Friday, April 13, 2018

एकजुट नही होने के कारण कितना भयंकर नुकसान उठाना पड़ा ? अब नहीं हो सकते ?

🚩भारत में एक वक्त ऐसा भी था जब लोग एक पिता की संतान की तरह संगठित होकर रहते थे और जब तक यह संगठन बना रहा तब तक भारत विश्व में अपराजेय रहा और विश्व में “सोने की चिड़िया” कहलाया । ‘फूट डालो, राज करो’ की नीति के कारण हम आपस में उलझे जिसके कारण सनातन धर्म पर एक से बढ़कर एक विधर्मियों द्वारा हमला होता चला गया । यही कारण है कि बहुसंख्यक होते हुए भी असंख्य मंदिर को विधर्मियों ने तोड़ा,  असंख्य लोगों की हत्या की, पृथ्वीराज चौहान की आँखे निकाली, भाई मतिदास का सिर आरे से चीरा, भाई सतीदास के शरीर के टुकड़े-टुकड़े किये, भाई दयालदास को खौलते तेल की कढ़ाई में डाला, गुरू तेगबहादुर का सिर कलम किया, गुरु अर्जुनदेव को लोहे की गर्म तवा पर बिठाकर शहीद कर दिया, 8 वर्ष के जोरावरसिंह व 6 वर्ष के फतेहसिंह को जिंदा दीवालों में चुनवा दिया, वीर हकीकत राय की बलि चढ़ा दी, बंदा बैरागी की बोटी-बोटी नुचवा दी, न जाने ऐसे कितने ही असंख्य कुकृत्य व घिनौना षड्यंत्र  कर सनातन धर्म व सनातन धर्म प्रेमी पर जुर्म ढाये गये ।
How badly did they suffer because of unite? Can not you now?

🚩वर्तमान में भी ऐसा ही सनातनधर्मियों पर हो रहा है । सेक्यूलरवादी लोग कभी भगवा आतंकवाद, कभी फर्जी केस तो कभी दंगा-फसाद कराकर सनातन धर्मवालंबियों को तोड़ने का कुत्सित प्रयास कर रहे हैं । यही कारण रहा है साध्वी प्रज्ञा को बिना ठोस सबूतों के 8.5 साल, स्वामी असीमानंद को 6.5 साल, ईमानदार पुलिस अधिकारी डी. जी. बंजारा को 8 साल जेल में निर्दोष होते हुए भी रखा गया । हिन्दू संत आशरामजी बापू जो सनातन धर्म का डंका देश-विदेश में बजाये उन पर झूठे बलात्कार का आरोप लगाकर साढ़े चार साल से जेल में रखा है । धनंजय देसाई को बिना सबूत जेल में ठूस कर रखें है, क्या आप उस व्यक्ति, उसके परिवार व उनके चाहनेवाली की व्यथा की कल्पना कर सकते हैं जो निर्दोष रहकर दोषी जैसे अपमान समाज में सहें, उनके मान-सम्मान को धूल में मिला दिया गया, यह तो वही समझ सकता है जिसके ऊपर यह घटती है ।
🚩सनातन धर्मांवलंबी सताये या अपमानित होते हैं तो मानवाधिकार, सेक्युलर नेता, सेक्युलर अधिकारी, सेक्युलर समाजसेवी, सेक्युलर लोग गूँगें व बहरे हो जाते हैं । दुनिया में बसे सनातन धर्मावलंबी पर होनेवाले अत्याचारों के विरोध में बोलने के लिए उनके पास दो शब्द भी नहीं है, वही अल्पसंख्यकों को सुरक्षा, आरक्षण, सब्सिडी तथा अन्य सुविधा उपल्बध न होने पर बहुत चिंता होने लगती है । वास्तव में इस देश को खतरा उन शक्तियों से है जो कभी मानवाधिकारवादी चोला पहनकर, कभी लेखक या पत्रकार बनकर, कभी धर्मनिरपेक्ष नेता बनने का बहाना बनाकर देश विरोधी तत्वों की पैरवी कर देश को तोड़ने की साजिश कर रहे हैं । चंद वोटों का लालच या चंद नोटों की चाहत उनकी कार्यशैली का हिस्सा बन चुकी है ।
🚩निर्दोष के साथ पहले भी और आज भी अत्याचार हो रहा है । कारण स्पष्ट है कि लोग एकजुट नहीं होते । आपने कभी अंगीठी में जलते हुए कोयले देखा है ? सभी कोयले एक साथ मिलकर कितने तेजस्वी हो जाते है | पर आपने कभी सोचा है जो कोयला अंगीठी में इतना तेजस्वी है अगर उसमें से किसी एक कोयले को अंगीठी से बाहर निकाल कर रख दें तो उस कोयले का क्या हश्र होगा ? जी हां वह अकेला पड़ने पर राख हो जाएगा | इंसान के साथ भी कुछ ऐसा ही होता है | संगठन की शक्ति से ही देश का विकास होता है | यदि संगठित होकर हम सभी सजग सनातन धर्मवंलबी आगे बढ़ते है तो हमारा देश पुनः विश्व का मार्गदर्शक बन सकता है । तो क्यों नहीं हमलोग एकजुट हों जाये?
*एकता मिट्टी ने की तो ईंट बनी,*
*ईंट ने की तो दीवार बनी,*
*दीवार ने की तो घर बना।*
🚩ये बेजान चीजे हैं ... ये जब एक हो सकते हैं तो हम क्यों नही?हम तो फिर भी इंसान हैं ।और कोई भी काम इंसान से बला नही होता!
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