पी इतनी बढ़ी है की राज्य के बड़े शहरों में गौ उत्पादों में दुकानें बड़े शौरूम की तरह खुल गई हैं। इनमें सबसे अधिक मांग गौमूत्र की है। ये भी कहा गया है कि पथमेड़ा गौशाला, जयपुर की दुर्गापुरा गौशाला और नागौर की श्रीकृष्ण गोपाल गौशाला से तो गौमूत्र विदेशों में भी भेजा जा रहा है।
जानकारी के मुताबिक़, गौशाला प्रबंधन से जुड़े लोगों का कहना है कि पिछले कुछ समय से ग्राहकों की संख्या बढ़ी है। गौमूत्र के साथ ही दुकानों पर डायबीटीज, पेट और मोटापा कम करने की औषधियां भी गौ उत्पादों से बन रही है। गौशालाओं में सुबह-सुबह 5 से 6 बजे के बीच बड़ी संख्या में लोग हाथ में गिलास या कटोरी लेकर ताजा गौमूत्र पीने के लिए पहुंचते है। पथमेड़ा गौशाला के सेवक रामकृष्ण का कहना है कि देशी गाय के गौमूत्र से कई रोगों का इलाज स्वत: ही हो जाता है। योगाचार्य ढाकाराम का कहना है कि गौमूत्र अमृत की तरह होता है। निरोगी काया के लिए इससे उत्तम अन्य कोई औषधी नहीं है।
राज्य के गौपालन मंत्री प्रमोद जैन भाया ने बताया कि राज्य में करीब चार हजार गौशालाएं हैं। इनमें से 1363 गौशालाएं गोपालन विभाग में पंजीकृत हैं। पंजीकृत गौशालाओं को सरकार द्वारा अनुदान दिया जाता है। उन्होंने बताया कि गौसंरक्षण को बढ़ावा देने के लिए सरकार गौ उत्पादों की बिक्री बढ़ाने को लेकर भी जागरूकता अभियान चला रही है। उन्होंने बताया कि गौशालाओं का पंजीकण बढ़ाने को लेकर अधिकारियों से कहा गया है।
राजस्थान में कृषि विभाग के प्रमुख सचिव नरेश पाल गंगवार का कहना है कि गौमूत्र की बिक्री के साथ ही गाय पालने वालों की संख्या में भी बढ़ोतरी हुई है। गाय के दूध के साथ ही गौमूत्र और इससे बनने वाली औषधियों की डिमांड भी बढ़ी है। नागौर की श्रीकृष्ण गौशाला और एशिया की सबसे बड़ी पथमेड़ा गौशाला ने आसपास के किसानों को गौमूत्र के माध्यम से रोजगार दे रखा है। किसान गौमूत्र इकठ्ठा करके इन गौशालाओं में बेचते है। इसके बाद गौशाला मार्केट में बेचती है।
राजस्थान की राजधानी जयपुर में दुर्गापुरा गौशाला में काम करने वाले लोगों ने बताया कि गौमूत्र का उपयोग अन्य कई कार्यो में किया जाता है। कुछ लोग खाना पकाने में पानी के स्थान पर गौमूत्र का उपयोग कर रहे हैं। इस गौशाला से प्रतिदिन करीब दो हजार लीटर गौमूत्र तैयार हो रहा है। इस गौमूत्र को गर्म करने के बाद अमोनिया निकालकर पैक करके बाजार में बेचा जा रहा है। यहां का गौमूत्र स्थानीय मार्केट के अलावा विदेशों में भी बिकने के लिए जा रहा है।
घर में गौमूत्र छिड़कने से लक्ष्मी कृपा मिलती है और वास्तु दोषों का समाधान हो जाता हैं। गौमूत्र का सेवन वृद्धावस्था को रोकता है और शरीर को स्वस्थ्यकर बनाए रखता है।
यह तो केवल गौमूत्र की बात हुई बाकी गाय का दूध, घी, दही, गोबर भी पृथ्वी पर का अमृत है इससे सिद्ध होता है कि गौमाता मनुष्य के कितनी उपयोगी है इसलिए गौहत्या बंद करके गाय माता का अधिक से अधिक पालन करना चाहिए इससे अधिक कमाई भी होगी और हर मनुष्य स्वस्थ, सुखी रहेगा डॉक्टरों की आवश्यकता कम पड़ेगी।
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