04 फरवरी 2019
भारत देश को तोड़ने के लिए विदेशी ताकतें अलग-अलग प्रकार से हथकंडे अपना रही हैं, कभी स्कूलों में गलत इतिहास पढ़ाया जाना तो कभी मीडिया द्वारा भारतीय संस्कृति विरोधी एजेंडे चलना, कभी जातिवाद के नाम पर तोड़ना तो कभी विदेशी त्यौहारों को मनाकर भारतीय संस्कृति को तोड़ने का प्रयास करना ।
हाल ही में गए विदेशी त्यौहार क्रिसमस में केवल दिल्ली में 31 दिसम्बर की रात को शराब की खपत 16 लाख बोतल हुई मतलब करीब 45 करोड़ की शराब पी गये । साल 2017 में केवल दिसंबर महीने में 458 करोड़ रुपए की शराब बिकी थी । 2016-17 के वित्त वर्ष में सरकार को शराब की बिक्री से 4243 करोड़ रुपए का राजस्व मिला था ।
इससे हम अंदाजा लगा सकते हैं कि देशभर में हुई मात्र शराब की खपत से विदेशी कंपनियों ने कितने अरबों रुपये कमा लिये होंगे । मीडिया ने भी खूब जमकर प्रचार-प्रसार किया, जिसके कारण बलात्कार की घटनाएं बढ़ी, प्रदूषण का स्तर भी बढ़ा और युवावर्ग का चारित्रिक पतन हुआ ।
इसी तरह अभी एक और बड़ा विदेशी त्यौहार आने वाला है वैलेंटाइन-डे । जिसमें युवक-युवतियां एक दूसरे को फूल देंगे, महंगे गिफ्ट देंगे, ग्रीटिंग कार्ड देंगे, शराब पीएंगे, मांस खाएंगे, व्यभिचार करेंगे, पार्टियां करेंगे । जिससे देश के युवावर्ग की तबाही होगी और देश के अरबों-खबरों रुपये फिर पहुँच जाएंगे विदेशी कम्पनियों के पास ।
पाश्चात्य संस्कृति के इस त्यौहार वैलेंटाइन-डे को रोकने के लिए पिछले साल से झारखंड सरकार ने एक ऐतिहासिक फैसला लिया है जिसमें सभी सरकारी स्कूलों में 14 फरवरी को वैलेंटाइन-डे की जगह मातृ-पितृ पूजन दिवस मनाया जाएगा ।
झारखंड राज्य के लगभग 50 हजार सरकारी स्कूलों में मातृ-पितृ पूजन कार्यक्रम का आयोजन होगा । बच्चों को संस्कारी बनाने तथा उनमें अपने माता-पिता को भगवान तुल्य मानने की समझ विकसित करने को लेकर सभी स्कूलों में यह कार्यक्रम आयोजित होगा । पिछले साल स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग की मंत्री नीरा यादव ने विभाग के प्रधान सचिव अमरेंद्र प्रताप सिंह को पत्र लिखकर इस कार्यक्रम के आयोजन का निर्देश दिया है ।
बकौल मंत्री, इस कार्यक्रम का आयोजन साल में एक दिन सभी स्कूलों में होगा । विभाग चाहे तो सुविधानुसार अलग-अलग दिनों में भी स्कूलों में यह कार्यक्रम आयोजित किया जा सकता है, लेकिन अवकाश के दिन ही इस कार्यक्रम के आयोजन का निर्देश दिया गया है, ताकि माता-पिता बिना किसी परेशानी के उसमें शामिल हो सकें । कार्यक्रम में छात्र-छात्राएं अपने-अपने माता-पिता के पैर धोएंगे, उनकी आरती उतारेंगे तथा उन्हें अपने गले से लगाएंगे । मंत्री के अनुसार, जिस तरह की पूजा मंदिरों में भगवान की होती है । उसी भाव से बच्चे अपने माता-पिता की भी पूजा करेंगे । कार्यक्रम के दौरान माता-पिता से संबंधित गीत भी बजाए जाएंगे ।
झारखंड सरकार का फैसला सराहा गया, पूरे देश में लोग भूरी-भूरी प्रशंसा कर रहे हैं, लोगों की जुबान पर बस एक ही बात है कि मंत्री ऐसे ही होने चाहिए ।
आपको बता दें कि छत्तीसगढ़ सरकार ने तो पिछले कई सालों से पूरे राज्य के स्कूलों में 14 फरवरी को मातृ-पितृ पूजन लागू कर दिया है और हर साल 14 फरवरी को माता-पिता का पूजन किया जाता है ।
गौरतलब है कि पाश्चात्य सभ्यता की गन्दगी से युवावर्ग का चारित्रिक पतन होते देखकर हिन्दू संत आसारामजी बापू ने वर्ष 2006 से 14 फरवरी को वैलेंटाइन-डे की जगह "मातृ-पितृ पूजन दिवस" की अनूठी पहल की । जिसे उनके करोड़ो समर्थकों द्वारा देशभर में बड़े धूमधाम से स्कूलों, कॉलेजों, घरों,मंदिरों, पूजा स्थलों आदि पर मनाया जाने लगा । धीरे-धीरे इसमें कई हिन्दू संगठन व आम जनता जुड़ती चली गई और आज ये विश्वव्यापी अभियान के रूप में देखने को मिल रहा है ।
भारत में ही नहीं अमेरिका, दुबई, केनेडा आदि अनेक देशों में भी 14 फरवरी को मातृ-पितृ पूजन दिवस मनाया जाने लगा है । इस विश्वव्यापी अभियान से लाखों युवावर्ग पतन से बचे हैं एवं उनके जीवन में संयम व सदाचार के पुष्प खिले हैं ।
आज हम सभी का कर्तव्य बनता है कि पाश्चात्य संस्कृति का अनुसरण न करके अपनी महान संस्कृति की महानता समझे और दूसरों तक भी अपनी संस्कृति की सुवास पहुचाएं तथा उन्हें भी वैंलेंटाइन डे के दिन ‘मातृ-पितृ दिवस’ मनाने की सलाह दें ।
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