07 मई 2019
सर्वोच्च न्यायालय की आंतरिक समिति ने मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई पर लगे यौन उत्पीड़न के आरोपों को निराधार पाया है।
रंजन गोगोई पर 19 अप्रैल को एक महिला द्वारा यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया गया, उसके बाद सुप्रीम कोर्ट की आंतरिक समिति बनाई गई । जिसमें जस्टिस बोबड़े, जस्टिस इंदिरा बनर्जी और जस्टिस इंदू मल्होत्रा शामिल थी, जिन्होंने जांच करके 6 मई को मुख्य न्यायाधीश को क्लीनचिट दे दी।
शिकायतकर्ता ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर इसे 'अन्याय' बताया है । उन्होंने कहा है कि, "मुझे जो डर था वही हुआ और देश के उच्चतम न्यायालय से इंसाफ की मेरी सभी उम्मीदें टूट गई हैं।"
क्लीनचिट देने के मामले में मंगलवार (7मई) को कई महिला वकील और सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है। किसी भी प्रकार की अवांछित स्थिति से बचने के लिए सुप्रीम कोर्ट परिसर के आसपास धारा 144 लगा दी गई थी। वहीँ पुलिस ने कई प्रदर्शनकारियों को हिरासत में भी लिया। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि महिला के सम्मान और न्याय के लिए यह लड़ाई है। पीड़िता के बयान को गंभीरता से नहीं लिया गया। फैसले के विरोध में लोगों ने नारेबाजी भी की।
जस्टिस रंजन गोगोई ने आरोपों को निराधार बताते हुए कहा था कि ये सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ रची जा रही बड़ी साजिश का हिस्सा है ।
आरोपों के बाद जस्टिस गोगोई ने कहा था कि शिकायतकर्ता के पीछे कुछ बड़ी ताकतें हैं जो सुप्रीम कोर्ट को अस्थिर करना चाहती हैं।
सोशल मीडिया पर भी लोगों की अलग-अलग प्रतिक्रिया आ रही थी, जिसमें लोगों का कहना था कि चीफ जस्टिस को पहले गिरफ्तार करिये कस्टडी में डालिये फिर सच सामने आएगा, तो कुछ कह रहे थे कि क्लीनचिट तो मिलना ही था ये तो हमें पहले से ही पता था, कुछ का कहना था कि 6 साल बिना जमानत के जेल में रहे और केस लड़ते फिर हम बोल सकते थे कि क्लीन चिट सही है, कुछ ये भी कह रहे थे कि आम नागरिक को तो जेल में ठूँस दिया जाता है और सालों तक न्याय नही मिल पाता और इन्हें कैसे 17 दिन में न्याय मिल गया? कुछ ने तो यहां तक कहा कि खुद को तुरंत क्लीनचिट दिलवा दी समय है तो श्री राम मंदिर पर भी सुनवाई कर लो थोड़ी और कहा कि वाह रे न्याय ! रेप केस में फंसे सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने खुद को निर्दोष साबित करवा लिया और हिंदू संत आशारामजी बापू जो पिछले 6 साल से झूठे रेप केस में जेल में हैं और बेल भी नहीं मिल रही है, उन्हें कब न्याय मिलेगा ??? क्या कानून सबके लिए बराबर नहीं होना चाहिए ???
इस तरह की अलग-अलग अनेक प्रतिक्रियाएं आ रही हैं, कुछ लोग चीफ जस्टिस के बचाव में बोल रहे थे कि यह औरत झूठी है उसको जेल में भेजो तो कुछ इनके विरोध में ।
इस तरह से जनता के अनेक कमेंट आ रहे थे, खैर जनता अपना-अपना मत रखती है पर चीफ जस्टिस की बात को भी नकार नहीं सकते कि यह एक षड्यंत्र है, क्योंकि देशहित में जो भी कार्य कर रहे हैं उनको फंसाने के लिए बलात्कार कानून का अंधाधुंध उपयोग किया जा रहा है, यह बात हम तो सालों से बता रहे हैं पर इस पर ध्यान किसी का नहीं जा रहा।
पिछले कुछ सालों से देश में रेप केस की बाढ़ सी आ गई है, एक तरफ इंटरनेट, टीवी, फिल्मों, चलचित्रों व अखबारों द्वारा ऐसी अश्लीलता भरी सामग्री परोसी जा रही है, जिससे रेप केस बढ़ रहे हैं दूसरी ओर कड़े कानून बनाए जा रहे हैं, अब तो ऐसा हो रहा है कि जो वास्तविकता में पीड़िता होती है उसको न्याय नही मिल पाता और बलात्कार के कड़े कानून का कुछ मनचली महिलाओं द्वारा बदला लेने या पैसे ऐठने या प्रसिद्ध व्यक्ति को फंसाने के लिए षडयंत्र के तरत भयंकर दुरुपयोग किया जा रहा है, ये समाज के लिए बहुत खरतनाक ट्रेंड है।
बलात्कार के कड़े कानून के शिकार सबसे पहले हिंदू संत आसाराम बापू हुए, उन पर शाहजहांपुर (उ.प्र) की रहने वाली, छिंदवाड़ा (म.प्र)में पढ़ने वाली, जोधपुर (राजस्थान) की घटना बताकर दिल्ली में FIR दर्ज करवाती है, वो भी घटना के 5 दिन बाद, लेकिन उस FIR की रिकॉर्डिंग गायब कर दी गई, हेल्पलाइन रजिस्टर के कई पन्ने फाड़ दिए गए, मेडिकल जांच में एक खरोंच का भी निशान नहीं और बड़ी बात कि घटना की रात लड़की किसी संदिग्ध व्यक्ति से लगातार संपर्क में थी, उस संदिग्ध व्यक्ति की कॉल डिटेल को कोर्ट में पेश भी किया गया फिर भी बापू आसारामजी को उम्रकैद की सजा दी गई । इससे साफ पता चलता है कि उनके खिलाफ कोई बड़ी साजिश रची गई है क्योंकि उन्होंने धर्मान्तरण पर रोक लगाई और देश-विदेश में हिन्दू धर्म का बड़े पैमाने पर प्रचार-प्रसार किया था।
ऐसे ही कानून के शिकंजे में फंसने का दूसरा उदाहरण है नारायण साईं । उनके पास लड़की जनवरी 2013 तक दर्शन करने व सत्संग सुनने आती है और अचानक अक्टूबर 2013 में 11 साल पुरानी FIR करवाती है और बोलती है 11 साल पहले दुष्कर्म हुआ था मेरे साथ, अगर 11 साल पहले हुआ था तो वो लड़की इतने साल तक उनके पास क्यों आती रही ?
अगर किसी लड़की के साथ रेप होता है तो क्या वो उसके पास दोबारा जायेगी?
फिर जिस स्थान और समय की घटना लड़की बताती है उस समय भी वहाँ न लडक़ी थी और न ही नारायण साईं थे, उसकी CD भी है कि वे किस जगह पर थे उस समय, फिर भी उनको उम्रकैद दे दी गई, क्या ये किसी षड्यंत्र की ओर इशारा नहीं ??
आज आम इंसान भी संत आसाराम बापू और उनके सुपुत्र नारायण साईं के केस को ध्यान से पढ़े तो वो ये कहे बिना नहीं रह सकता कि पिता पुत्र को फंसाया गया है ।
अब सवाल उठता है कि जैसे चीफ जस्टिस पर आरोप लगे और तुरंत जांच कमेटी बनाई और 17 दिन में ही क्लीनचिट मिल गई, महिला झूठी साबित हुई वैसे ही हर नागरिक, हिंदुनिष्ठ, हिंदू साधु-संतों पर जो झूठे आरोप लग रहे हैं उसके लिए भी स्पेशल जांच कमेटी बनाकर जांच करनी चाहिए । बिना सबूत सालों से जेल में रखना फिर उनको उम्रकैद दे देना वो भी बिना किसी सबूत के, क्या ये उनके साथ अन्याय नहीं ???
जैसे चीफ जस्टिस पर आरोप लगने के बाद मीडिया को इस मामले में संयम बरतने को कहा गया वैसे ही हिन्दू साधु-संतों के खिलाफ जो मीडिया 24 घंटे डिबेट चलाकर खबरें दिखाती है उसपर भी रोक लगनी चाहिए ।
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