27 अगस्त 2019
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हिंदु धर्म और भारत को सबसे बड़ा खतरा अगर किसी से है तो वे है ईसाई मिशनरियों से क्योंकि ये लोग भारत में स्लो पोइजन की तरह काम कर रहे है, नीचे लगी दीमक की तरह काम कर रहे हैं जो हरे भरे पेड़ को सुखाने की कोशिश कर रहे हैं, देशवासियों को इनसे बहुत सावधान रहने की आवश्यकता है नही तो ये लोग देश की संस्कृति खत्म करके अपना आधिपत्य जमाना चाह रहे है।
ईसाई मिशनरियों के काले चिट्ठे का जो पर्दाफाश करते हैं, उनसे सचेत करते है और जिनको लालच या धमकी देकर जो लोगो को धर्मान्तरण करवाया उनकी घर वापसी करवाते है उनकी हत्या कर दी जाती है या जेल भेज दिया जाता है।
इसके कई उदाहरण है ओडिसा में स्वामी लक्ष्मणानंद जी की हत्या कर दी गई, शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती और हिंदू संत आसाराम बापू को मीडिया में बदनाम करके जेल भिजवा दिया। शांति कालिदास की भी हत्या करवा दी थी।
हिंदू संत शान्ति काली जी महाराज का जन्म पूर्वोत्तर भारत के त्रिपुरा के सुब्रुम जिले में हुआ, इन्होंने त्रिपुरा में मिशनरियों के ईसाई बनाने के नंगे नाच को स्वीकार करने से इंकार कर दिया। त्रिपुरा में फाल्गुन मास 1979 में शांति काली आश्रम की स्थापना की । यहाँ इन्होने सनातन धर्म से दूर हो रहे जनमानस और जनजातीय इलाकों में गरीब लोगों के लिए विद्यालय, अस्पताल खुलवाए । इन्होंने गरीब लोगों की भरपूर मदद की ताकि जनजातीय लोग ईसाई मिशनरी के चंगुल में ना फंसे।
27 अगस्त 2000 को स्वामी जी अपने आश्रम में अपने कुछ अनुयायियों के साथ बैठे थे। वहां धर्म आदि के प्रचार और प्रसार की चर्चा चल ही रही थी कि अचानक ही उन पर मिशनरी समर्थित NLFT के आतंकियों ने हमला कर दिया। स्वामी जी का शरीर गोलियों से बिंध गया। रात 8 बजे इन पर निकट से गोलियां चलाई गई। इन्हें तत्काल होस्पिटल लेजाया गया। जहाँ रात 11 बजे इन्होने अंतिम सांस ली।
इन्हें क्यों मारा गया--
क्योंकि ये ईसाई मिशनरियों के उस विष वृक्ष की जड़ खोदने में लगे हुए थे जो पूर्वोत्तर भारतीयों को उनकी संस्कृति से काटने की कोशिश कर रहा है। मिशनरी और कौमनष्ट लम्बे समय से यह बता रहे हैं कि त्रिपुरा भारत का हिस्सा नहीं है। ये उन गरीब हिन्दू वनवासियों की सहायता कर रहे थे जो मिशनरी के लिए कच्चा माल हैं। बस यही बात मिशनरियों को चुभ गई।
वैर केवल व्यक्ति से नहीं उनके कार्यों से भी था-
ईसाई आतंकी जिनका सम्बन्ध NLFT से था यहीं नहीं रूके। उनकी हत्या के 4 महीने बाद 4 दिसम्बर 2000 को शान्ति काली आश्रम ( चाचू बाजार निकट सिद्धाई पुलिस स्टेशन) में घुस गए। इस तरह NLFT ने 11 आश्रम, स्कूल और अनाथालय बंद करवाए।
मीडिया इस तरह की जानकारी को दबा जाता है। क्योंकि इन महान पुण्यात्माओ का कोई वोट बैंक नहीं होता इस लिए कोई सरकार कोई संस्था इनके लिए कदम नहीं उठाती। ध्यान रखिए यदि हम चुप रहे तो कल हमारी भी बारी आएगी।
http://www.tripura.org.in/ shantikali.htm
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गांधी जी का स्पष्ट मानना था कि ईसाई मिशनरियों का मूल लक्ष्य उद्देश्य भारत की संस्कृति को समाप्त कर भारत का यूरोपीयकरण करना है। उनका कहना था कि भारत में आम तौर पर ईसाइयत का अर्थ है भारतीयों को राष्ट्रीयता से रहित बनाना और उसका यूरोपीयकरण करना।
भारत में वर्तमान में प्रत्येक राज्य में बड़े पैमाने पर ईसाई धर्मप्रचारक मौजूद है जो मूलत: ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में सक्रिय हैं।
भारत में ईसाई मिशनरियां विदेशी फडिंग से भारत में धर्मान्तरण का धंधा जोरो शोरो से चला रही हैं इसके कारण हिंदूओं की जनसंख्या घटती जा रही और मीडिया हिन्दू विरोधी एजेंडा चला रही है ये अत्यंत चिंताजनक स्थिति है, इसपर रोक लगाने के लिए विदेश की फंडिग बंद करना जरूरी है और धर्मांतरण पर रोक लगाना अत्यंत जरूरी है।
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