31 दिसंबर 2018
अंग्रेजी कैलन्डर के अनुसार 31 दिसम्बर की रात नए साल के स्वागत के लिए लोग जमकर दारू पीते हैं । हंगामा करते हैं, महिलाओं से छेड़खानी करते हैं, रात को दारू पीकर गाड़ी चलाने से दुर्घटना की सम्भावना, रेप जैसी वारदात, पुलिस व प्रशासन बेहाल और भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों का विनाश होता है और 1 जनवरी से आरंभ हुई ये घटनाएं सालभर में बढ़ती ही रहती हैं । इसलिए कवियों ने इसका बहिष्कार किया है और जो मना रहे हैं उनको फटकार भी लगाई है ।
British poets do not accept the New Year of the British |
आइये जानते हैं क्या कहा कवि ने...
हवा लगी पश्चिम की
सारे कुप्पा बनकर फूल गए ।
ईस्वी सन तो याद रहा,
पर अपना संवत्सर भूल गए ।।
चारों तरफ नए साल का,
ऐसा मचा है हो-हल्ला ।
बेगानी शादी में नाचे,
जैसे कोई दीवाना अब्दुल्ला ।।
धरती ठिठुर रही सर्दी से ,
घना कुहासा छाया है ।
कैसा ये नववर्ष है,
जिससे सूरज भी शरमाया है ।।
सूनी है पेड़ों की डालें,
फूल नहीं हैं उपवन में ।
पर्वत ढके बर्फ से सारे,
रंग कहां है जीवन में ।।
बाट जोह रही सारी प्रकृति,
आतुरता से फागुन का ।
जैसे रस्ता देख रही हो,
सजनी अपने साजन का ।।
अभी ना उल्लासित हो इतने,
आई अभी बहार नहीं ।
हम अपना नववर्ष मनाएंगे,
न्यू ईयर हमें स्वीकार नहीं ।।
लिए बहारें आँचल में,
जब चैत्र प्रतिपदा आएगी ।
फूलों का श्रृंगार करके,
धरती दुल्हन बन जाएगी ।।
मौसम बड़ा सुहाना होगा,
दिल सबके खिल जाएँगे ।
झूमेंगी फसलें खेतों में,
हम गीत खुशी के गाएँगे ।।
उठो खुद को पहचानो,
यूँ कबतक सोते रहोगे तुम ।
चिन्ह गुलामी के कंधों पर,
कबतक ढोते रहोगे तुम ।।
अपनी समृद्ध परंपराओं का,
आओ मिलकर मान बढ़ाएंगे ।
आर्यावर्त के वासी हैं हम,
अब अपना नववर्ष मनाएंगे ।।
एक दूसरे कवि ने भी अपनी कविता के माध्यम से देशवासियों को जगरूकता किया है...
ये नव वर्ष हमे स्वीकार नहीं
है अपना ये त्यौहार नहीं
है अपनी ये तो रीत नहीं
है अपना ये व्यवहार नहीं
धरा ठिठुरती है सर्दी से
आकाश में कोहरा गहरा है
बाग़ बाज़ारों की सरहद पर
सर्द हवा का पहरा है
सूना है प्रकृति का आँगन
कुछ रंग नहीं, उमंग नहीं
हर कोई है घर में दुबका हुआ
नव वर्ष का ये कोई ढंग नहीं
चंद मास अभी इंतज़ार करो
निज मन में तनिक विचार करो
नये साल नया कुछ हो तो सही
क्यों नक़ल में सारी अक्ल बही
उल्लास मंद है जन -मन का
आयी है अभी बहार नहीं
ये नव वर्ष हमे स्वीकार नहीं
है अपना ये त्यौहार नहीं
ये धुंध कुहासा छंटने दो
रातों का राज्य सिमटने दो
प्रकृति का रूप निखरने दो
फागुन का रंग बिखरने दो
प्रकृति दुल्हन का रूप धार
जब स्नेह–सुधा बरसायेगी
शस्य–श्यामला धरती माता
घर-घर खुशहाली लायेगी
तब चैत्र शुक्ल की प्रथम तिथि
नव वर्ष मनाया जायेगा
आर्यावर्त की पुण्य भूमि पर
जय गान सुनाया जायेगा
युक्ति – प्रमाण से स्वयंसिद्ध
नव वर्ष हमारा हो प्रसिद्ध
आर्यों की कीर्ति सदा -सदा
नव वर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा
अनमोल विरासत के धनिकों को
चाहिये कोई उधार नहीं
ये नव वर्ष हमे स्वीकार नहीं
है अपना ये त्यौहार नहीं
है अपनी ये तो रीत नहीं
है अपना ये त्यौहार नहीं
भारतीय नववर्ष नवरात्रों के व्रत से शुरू होता है घर-घर में माता रानी की पूजा होती है ।
शुद्ध सात्विक #वातावरण बनता है । चैत्र प्रतिपदा के दिन से महाराज विक्रमादित्य द्वारा विक्रम संवत् की शुरुआत, भगवान झूलेलाल का जन्म, नवरात्रे प्रारंम्भ, ब्रह्मा जी द्वारा सृष्टि की रचना इत्यादि का संबंध है ।
भोगी देश का अन्धानुकरण न करके युवा पीढ़ी भारत देश की महान संस्कृति को पहचानें ।
1 जनवरी में सिर्फ नया कलैण्डर आता है, लेकिन चैत्र में नया पंचांग आता है उसी से सभी भारतीय पर्व ,विवाह और अन्य मुहूर्त देखे जाते हैं । इसके बिना हिन्दू समाज जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकता इतना महत्वपूर्ण है ये कैलेंडर यानि पंचांग ।
1 जनवरी को केवल कैलेंडर बदलें अपनी संस्कृति नहीं...!!!
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