03 अगस्त 2019
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हिन्दू धर्म व हिंदू धर्मग्रंथ मनुष्य को इतना ऊंचा उठा देते हैं कि उसकी कल्पना करना भी संभव नहीं है। दुनिया में हिंदू धर्म व हिंदू धर्मग्रंथ के बारे में पढ़ाया जाए और उसपर थोड़ा सा अमल कर लिया जाए तो हर मनुष्य सुखी, स्वस्थ्य एवं सम्मानित जीवन जी सकता है। जिन्होंने भी थोड़ा सा हिंदू धर्म व ग्रन्थों का आदर किया है वे आसानी से ऊँचे मुकाम पर पहुंचे हैं ।
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ऐसी ही एक कहानी दीपक राज की है जो ऑस्टेलिया में विधायक बन गए और गीता पर हाथ रखकर शपथ ग्रहण की।
बता दें कि अपने देश के लोग दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में बसे हैं। भारतीय संस्कृति के अनुसार जीवन यापन करके इन लोगों ने अपनी काबिलियत के दम पर कामयाबी हासिल की और देश और परिवार का नाम रोशन किया । वहां के समाज में अपनी पकड़ मजबूत की, जिसकी वजह से भारत और भारतीयों को लेकर विदेशियों में अत्यधिक सम्मान की भावना रहती है। इसी कड़ी में उत्तर प्रदेश में जन्मे दीपक राज गुप्ता ने ऑस्ट्रेलिया में विधानसभा सदस्य के रूप में शपथ ली। इस दौरान वे यह नहीं भूले कि वो एक हिंदू हैं, इसलिए उन्होंने गीता हाथ में लेकर पद और गोपनीयता की शपथ ली।
दीपक Gungahlin विधानसभा सीट से चुने गए हैं। इससे पहले 2016 के चुनाव में भी वे इसी सीट से चुनाव लड़े थे और दूसरे नंबर पर रहे थे। जब उनसे पूछा गया कि गीता के नाम पर शपथ लेने का खयाल कैसे आया ? तो उन्होंने कहा कि मैं एक हिंदू परिवार से आता हूं। मैं जिस क्षेत्र से चुना गया हूं, वहां हिंदुओं की बहुत बड़ी जनसंख्या है। वे मुझे अपना मानते हैं इसलिए उन्होंने मुझे अपना नेता चुना। चुनाव जीतने के बाद मेरे दिमाग में ख्याल आया कि क्यों न भगवत गीता हाथ में लेकर मैं अपने पद की शपथ लूं।
बता दें, दीपक राज 1989 में ऑस्ट्रेलिया पहुंचे। वे यहां पढ़ने के लिए आए थे। जब वे भारत में थे तब वे चंडीगढ़ में एक रेस्टोरेंट में काम करते थे ताकि परिवार को पाल सकें। उन्होंने ऑस्ट्रेलिया में भी सफलता पाने के लिए बहुत कोशिश की। कई बार असफल भी रहे, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी।
स्त्रोत : ज़ी न्युज
स्त्रोत : ज़ी न्युज
ऑस्ट्रेलिया में दीपक राज ने भरी संसद में कहा कि मैं हिंदू हूँ और मुझे हिंदुओं ने चुना है पर क्या भारत में हिंदू नेता इतनी हिम्मत कर पाएंगे ? आज जो हिंदूवादी सरकार सत्ता में आई है वह हिंदुओं की एकजुटता का परिणाम है और हिंदुओं की मांग है कि गौहत्या बंद हो, श्री राम मंदिर बने, सबको समान अधिकार मिले, संतों की रिहाई हो, स्कूलों में श्रीमद्भगवद्गीता, रामायण आदि पढ़ाई जाएं, मंदिर एवं आश्रम सरकार अधीन मुक्त किया जाये, धर्मान्तरण पर बेन लगाया जाये आदि मांगे हैं, जो सरकार पूरी कर सकती है।
आपको बता दें कि श्रीमद्भगवद्गीता जैसे ग्रंथों की बहुउपयोगिता के कारण ही विदेश के कई स्कूलों, कॉलेजों, विश्वविद्यालयों, प्रबंधन #संस्थानों ने इस ग्रंथ की सीख व उपदेश को अपने पाठ्यक्रम में शामिल किया है ।
अमेरिका के #न्यूजर्सी में स्थापित कैथोलिक सेटन #हॉ यूनिवर्सिटी में, गीता को #अनिवार्य पाठ्यक्रम के रूप में शामिल किया है ।
रोमानिया देश में कक्षा 11 की पाठ्यपुस्तकों में रामायण और महाभारत के अंश हैं ।
इंग्लैन्ड के एफ.एच.मोलेम लिखते हैं कि
"बाईबल का मैंने यथार्थ अभ्यास किया है, उसमें जो दिव्यज्ञान लिखा है वह केवल गीता के उद्धरण के रूप में है । मैं ईसाई होते हुए भी गीता के प्रति इतना सारा आदरभाव इसलिए रखता हूँ क्योंकि जिन गूढ़ प्रश्नों का समाधान पाश्चात्य लोग अभी तक नहीं खोज पाए हैं, उनका समाधान गीता ग्रंथ ने शुद्ध और सरल रीति से दिया है । उसमें कई सूत्र अलौकिक उपदेशों से भरपूर लगे इसीलिए गीता जी मेरे लिए साक्षात् योगेश्वरी माता बन रही हैं । वह तो विश्व के तमाम धन से भी नहीं खरीदा जा सके, ऐसा भारतवर्ष का अमूल्य खजाना है ।"
"बाईबल का मैंने यथार्थ अभ्यास किया है, उसमें जो दिव्यज्ञान लिखा है वह केवल गीता के उद्धरण के रूप में है । मैं ईसाई होते हुए भी गीता के प्रति इतना सारा आदरभाव इसलिए रखता हूँ क्योंकि जिन गूढ़ प्रश्नों का समाधान पाश्चात्य लोग अभी तक नहीं खोज पाए हैं, उनका समाधान गीता ग्रंथ ने शुद्ध और सरल रीति से दिया है । उसमें कई सूत्र अलौकिक उपदेशों से भरपूर लगे इसीलिए गीता जी मेरे लिए साक्षात् योगेश्वरी माता बन रही हैं । वह तो विश्व के तमाम धन से भी नहीं खरीदा जा सके, ऐसा भारतवर्ष का अमूल्य खजाना है ।"
श्रीमद्भगवद्गीता की महिमा विदेशी लोग जानकर उसका फायदा उठा रहे हैं, फिर भारतवासीयों को उससे वंचित नहीं रहना चाहिए । स्कूलों - कॉलेजों में गीता पढ़ानी चाहिए।
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