14 October 2018
‘गरबा खेलने’ को ही हिंदु धर्म में तालियों के लयबद्ध स्वर में देवी का भक्तिरस पूर्ण गुणगानात्मक भजन कहते हैं । गरबा खेलना, अर्थात तालियों की नादात्मक सगुण उपासना से श्री दुर्गादेवी को ध्यान से जाग्रत कर, उन्हें ब्रह्मांड के लिए कार्य करने हेतु मारक रूप धारण करने का आवाहन करना ।
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Know how to keep the history and caution of playing Garba in Navaratri |
पूर्वकाल में ‘गरबा’ नृत्य के समय देवी, कृष्णलीला एवं संत रचित गीत ही गाए जाते थे । वर्तमान काल में भगवान के इस सामूहिक नृत्य की उपसना में विकृतियां आ गई हैं । ‘रिमिक्स’, पश्चिमी संगीत अथवा चलचित्रों के गीतों की ताल पर अश्लील हावभाव में मनोरंजन के लिए गरबे के स्थान पर ‘डिस्को-डांडिया’ खेला जाता है । गरबे को निमित्त बनाकर व्याभिचार आदि भी किया जाता है । पूजास्थल पर तंबाकू सेवन, मद्यपान, ध्वनि प्रदूषण आदि अनुचित कृत्य भी किए जाते हैं । मूलत: एक धार्मिक उत्सव के रूप में मनाए जाने वाले इस कार्यक्रम को व्यावसायिक रूप प्राप्त हुआ है । ये धर्म एवं संस्कृति की हानि करना है । इसे रोकने हेतु उचित कृत्य करना अर्थात कालानुसार आवश्यक धर्मपालन करना ही है ।
अनुचित रूप से गरबा खेलते समय बढ़े रज-तम के कारण उस स्थान पर कष्टदायक तरंगें अधिक मात्रा में आकृष्ट होती हैं । अनिष्ट शक्तियां काली शक्ति प्रक्षेपित करती हैं । इस काली शक्ति का वहां उपस्थित व्यक्तियों पर न्यूनाधिक मात्रा में परिणाम होता है । परिणामस्वरूप व्यक्ति बहिर्मुख और विषयों के आधीन होता है ।
जब हम उत्कट भाव से देवताका आदर-सम्मान करेंगे, तभी उनकी कृपा प्राप्त कर पाएंगे । गरबा नृत्य में होने वाले अनाचारों जैसे कृत्यों से नहीं, भावपूर्ण पूजन से भक्त पर देवीमां की पूर्ण कृपा होती है । इसलिए गरबा खेलने को हिंदु धर्म में देवी की उपासना मानते हैं । इसमें देवी का भक्तिरसपूर्ण गुणगान करते हैं ।
इस समय देवीके समक्ष पारंपरिक भावपूर्ण नृत्यके साथ तालियों एवं छोटे-छोटे डंडोंसे लयबद्ध ध्वनि भी करते हैं । मूल पारंपरिक गरबा नृत्यमें तीन तालियां बजाई जाती हैं । पहली ताली नीचे झुककर, दूसरी ताली खडे होकर और तीसरी ताली हाथ ऊपर उठाकर बजाई जाती है ।
इस प्रकार तालियां बजाकर भजन एवं नृत्य करना एक प्रकार से सगुण उपासना ही है । इस उपासना पद्धति में तालियों के नादसे श्री दुर्गादेवी को जागृत करते हैं । और ब्रह्मांड में कार्य करने के लिए मारक रूप धारण करने के लिए आवाहन करते हैं ।
शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तुते ।।
नवरात्रि महिषासुर मर्दिनी मां श्री दुर्गादेवी का त्यौहार है । देवी ने महिषासुर नामक असुर के साथ नौ दिन अर्थात प्रतिपदा से नवमीतक युद्ध कर, नवमी की रात्रि उसका वध किया । उस समय से देवी को ‘महिषासुरमर्दिनी’ के नाम से जाना जाता है । जग में जब-जब तामसी, आसुरी एवं क्रूर लोग प्रबल होकर, सात्त्विक, उदारात्मक एवं धर्मनिष्ठ सज्जनोंको छलते हैं, तब देवी धर्मसंस्थापना हेतु पुनः-पुनः अवतार धारण करती हैं । उनके निमित्त यह नवरात्रि का व्रत है ।
संदर्भ – सनातन का ग्रंथ, ‘देवीपूजनसे संबंधित कृत्यों का शास्त्र‘ एवं अन्य ग्रंथ
नवरात्रि में लव जिहाद के किस्से भी बढ़ जाते हैं हिन्दू युवतियों को ध्यान रखना चाहिए कि कहीं कोई जिहादी हिन्दू बनकर आपको प्रेम जाल में फंसा तो नहीं रहा है न? नहीं तो आपको लव जिहाद में फंसाकर आपकी और आपके परिवार की जिंदगी बर्बाद कर देगा ।
आजकल चित्र, नाटक, विज्ञापन इत्यादि द्वारा देवी-देवताओं का अनादर किया जा रहा है । इससे धर्महानि होती है ।
हिन्दूद्वेषी चित्रकार म.फि. हुसेन ने हिन्दुओं के देवताके नग्न चित्र बनाकर उनकी सार्वजनिक बिक्रीके लिए रखा; व्याख्यान, पुस्तक आदि के माध्यम से देवताओं की आलोचना की जाती है; व्यापारी वर्ग अपने उत्पादों के विज्ञापनों में देवताओं का मॉडेल के रूप में प्रयोग करते हैं; देवताओं की वेशभूषा पहनकर भीख मांगी जाती है ।
ग्रीस अर्थात यूनानकी ‘सदर्न कम्फर्ट विस्की’ नामक कंपनी ने एक विज्ञापनमें श्रीदुर्गादेवीके आठों हाथोंबमें विस्की की बोतल दर्शायी । हिंदू जनजागृति समितिबने भारत में ग्रीस के राजदूत को निषेध पत्र भेजा । इस विरोध के कारण यह चित्र कंपनी द्वारा हटाया गया ।
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