March 4, 2018
हाल में एकमात्र राष्ट्रवादी चैनल सुदर्शन न्यूज के मुख्य संपादक श्री सुरेश चव्हाणके भारत बचाओ अभियान यात्रा पर हैं वो जब लखनऊ में पहुँचे तो उन्होंने हिन्दू संत आसाराम बापू का खुलकर समर्थन किया ।
उन्होंने कहा कि आजादी के पहले की स्थिति और मुगलों के समय का तो मुझे पता नहीं लेकिन आजादी के बाद हिंदुस्तान में सबसे ज्यादा षड्यंत्रपूर्वक जिनको प्रताड़ित किया गया उन संत का नाम है आसाराम बापू जी। सबसे ज्यादा प्रताड़ित..इतनी प्रताड़ना की पराकाष्ठा मैंने कहीं नहीं देखी ।
Suresh Chavanke: After Independence, the highest punishment was given to those who are Sant Asaram Bapu |
हम सब जानते हैं कि कैसे कानून का दुरुपयोग किया गया है ।
सुरेश जी ने आगे कहा कि यात्री भाइयों को बताना चाहता हूँ कि कानून का मिसयूज कैसे किया जाता है मैक्सिमम मतलब उस Max का अंत नहीं इतना सब कुछ। बापू आसारामजी पर आरोप लगाने वाली उस लड़की की उम्र के कारण पॉक्सो एक्ट लगाया गया जबकि वह अल्पायु नहीं है बाकि डॉक्यूमेंट है किसी ने सुने न सुने ।
जो घटना घटी वहां पर मैं खुद गया था और खुद जाकर वह डिस्टेंस कितना है वो सब चेक किया ।वाकई में क्या हुआ होगा इतनी देर में और मेरे साथ में मैं और कई पत्रकार और पुलिस अधिकारियों को भी लेकर गया था। ऐसे कई चीजों का विश्लेषण किया और कितनी चीज है जो हमारे (बापू आशारामजी के ) पक्ष में है उसके बावजूद भी किसी चीज को कानून के कटघरे में डाल दो और सालों किसी को जेल में सड़ाओ । मैंने तो ऐसा दूसरा कोई केस देखा नहीं जो बापूजी के बारे में देखा है ।
अत्याचार सहकर भी सेवाकार्य कर रहे हैं
सुरेश जी ने आगे बताया कि बापू आसारामजी तो अंदर है लेकिन यह लोग (बापू आसारामजी के अनुयायी ) जो आज बापू आसारामजी का नाम लेकर इतना बड़ा कार्य चला रहे हैं विभिन्न आपदाओं के बावजूद कितनों को क्या-क्या झेलना नहीं पड़ा होगा पहले कुछ समय तक तो यह मीडिया वालों की गंदी गेम के कारण बापू आसारामजी का नाम लेकर चलने वाले व्यक्ति की तरफ लोग गलत निगाह से देखते थे, कितनी हीन भावना से कैसे कैसे गंदे कॉमेंट्स रहे होंगे, काम करना कितना मुश्किल रहा होगा ।
मित्रों! हम तो निकले हैं फूल माला मिल गई है ठीक है हमारे पीछे यात्रा के कई षड्यंत्र हो रहे हैं कोई कोर्ट में जा रहा है कोई अधिकारी आगे आकर उसको रोक रहा है लेकिन जो बापू आसारामजी के भक्तों ने झेला है मुझे लगता है कि इस देश में किसी राजनीतिक पार्टी के कार्यकर्ता नेता या यहां तक कि बंगाल, केरला में जो राजनीतिक कार्यकर्ता पर अत्याचार होते हैं उससे भी 1000 गुना ज्यादा अत्याचार बापू आसारामजी के भक्तों पर हुए। कितनी महिलाओं को लाठी डंडे झेलने पड़े कितने लोगों ने मतलब आप में से कई लोगों ने तो अपने घर को स्वाहा किया ।
अनुयायी समाज तक सच्चाई पहुँचा रहे हैं
सुरेश जी ने कहा कि बापू आसारामजी के भक्तों का कहना है कि नहीं नहीं हम लड़ेंगे क्योंकि पीछे हटेंगे तो पता नहीं यह लड़ाई कमजोर हो जाएगी मैं ऐसे कई लोगों (बापू आसारामजी के भक्तों ) को जानता हूँ जिनकी दुकान तक बंद हो गई, जिनकी नौकरी छूट गई वह फिर भी थैला लेकर प्रूफ लेकर लोगों के पास जा रहे हैं RSS के लोगों को मिलते है, BJP से मिलते हैं, सत्ता से जुड़े लोगों को मिलते हैं, पत्रकारों को मिलते हैं, हमारे पास भी आते हैं कितने लोग मतलब वो कोई एक्टिविस्ट नहीं है लेकिन मैं बताऊं जब आप (षडयंत्रकारी) अत्याचार की अति कर देते हो तो उसके बाद सत्य का जो चक्र है ना वह उल्टा परिणाम देने लगता है, और वह चक्र क्या परिणाम दे रहा है यह तमाम वह लोग हैं जो लोग ईश्वर और खुद इसमें कनेक्ट है ।
एक षडयंत्र ने करोड़ो राष्ट्रवादी पैदा किये
आगे बताते हुए सुरेश जी ने कहा कि बापू आसारामजी पर हुए अत्याचार ने इस देश में कई करोड़ हिंदूवादी एक्टिविस्ट पैदा कर दिए । जो (बापू आसारामजी के अनुयायी ) भक्ति भाव और भजन के आगे जाते नहीं थे देश में बाकि क्या चीजें हो रही हैं वह स्वाभाविक से आदमी अलग चीजों में होता है धार्मिक क्षेत्र का, लेकिन आज ज्यादातर लोग (बापू आसारामजी के अनुयायी) सोशल मीडिया में एक्टिव है, Twitter का ट्रेंड चलाते हैं, मैसेजेस भेजते हैं, भाषण सीख गए हैं। ऐसी ऐसी महिलाएं मुझे नहीं लगता कि वह घूंघट वाली महिलाएं हैं । मैंने दिल्ली में देखी थी ।प वह चौराहे पर खड़े होकर भाषण दे सकती है यह सारा जोश उनके अंदर जो भरा वह इस एक घटना (बापू आसारामजी पर षड्यंत्र) ने भरा! कभी कभी मुझे ऐसा लगता है कि शायद हिंदुत्व का आंदोलन कमजोर पड़ रहा है और उस आंदोलन में एक साथ कई करोड़ कार्यकर्ता की जरूरत थी क्योंकि एक साथ कई कार्यकर्ता तो बड़ी मुश्किल है । आपको तो पता है कि कार्यकर्ता खड़ा करना कितना मुश्किल होता है लेकिन हजारों साल के हिंदुत्ववादी मूमेंट में किसी एक घटना ने अगर करोड़ों कार्यकर्ताओं को खड़ा किया होगा तो बापू आसारामजी की घटना ने किया है यह इतिहास याद रखेगा की एक घटना का परिवर्तन कैसे होता है। हमें इस घटना का आज भी दुःख है ।
न्यापालिका को पछताना पड़ेगा
सुरेश जी ने आगे कहा कि मैं दावा करता हूं कि आने वाले दिनों में हिंदुस्तान को और न्यायपालिका को पछतावा करना पड़ेगा कि दोनों ने जो बापू आसारामजी पर अत्याचार किये वो कितने गलत थे ।
न्यापालिका बिकती है
सुरेश जी ने आगे कहा कि अब केस अंतिम स्टेज में है कभी भी कुछ भी हो सकता है । बापू आसारामजी जी हमारे लिए पवित्र थे हैं और रहेंगे और हम यह केवल मैं आप लोगों के सामने नहीं कहता हूँ बल्कि मैं आप लोगों के सामने कम बोलता हूँ चैनल पर इससे ज्यादा बोलता हूँ। अब आजकल कार्यक्रम इसलिए नहीं कर रहे हैं क्योंकि केस चल रहा है पॉजिटिव होगा तो तो हम हैं ही कुछ नेगेटिव भी होता है तो हम आपसे आगे रहेंगे हमेशा हमेशा से ज्यादा इस देश में न्यायपालिकाएं बिकती हैं प्रभावित होती है यह मैं पहले भी कह चुका हूँ आगे भी कहता हूँ कैमरे पे कहता हूँ क्योंकि मुझे ये कहने में डर नहीं है खुद न्यायपालिका के अंदर के ही सिस्टम के अंदर के जज से लेकर मजिस्ट्रेट वकील इस बात को दोहरा चुके हैं इसलिए इन व्यवस्थाओं से बहुत ज्यादा भरोसा करने की जरूरत नहीं है।
दिव्य शक्ति की इच्छा से नव हिंदुस्तान का निर्मित
सुरेश जी ने बताया कि हम तो दिव्य व्यवस्था के वाहक हैं और इसलिए हमने उस दिव्य व्यवस्था पर अपनी श्रद्धा रखनी चाहिए भाव रखना चाहिए । वही व्यवस्था इन तमाम चीजों को क्योंकि भगवान किस बंदे से क्या करना चाहता है कोई बता नहीं सकता कभी-कभी वह बातें समझने में सौ-सौ साल लग जाते हैं और इसीलिए हम यह माने कि दिव्य शक्ति की इच्छा के आधार पर नव हिंदुस्तान को निर्मित करने की आवश्यकता है । आने वाले दिन बहुत मुश्किल हैं, मैंने जो यात्रा निकाली है जान हथेली पर लेकर जिस मुद्दे को उठाया है, लोग एक दूसरे को चार लोगों में ही इस मुद्दे को बोलना नहीं चाहते उनको लगता है कि कोई सुन लेगा तो पता नहीं क्या हो जाएगा हम तो खुले मैदान में यात्रा लेकर निकले हैं इसलिए क्योंकि इससे बड़े-बड़े होल इससे बड़े-बड़े आश्रम पाकिस्तान में थे ना लेकिन उनका क्या हो गया और इसलिए यह अगर बचा रहे तो एक ही चीज काम आ सकती है वह है हिंदू का बहुसंख्यक होना और वह होने के लिए जो कानून जरूरी है हम दो हमारे दो तो सबके दो तो इसके लिए हम प्रयास कर रहे हैं। बापू आसारामजी के भक्त तमाम जगह पर मेरे साथ हैं ही, हमारे दो भाई यात्रा में मेरे साथ चल रहे हैं।
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