राजस्थान विश्वविद्यालय में शुरु होगी गीता तथा वेदों की पढ़ाई
राजस्थान विश्वविद्यालय में विदेशी लेखकों और रचनाकारों को पाठ्यक्रम से हटाने के बाद अब वाणिज्य विभाग ने शोध विषयों की सूची में से अपने कार्यों को हटा दिया है। बेहतर #मैनेजमेंट सीखने के लिए अब बैकिंग और फाइनेंस की जगह गीता और वेदों की पढ़ाई होगी। इसके लिए प्रस्तावित विषयों में वेद और मैनेजमेंट, भगवान कृष्ण, महावीर, महात्मा गांधी, गीता की प्रासंगिकता, योग के माध्यम तनाव प्रबंधन शामिल हैं।
राजस्थान विश्वविद्यालय में शुरु होगी गीता तथा वेदों की पढ़ाई |
कॉमर्स #महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य और पाठ्यक्रम समिति के पूर्व अध्यक्ष नवीन #माथुर ने कहा, ‘यह कदम उठाने के पीछे का उद्देश्य छात्रों को #भारतीय महाकाव्य, धार्मिक व्यक्तियों, भारतीय दर्शन से अवगत करा कर विश्व में प्रबंधन को नया रुप देना है। हमारे महाकाव्यों में सभी वे तत्व हैं जो आधुनिक प्रबंधन का आधार तैयार करते हैं।’
सांगठनिक सिद्धांत और आचरण के क्षेत्र में बड़ा नाम माने जाने वाले रॉबर्ट ओवेन, जेम्स बर्नहम, मैरी पार्कर फोलेट जैसे #विदेशी लेखकों के प्रकरण तथा पब्लिक एंड बिजनस #एडमिनिस्ट्रेशन को हटा दिया गया है। उनकी जगह स्वामी विवेकानंद, महात्मा गांधी के दर्शन के साथ ही रामायण और गीता के धार्मिक विषयों को भी जगह दी गर्इ है।
माथुर ने बताया, ‘विश्व में स्वीकार की जाने वाले मैनेजमेंट के ज्यादातर सिद्धांत #भारतीय पुराणों से लिए गए हैं, जो कि 5 हजार वर्ष प्राचीन हैं। हमने बस चीजों को सही किया है।’
#वाणिज्य विभाग ने कहा कि शोध प्रबंधों में बदलाव, उच्च शिक्षा का धीरे धीरे भारतीयकरण करने का हिस्सा है।
भगवद्गीता की शिक्षा को अनिवार्य करने के लिए विधायक लोकसभा में प्रस्तुत
शैक्षिक #संस्थाओं में नैतिक शिक्षा की पाठ्यपुस्तक के रूप में भगवद् गीता की अनिवार्य रूप से शिक्षा प्रदान किये जाने के प्रावधान वाले एक निजी विधेयक को 10 मार्च को #लोकसभा में भाजपा सदस्य रमेश बिधूड़ी ने पुन:स्थापित किया जिसमें प्रस्ताव है कि भगवद्गीता को पाठ्यक्रम में अनिवार्य शिक्षण के लिए शामिल किया जाए।
गुजरात विश्वविद्यालय की #डायरी में प्राचीन ऋषि-मुनियाें को सराहा...
वड़ोदरा, #गुजरात के महाराज सयाजीराव यूनिवर्सिटी (एमएसयू) की वार्षिक डायरी में प्राचीन भारत के साधु-संतों को लेकर दावा किया है कि, इन साधु-संतों ने एयरोस्पेस और परमाणु विज्ञान के क्षेत्र में शोध शुरू किया था। एमएसयू की 2017 की डायरी में ऐसे साधु-संतों की एक सूची है जिनके बारे में कहा गया है कि, उन्होंने #वैज्ञानिक विकास की दिशा में कई अहम काम किए, जिनमें मेडिकल के क्षेत्र में कॉस्मेटिक सर्जरी भी शामिल है।
जनवरी से लेकर दिसंबर तक हर महीने के पन्नों पर डायरी में विभिन्न साधु-संतों के योगदान की सराहना की गई है। उदाहरण के तौर पर – संत सुश्रुत को ‘#कॉस्मेटिक सर्जरी का पितामह’ बताया गया है तो आचार्य कणाद को परमाणु #प्रौद्योगिकी विकसित करने का श्रेय दिया गया है। कपिल मुनि को ‘#ब्रह्माण्ड विज्ञान के पितामह’ और #आर्यभट्ट को ‘गणित-खगोल विज्ञान का प्रणेता’ करार दिया गया है और शून्य तथा पाइ के आविष्कारक के लिए उनकी प्रशंसा की गई है।
#रॉकेट और विमान के विकास का श्रेय महर्षि भारद्वाज को दिया गया है जबकि #भास्कराचार्य को गणितज्ञ और #खगोलशास्त्री के अलावा पृथ्वी विज्ञान का #आविष्कारक भी बताया गया है। इस लंबी सूची में स्वामी भारती कृष्ण तीर्थ को वैदिक गणितज्ञ बताया गया है और चरक ऋषि को आयुर्वेद की खोज करनेवाले और चिकित्सा-शास्त्र के पितामह के तौर पर सराहा गया है। #प्राचीन #साधु-संतों की प्रशंसा करने के अलावा डायरी के पन्नों में जगदीश चंद्र बोस, विक्रम साराभाई, सी वी रमण और श्रीनिवास रामानुजन जैसे आधुनिक भारतीय वैज्ञानिकों और विद्वानों की भी चर्चा की गई है।
गुजरात में जनसंघ के #संस्थापक नेता बाबूभाई सोनी के बेटे और एमएसयू के सिंडिकेट सदस्य #जगदीश सोनी ने डायरी में लिखी चीजों को सही ठहराते हुए कहा कि इन #संतों ने कई वर्ष पहले अपने नाम के आगे सूचीबद्ध विषयों पर शोध किए। आधुनिक वैज्ञानिकों की तरह वे भी इन विषयों पर वैज्ञानिक तरीके से शोध कर रहे थे।’
आज हमें सही #इतिहास पढ़ाया नही जाता है नही तो दुनिया में जितनी भी खोजे हुई हैं वो सभी भारत के #ऋषि-मुनियों ने ही की हैं लेकिन हमारा दुर्भाग्य है कि हमारा असली इतिहास ही गायब कर दिया गया और आज भी जितनी बड़ी-बड़ी खोजें हो रही हैं वो भी भारतीय ही कर रहे हैं लेकिन विदेशी लोगों ने पैसे की लालच देकर #भारतीयों को अपने देश में बुला लिया और नाम बदलकर अपना नाम रख दिया गया ।
लेकिन अब भारत जाग रहा है जिसमें राजस्थान सरकार ने बहेतर #मैनजमेंट के लिए #पाठ्यक्रम शुरू किया और #रमेश बिधूड़ी जैसे बहादुर विधायक ने सभी विद्यालयों में श्रीमद् भगवत गीता पढ़ाने के लिए विधेयक पेश कर दिया और गुजरात विश्व विद्यालय की डायरी में हर पन्नें पर हमारे ऋषि मुनियों द्वारा हुई खोज के बारे में सबको अवगत कराया ।
अभी अन्य #विश्वविद्यालयों को भी #राजस्थान विश्वविद्यालय को आदर्श बनाकर #गीता आैर #वेदों की पढ़ाई शुरु करनी चाहिए और सभी डायरियों द्वारा #ऋषि-मुनियों के इतिहास की सच्चाई से अवगत कराना चाहिए ।
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