अगस्त 1, 2017
गुजरात राज्य के बहुचर्चित 2005 में #सोहराबुद्दीन एनकाउंटर मामले में मुम्बई सीबीआई की विशेष अदालत ने गुजरात पुलिस के पूर्व #DIG डीजी वंजारा और IPS #दिनेश एमएन को आरोपों से बरी कर दिया है। दोनों अधिकारियों पर फर्जी एनकाउंटर का आरोप था। उन्हें कई साल जेल में बिताने पड़े थे।
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डिस्चार्ज एप्लीकेशन पर बहस के बाद कोर्ट ने सबूतों के अभाव में दोनों को आरोपों से मुक्त कर दिया।
#दिनेश एमएन वर्तमान में राजस्थान एसओजी में आईजी के पद पर तैनात हैं। 2005 में हुए #सोहराबुद्दीन शेख एनकाउंटर मामले में सीबीआई ने अपनी चार्जशीट में बताया था कि यह कोई एनकाउंटर नहीं बल्कि सोची-समझी #साजिश के तहत कॉन्ट्रैक्ट मर्डर था।
गुजरात पुलिस ने दावा किया था कि उसका आतंकवादी संगठन लश्कर से संबंध था। इस मामले में अप्रैल, 2007 में आरोपी बनाए गए गुजरात के पूर्व डीआईजी #डीजी वंजारा और #दिनेश एमएन के अलावा #राजकुमार पंडियन को #गिरफ्तार किया गया था। बाद में अदालत ने लंबी सुनवाई के बाद पंडियन को रिहा कर दिया था। #2014 में वंजारा जी को भी #जमानत मिल गई थी
सोहराबुद्दीन केस में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष #अमित शाह समेत कई दूसरे नेताओं को भी आरोपी बनाया गया था। इन सभी को पहले ही बरी किया जा चुका है।
बरी किए जाने के बाद अपनी पहली प्रतिक्रिया में वंजारा जी ने कहा,'हमने अदालत में आरोपमुक्त किए जाने के संबंध में आवेदन दिया था और हम दोनों को बेकसूर घोषित किया गया है। हो सकता है कि भारतीय न्याय व्यवस्था धीरे काम करती हो, पर वह न्याय देती है।'
आपको बता दें कि तत्कालीन #कांग्रेस सरकार ने #इंटरनेट तक #हिन्दुत्व को बदनाम करने के लिए कई हिन्दू #साधु-संतों और #हिन्दुत्वनिष्ठों को #झूठे केस बनाकर जेल में भेजा था और #मीडिया द्वारा खूब बदनामी करवाई थी ।
डीजी वंजारा निर्दोष तो बरी हो गये लेकिन उनको #8 साल से अधिक समय तक जेल में रखा गया, वो उनका कीमती समय क्या कानून लौटा पायेगा ???
मीडिया ने भी उस समय खूब बदनामी की लेकिन जैसे ही उनको निर्दोष बरी किया गया तब मीडिया ने चुप्पी साध ली । जब भी कोई #हिंदुत्वनिष्ठ पर #आरोप लगता है तो #मीडिया उनकी समाज में इतनी #बदनामी करती है कि जैसे वो आरोपी नहीं अपराधी हो । पर जब वही निर्दोष छूट कर आते हैं तो मीडिया को मानो सांप सूंघ जाता है।
विचार कीजिये, क्या सिर्फ #हिन्दुत्वनिष्ठों को #बदनाम करने का #मीडिया का #एजेंडा है..???
कछुवा छाप चलने वाली हमारी #न्याय प्रणाली भी मीडिया के प्रभाव में आकर #हिन्दुत्वनिष्ठों को न्याय नही दे पाती है ।
और न्याय मिल भी जाता है तो इतना देरी से मिलता है कि न्याय नही मिलने के ही बराबर हो जाता है । क्या #देरी से #न्याय मिलना #अन्याय नहीं है ???
गौरतलब है कि अब शंकराचार्य अमृतानन्द, #कर्नल पुरोहित, #बापू #आसारामजी, #श्री #नारायण साईं, #धनंजय देसाई आदि को फंसाने के पीछे कई सबूत मिल चुके हैं। लेकिन उनको भी अभीतक जमानत मिल नही पाई है ।
क्या उनको इसलिये जेल में रखा गया है कि वो कट्टर हिंदुत्ववादी हैं..???
उन्होंने लाखों हिंदुओं की #घरवापसी करवाई है ।
विदेशी प्रोडक्ट पर रोक लगाई है ।
#विदेशी ताकतों ने #मीडिया से सांठ-गांठ कर #हिन्दू संतों को #बदनाम करवाया । जिसका असर न्यायपालिका के फैसलों पर भी पड़ा ।
अतः विदेशी फंड से चलने वाली मीडिया से भारतीय सावधान रहें ।
अब देखना ये है कि #हिन्दुत्वादी कहलाने वाली #सरकार #कब इन #हिन्दू #संतों को भी #न्याय दिलवाती है..???
कांग्रेस सरकार ने तो षडयंत्र करके हिन्दू सन्तों एवं हिन्दुत्वनिष्ठों को जेल भेज दिया था पर अब हिंदुत्ववादी कहलाने वाली #BJP सरकार कैसे हिंदुओं के माप-दण्ड पर खरी उतरती है , ये देखना है ।
कब निर्दोष संतों की जल्द से जल्द सह-सम्मान रिहाई करवाती है उसी पर सभी हिंदुओं की निगाहें टिकी है ।
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