Friday, April 20, 2018

मीडिया वालों के लिए अलग कानून है? पॉक्सो एक्ट के बावजूद गिरफ्तारी क्यों नहीं ?

20 Apr 2018

🚩 हरियाणा गुरुग्राम की एक छोटी बच्ची का वीडियो एडिट कर, उसे अश्लीलता वाला वीडियो बनाकर इंडिया न्यूज़ के चीफ एडिटर दीपक चौरसिया ने दिखाया, बच्ची के माता-पिता आक्रोशित होकर गुरुग्राम में केस दर्ज करने गए लेकिन पुलिस ने एफआईआर लिखने से मना कर दिया क्योंकि आरोपी दबंग एवं मीडिया से जुड़ा है, बाद में सुप्रीम कोर्ट के आदेश से एफआईआर दर्ज की गई, उसके बाद भी बच्ची का बयान नही करवाया जा रहा था, दो साल तक पुलिस ने उसके माता-पिता को घुमाया, दो साल के बाद हाईकोर्ट के आदेश पर पुलिस ने 164 के तहत बयान दर्ज करवाये।

Have different laws for media persons? hy not arrest the Poxo Act?

🚩 दीपक चौरसिया पर पॉक्सो की धारा लगी हुई है जिसमें तुरन्त गिरफ्तारी का प्रावधान है और जमानत भी मिलना मुश्किल है लेकिन चौरसिया पर शायद कोई कानून लागू नहीं होता । पॉक्सो एक्ट लगने के बावजूद आज तक चौरसिया बाहर मजे से घूम रहा है और इसी एक्ट के तहत हिन्दू सनन्त बापू आसारामजी सालों से जेल में हैं ।

कानून के इस दोगलेपन के कारण जनता में एवं हिन्दू सगठनों में भारी रोष है ।

🚩 जनता व हिन्दू संग़ठनो का कहना है कि क्या कानून सबके लिए एक समान नही है? किसी आम इंसान या कोई हिन्दूनिष्ठ पर केस दर्ज होता है तो आधी रात को गिरफ्तार किया जाता है लेकिन मीडिया से जुड़ा आरोपी है तो उसको गिरफ्तार नही किया जा रहा है ये कैसा दोगलापन है?

🚩 पुलिस प्रशासन द्वारा कार्यवाही नहीं किए जाने के कारण हिन्दू संगठन एवं जनता अपना आक्रोश प्रकट करने एवं आरोपियों पर तत्काल कार्रवाई की मांग को लेकर महिला थाना गुरुग्राम पहुँची। 

🚩 पुलिस थाना पहुंचे संगठनों एवं मीडिया ने इंडिया न्यूज के पदाधिकारियो को तुरंत गिरफ्तार करने की मांग की, साथ ही संगठनों द्वारा पुलिस प्रशासन की निष्क्रियता पर सवाल उठाए गये। 

🚩 संगठनों ने कहा कि भारतीय संविधान सबके लिए एक समान है जबकि गुरुग्राम महिला थाना पुलिस पक्षपात कर रही है।साथ ही प्रशासन को चेतावनी देते हुए कहा कि आरोपी व्यक्ति TV चैनल पर लगातार हिन्दुओं की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचा रहा है और पुलिस मूकदर्शक बनी हुई है। जिससे आरोपी खुलेआम बाहर घूम रहा है और पुलिस निष्क्रिय बनी बैठी है।जिसके कारण आरोपियों के हौंसले बुलन्द हैं।आरोपी खुद को संविधान से ऊपर समझ रहे हैं।जिनकी गिरफ्तारी अविलम्ब की जानी चाहिये। 

🚩 ट्विटर  पर भी दीपक चौरसिया की गिरफ्तारी को लेकर मांग तेज हुई

🚩 शुक्रवार को ट्वीटर पर इंडिया न्यूज के चीफ एडिटर को गिरफ्तार करने की मांग को लेकर हजारों यूजर  Deepak Chaurasia पर ट्वीट कर रहे हैं । जो ट्रेंड भारत मे टॉप ट्रेंड में दिख रहा था ।

🚩 आइये आपको बताते है दीपक चौरसिया के खिलाफ यूज़र्स क्या कह रहे हैं....

🚩 1. गार्गी पटेल लिखती है कि आखिर क्यों Deepak Chaurasia नहीं हो रहा है हाजिर ! क्या ये कोर्ट का माखौल नहीं ?? #ArrestCHORasia

🚩 2. नरसिंह प्रजापत ने लिखा कि दिल्ली पुलिस को हर हाल मे Deepak Chaurasia को गिरफ्तार करना होगा क्योंकि वो अब समाज का कैंसर बन चूका है #ArrestCHORasia

🚩 3. प्रेम चौधरी ने लिखा कि हिन्दू सेना, श्री राम सेना, हिन्दू जन जाग्रति मंच, सनातन संस्था, अखिल भारतीय हिन्दू महासभा की माँग #ArrestCHORasia

🚩 4. मेघा अग्रवाल लिखती है कि Deepak Chaurasia पहले से छोटी दामिनी केस में प्रमुख अभियुक्त है अबतक उसके गैंग की गिरफ्तारी क्यों नहीं ? #ArrestCHORasia

🚩 5. संदीप मौर्या लिखता है कि हिंदू संतों के बारे मे झूठी व फर्जी न्यूज बताना यह साबित करता है की Deepak Chaurasia एक भ्रष्ट पत्रकार हैं! #ArrestCHORasia

🚩 6. जया असनानी लिखती है कि Deepak Chaurasia पर POCSO के तहत FIR दर्ज!!
 अभी तक गिरफ्तारी क्यों नही हुई? #ArrestCHORasia

🚩 इस तरीके से हजारों लोग ट्वीट के जरिये दीपक चौरसिया की गिरफ्तारी की मांग कर रहे थे ।

🚩 ट्वीटर पर इस तरीके से कई बार दीपक चौरसिया की गिरफ्तारी की मांग की गई है ।

🚩 गुरुग्राम में आये सभी हिन्दू सगठनों एवं जनता का कहना है कि हिन्दू संतों को आधी रात में बिना सबूत गिरफ्तारी करने वाली पुलिस सबूत होते हुए, कोर्ट का आदेश होते हुए भी मीडिया के मालिकों को गिरफ्तार क्यों नहीं कर रही है ??

🚩 जनता को है इंतजार उस दिन का जिस दिन कानून सबके साथ समानता का व्यवहार करेगा !!

🚩 अब देखना है कि झूठी खबरें दिखाने वाले मीडिया के अधिकारियों की गिरफ्तारी का कोर्ट आदेश मानकर सरकार प्रशासन को आदेश देती है कि नही ???

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Thursday, April 19, 2018

जानिए संस्कृति-रक्षक महापुरुष श्रीमद् आद्य शंकराचार्य पर कितने हुए प्रहार

*श्रीमद् आद्य शंकराचार्य जयंती : 20 अप्रैल*
🚩आदि गुरू शंकराचार्य का जन्म केरल के कालडी़ नामक ग्राम में हुआ था। वह अपने ब्राह्मण माता-पिता के एकमात्र सन्तान थे। बचपन में ही उनके पिता का देहान्त हो गया। शंकर की रुचि आरम्भ से ही सन्यास की तरफ थी। अल्पायु में ही आग्रह करके माता से सन्यास की अनुमति लेकर गुरु की खोज में निकल पडे।। वेदान्त के गुरु गोविन्द पाद से ज्ञान प्राप्त करने के बाद सारे देश का भ्रमण किया। मिथिला के प्रमुख विद्वान मण्डन मिश्र को शास्त्रार्थ में हराया। परन्तुं मण्डन मिश्र की पत्नी भारती के द्वारा पराजित हुए। दुबारा फिर रति विज्ञान में पारंगत होकर भारती को पराजित किया।
🚩उन्होनें तत्कालीन भारत में व्याप्त धार्मिक कुरीतियों को दूर कर अद्वैत वेदान्त की ज्योति से देश को आलोकित किया। सनातन धर्म की रक्षा हेतु उन्होंने भारत में चारों दिशाओं में चार मठों की स्थापना की तथा शंकराचार्य पद की स्थापना करके उस पर अपने चार प्रमुख शिष्यों को आसीन किया। उत्तर में ज्योतिर्मठ, दक्षिण में श्रन्गेरी, पूर्व में गोवर्धन तथा पश्चिम में शारदा मठ नाम से देश में चार धामों की स्थापना की। ३२ साल की अल्पायु में पवित्र केदार नाथ धाम में शरीर त्याग दिया। सारे देश में शंकराचा‍र्य को सम्मान सहित आदि गुरु के नाम से जाना जाता है।
Know how many attacks on the sage Adhyan Shankaracharya

*शंकराचार्य के विषय में कहा गया है-*
*अष्टवर्षेचतुर्वेदी, द्वादशेसर्वशास्त्रवित् षोडशेकृतवान्भाष्यम्द्वात्रिंशेमुनिरभ्यगात्*
🚩अर्थात् आठ वर्ष की आयु में चारों वेदों में निष्णात हो गए, बारह वर्ष की आयु में सभी शास्त्रों में पारंगत, सोलह वर्ष की आयु में शांकरभाष्यतथा बत्तीस वर्ष की आयु में शरीर त्याग दिया। ब्रह्मसूत्र के ऊपर शांकरभाष्यकी रचना कर विश्व को एक सूत्र में बांधने का प्रयास भी शंकराचार्य के द्वारा किया गया है।
🚩जिस समय इस देश में आद्य शंकराचार्यजी का आविर्भाव हुआ था उस समय असामाजिक तत्त्व अनीति, शोषण, भ्रम तथा अनाचार के द्वारा समाज को गलत दिशा में ले जा रहे थे । समाज में फैली इस अव्यवस्था को देखकर बालक शंकर का हृदय काँप उठा । उसने प्रतिज्ञा की कि ‘मैं राष्ट्र के धर्मोद्धार के लिए अपने सुख की तिलांजलि देता हूँ । अपने श्रम और ज्ञान की शक्ति से राष्ट्र की आध्यात्मिक शक्तियों को जागृत करूँगा । चाहे उसके लिए मुझे सारा जीवन साधना में लगाना पड़े, घर छोड़ना पड़े अथवा घोर-से-घोर कष्ट सहने पड़ें, मैं सदैव तैयार रहूँगा ।’
🚩बालक शंकर माँ से आज्ञा लेकर चल पड़े अपने संकल्प को साधने । उन्होंने सद्गुरु स्वामी गोविंदपादाचार्यजी से दीक्षा ली । इसके बाद वे साधना एवं वेद-शास्त्रों के गहन अध्ययन से अपने ज्ञान को परिपक्व कर बालक शंकर से जगद्गुरु आद्य शंकराचार्य बन गये । शंकराचार्यजी अपने गुरुदेव से आशीर्वाद प्राप्त कर देश में वेदांत का प्रचार करने चल पड़े । भगवान श्रीराम, श्रीकृष्ण जैसों को भी दुष्टों के उत्पीड़न सहने पड़े तो आचार्य उससे कैसे बच पाते ? शंकराचार्यजी के धर्मकार्य में विधर्मी हर प्रकार से रुकावट डालने का प्रयास करने लगे, कई बार उन पर मर्मांतक प्रहार भी किये गये ।
🚩कपटवेशधारी उग्रभैरव नामक एक दुष्ट व्यक्ति ने आचार्य की हत्या के लिए शिष्यत्व ग्रहण किया । आचार्य को मारने की उसकी साजिश विफल हुई और अंततः वह भगवान नृसिंह के प्रवेश अवतार द्वारा मारा गया ।
🚩कर्नाटक में बसनेवाली कापालिक जाति का मुखिया था क्रकच । वह मांस-शराब आदि अनेक दुराचारों में लिप्त था । कर्नाटक की जनता उसके अत्याचारों से त्रस्त थी । आचार्य शंकर के दर्शन, सत्संग एवं सान्निध्य के प्रभाव से लोग कापालिकों द्वारा प्रसारित दुर्गुणों को छोड़ने लगे और शुद्ध, सात्त्विक जीवन की ओर आकृष्ट होने लगे । सैकड़ों कापालिक भी मांस-शराब को छोड़कर शंकराचार्यजी के शिष्य बन गये । इस पर क्रकच घबराया । उसने शंकराचार्यजी का अपमान किया, गालियाँ दीं और वहाँ से भाग जाने को कहा । शंकराचार्यजी ने उसके विरोध की कोई परवाह नहीं की और अपनी संस्कृति का, अपने धर्म का प्रचार-प्रसार निष्ठापूर्वक करते रहे । इस पर क्रकच ने उन्हें मार डालने की धमकी दी । उसने बहुत-से दुष्ट शिष्यों को शराब पिलाकर शंकराचार्यजी को मारने हेतु भेजा । धर्मनिष्ठ राजा सुधन्वा को जब इस बात का पता चला तो उन्होंने अपनी सेना को भेजा और युद्ध में सारे कापालिकों को मार गिराया ।
🚩अभिनव गुप्त भी एक ऐसा ही महामूर्ख था जो आचार्य के लोक-जागरण के कार्यों को बंद कराना चाहता था । वह भी अपने शिष्योंसहित आचार्य से पराजित हुआ । वह दुराभिमानी, प्रतिक्रियावादी, ईर्ष्यालु स्वभाव का था । वह आचार्य के प्रति षड्यंत्र करने लगा । दैवयोग से उसे भगंदर का रोग हो गया और कुछ ही दिनों बाद उसकी मृत्यु हो गयी ।
🚩इस संसार में ईर्ष्या और द्वेषवश जिसने भी महापुरुषों का अनिष्ट करना चाहा, देर-सवेर दैवी विधान से उन्हींका अनिष्ट हो जाता है । संतों-महापुरुषों की निंदा करना, उनके दैवी कार्य में विघ्न डालना यानी खुद ही अपने अनिष्ट को आमंत्रित करना है । उग्रभैरव, क्रकच व अभिनव गुप्त का जीवन इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है ।
🚩आज भी कई सच्चे महापुरुष है उन्होंने सनातन संस्कृति की रक्षा करके समाज को जगाने का कार्य किया, लेकिन उनके ऊपर षडयंत्र करके जेल भिजवा दिया गया ।
🚩इस संसार में सज्जनों, सत्पुरुषों और संतों को जितना सहन करना पड़ता है उतना दुष्टों को नहीं। ऐसा मालूम होता है कि इस संसार ने सत्य और सत्त्व को संघर्ष में लाने का मानो ठेका ले रखा है। यदि ऐसा न होता तो मीरा को जहर नही दिया जाता, उड़िया बाबा की हत्या नही की जाती, दयानन्द को जहर न दिया जाता और लिंकन व कैनेडी की हत्या न होती।
🚩इस संसार का कोई विचित्र रवैया है, रिवाज प्रतीत होता है कि इसका अज्ञान-अँधकार मिटाने के लिए जो अपने आपको जलाकर प्रकाश देता है, संसार की आँधियाँ उस प्रकाश को बुझाने के लिए दौड़ पड़ती हैं। टीका, टिप्पणी, निन्दा, गलच चर्चाएँ और अन्यायी व्यवहार की आँधी चारों ओर से उस पर टूट पड़ती है।
🚩समाज जब किसी ज्ञानी संतपुरुष का शरण, सहारा लेने लगता है तब राष्ट्र, धर्म व संस्कृति को नष्ट करने के कुत्सित कार्यों में संलग्न असामाजिक तत्त्वों को अपने षडयन्त्रों का भंडाफोड़ हो जाने का एवं अपना अस्तित्व खतरे में पड़ने का भय होने लगता है, परिणामस्वरूप अपने कुकर्मों पर पर्दा डालने के लिए वे उस दीये को ही बुझाने के लिए नफरत, निन्दा, कुप्रचार, असत्य, अमर्यादित व अनर्गल आक्षेपों व टीका-टिप्पणियों की आँधियों को अपने हाथों में लेकर दौड़ पड़ते हैं, जो समाज में व्याप्त अज्ञानांधकार को नष्ट करने के लिए महापुरुषों द्वारा प्रज्जवलित हुआ था।
🚩ये असामाजिक तत्त्व अपने विभिन्न षडयन्त्रों द्वारा संतों व महापुरुषों के भक्तों व सेवकों को भी गुमराह करने की कुचेष्टा करते हैं। समझदार लोग उनके षडयंत्रजाल में नहीं फँसते, महापुरुषों के दिव्य जीवन के प्रतिपल से परिचित उनके अनुयायी कभी भटकते नहीं, पथ से विचलित होते नहीं अपितु सश्रद्ध होकर उनके निष्काम सेवाकार्यों में अत्यधिक सक्रिय व गतिशील होकर सहभागी हो जाते हैं ।
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Wednesday, April 18, 2018

​असीमानन्द जी निर्दोष बरी हो गए लेकिन उनको जेल क्यो भेजा गया वो भी जान लीजिये...​

🚩 भारत मे जभी कोई सनातन हिन्दू संस्कृति की रक्षा के लिए आगे आते है उनको कैसे फसाया जाता है आप भी जान लीजिए ।
🚩मक्का मस्जिद धमाके में अदालत से निर्दोष बरी हुए स्वयंभू धर्मगुरु स्वामी असीमानंद वह चेहरा हैं, जिनके बारे में संघ परिवार के लोग खुलकर बात नहीं करना चाहते। खासतौर पर उन दिनों के बारे में जब असीमानंद आरएसएस से जुड़े संगठनों के करीब थे। हालांकि संघ से जुड़े कई ऐसे लोग हैं, जो असीमानंद को हिंदू राष्ट्र के प्रबल समर्थक और कभी समझौता न करने वाले व्यक्ति के तौर पर याद करते हैं। 'गुजरात के आदिवासी इलाकों में ईसाई मिशनरियों के धर्मांतरण के अभियान' को रोकने के लिए उन्होंने प्रयास किए थे। वे कहते हैं, यह बेहद कठिन काम था, जिसे असीमानंद ने 1990 के दशक में अपने हाथ में लिया था। वह आदिवासियों के बीच इस तरह घुल-मिल जाते थे कि उनकी ही बोली में बात करते थे, उनके बीच नाचते-गाते थे। हिंदू पर्वों का भव्य आयोजन आदिवासियों के बीच वह करवाते थे। 
Asimanand ji was acquitted, but
why he was sent to jail also know that ...

🚩हिंदू संगठनों से जुड़े रहे असीमानंद ने पश्चिम बंगाल, नगालैंड, अरुणाचल प्रदेश, असम, त्रिपुरा, मेघालय और मिजोरम में काम किया। लेकिन गुजरात, झारखंड और अंडमान द्वीप के सुदूर इलाकों में असीमानंद ने प्रमुख रूप से काम किया और यहीं से उनकी पहचान बनी। हिंदू मान्यताओं में गहरी आस्था रखने वाले रामकृष्ण मिशन के विचारों से करीबी रखने वाले एक बंगाली परिवार में जन्मे असीमानंद ने शुरुआत से ही आदिवासियों के बीच काम किया। आरएसएस के एक सीनियर लीडर ने बताया, 'एक गुरु से संन्यास लेने के बाद उन्होंने अपना नाम बदल लिया था और फिर आदिवासियों के बीच काम करने लगे।' 
🚩शुरुआत से ही आदिवासियों के बीच काम करना चाहते थे असीमानंद जी।
🚩गुजरात में असीमानंद के साथ काम कर चुके आरएसएस के एक सीनियर लीडर ने बताया, 'वह शुरुआत से ही इस बात को लेकर स्पष्ट थे कि उन्हें आदिवासियों के बीच काम करना है। उन्होंने पश्चिम बंगाल से काम की शुरुआत की, जिसके बाद आरएसएस ने उन्हें 1970 के दशक में अंडमान भेजा, जहां उस दौर में संघ खुद को स्थापित करने के लिए प्रयासरत था।' संघ नेता ने कहा, 'स्वामी असीमानंद को स्वामी विवेकानंद और हिंदुओं के प्रति उनके योगदान को लेकर उनके मन में गहरी श्रद्धा थी।' 
🚩स्वामी असीमानंद जी कहते थे, हिंदुओं का धर्म छोड़ना खतरनाक है।
🚩उन्होंने कहा, 'वह साफ कहते थे- अधिक हिंदुओं को अपने साथ जोड़ो, लेकिन यह ध्यान रहे कि कोई भी हिंदू छोड़कर न जाए। वह कहते थे यदि एक भी हिंदू की आस्था डिगती है तो वह धर्म के लिए बड़ा खतरा है।' स्वामी असीमानंद को 1990 के दशक के आखिरी में गुजरात के आदिवासी बहुल डांग जिले में भेजा गया था। यहा उन्होंने खासतौर पर ईसाई मिशनरियों की ओर से धर्मांतरण पर नजर रखी और उसे रोकने का प्रयास किया। यही नहीं जहां भी उन्हें संभावना दिखी, वहां उन्होंने ईसाई बने हिंदुओं को वापस हिंदुत्व से जोड़ने का प्रयास किया । स्त्रोत : नव भारत टाइम
🚩अब आपने देखा कि जो भी भारत मे ईसाई मिशनरियों के द्वारा हो रहे धर्मांतरण पर रोक लगाते थे उनको षडयंत्र करके जेल भेजवाया जाता था यही हाल हिन्दू संत आसाराम बापू का है उन्होंने जो ईसाई धर्म मे चले गए थे उन लाखों हिन्दुओं की घरवासपी करवाई अपने धर्म वापिस लाये और गांव-गांव नगर-नगर जाकर लोगो को हिन्दू संस्कृति की महिमा बताई और आदिवासी इलाकों में जीवनुपयोगी वस्तुओं दी एवं मकान बनाकर दिए जिससे आदिवासी हिन्दू धर्म छोड़कर ईसाई न बने जिसके कारण ईसाई मिशनरियों के आँखों मे खटक रहे थे, फिर वेटिकन सिटी के इशारे पर सोनिया गांधी ने बापू आसारामजी की मीडिया में खूब बदनामी करवाई और झूठे केस बनाकर जेल भिवजाय ।
🚩बापू आसारामजी 5 सालो से बिना सबूत जेल में बंद है 25 को निर्णय आने वाला है अब उनके केस जिस तरह से न्यायालय में बहस हुई है उस अनुसार तो केस बनता ही नही है एक षडयंत्र ही नजर आ रहा है, क्यो की मेडिकल में कोई प्रूफ नही है, आरोप लगाने वाली लड़की के नाम और बर्थ सर्टिफिकेट अलग-अलग है, जो एफआईआर लिखी थी वो फाड़ दी उसका वीडियो रिकॉर्डिंग गायब कर दिया गया, जिस समय लडक़ी बोल रही थी मेंरे को कमरे में बुलाया उस समय तो कॉल रिकॉडिंग के अनुसार वे अपने मित्र से बात कर रही थी, ओर बापू आशारामजी उस समय एक कार्यक्रम में बैठे थे सैकंडों लोग उस बात के गवाह भी है, यहाँ तक भी पता चला है कि 50 करोड़ नही देने पर यह सारा षडयंत्र रचा गया । अब उनके भक्तों का कहना है कि हमारे गुरुदेव निर्दोष छूटकर आयेंगे न्यायालय से और सरकार से भी उनकी यही अपेक्षा है कि अब बापू आसारामजी ने बहुत सहन किया अब रिहा कर दिया जाये ।
🚩देशवासी अच्छी तरह जानते है कि जब भी कोई सनातन हिन्दू संस्कृति के प्रचार-प्रसार करने के लिए कोई हिंदुनिष्ठ अपने हाथ मे बीड़ा उठाता है और आगे बढ़ता दिखता है तो विदेशी ताकतों के इशारे पर विदेशी फंड से चलने वाली मीडिया द्वारा उनको बदनाम करवाया जाता है और जेल भिजवाया जाता है या हत्या करवा दी जाती है ।
🚩अनेक ऐसे उदाहरण है जो सनातन धर्म की रक्षा की है उन हिंदुनिष्ठ लोगो को प्रताडना सहन करनी पड़ी है अभी ताजा मामला स्वामी असीमानन्द जी का है जो 11 साल के बाद निर्दोष बरी हुए उनके खिलाफ एक भी सबूत नही था फिर भी सालो तक जेल में रहना पड़ा ।
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