Tuesday, July 31, 2018

हिन्दूबाहुल्य असम अब मुस्लिम बाहुल्य बन गया, हिंदुओं पर हो रहा है भीषण अत्याचार

31 july 2018 

🚩स्वातंत्र्य पूर्व में, हिन्दूबाहुल्य होनेवाला असम स्वतंत्रता के पश्चात बांग्लादेशी मुसलमान घुसपैठियों द्वारा आक्रमण के कारण तथा उन्होंने ही वहां हिंसाचार एवं दंगें करा कर स्थानीय हिन्दुओं को निर्वासित होने हेतु विवश करने के कारण अब मुसलमानबाहुल्य हो गया है !

🚩आज आए दिन देश में घुसपैठियों की समस्या बढ़ रही है । असम के NRC ड्राफ्ट को देखते हुए भारत के लिए इन घुसपैठियों की समस्या कितनी गंभीर है, यह बात ध्यान में आती है । एेसी घटनाआें के लिए भारत के ही भ्रष्ट अधिकारी तथा कुछ राष्ट्रविरोधी नागरिक उत्तरदायी है । इस वजह से भारत में जिहादी लोगों को आसानी से आधार कार्ड, राशन कार्ड, पैन कार्ड जैसे महत्त्वपूर्ण दस्तावेज मिल जाते हैं आैर यही जिहादी आगे चलकर भारत की सुरक्षा के लिए खतरा बन जाते हैं  तथा भारत में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देते हैं ।
Hindubhulian Assam now becomes a Muslim majority;
 Hindus are being subjected to horrendous atrocities

🚩असम में नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन (NRC) की दूसरी लिस्ट जारी कर दी गई है । इसके अनुसार सूबे में रह रहे 40 लाख लोग भारतीय नागरिक नहीं हैं । इसका सीधा मतलब ये हुआ कि राज्य की लगभग 13 प्रतिशत जनसंख्या अवैध है । इस आंकडे का ये भी मतलब हुआ कि हर 6.5 वां शख्स इस देश का नागरिक नहीं है या हर 7.5 लोगों में एक नागरिक अवैध है ।

🚩आपको बता दें कि, एन. आर. सी. के अनुसार, कुल 2 करोड़ 89 लाख 83 हजार 668 लोग ही भारत के नागरिक हैं, जबकि असम की कुल जनसंख्या 3 करोड 29 लाख है । जिन 40 लाख लोगों को अवैध करार दिया गया है, उन्हें अपनी नागरिकता साबित करने का एक और मौका मिलेगा ।

🚩बता दें कि, एन. आर. सी. की पहली लिस्ट, 31 दिसंबर 2017 को जारी हुई थी । तब पहली लिस्ट में, 1.90 करोड़ लोगों को शामिल किया गया था । अब जब दूसरी लिस्ट जारी की गई है तो लगभग एक करोड़ लोगों को लिस्ट में शामिल किया गया है और 40 लाख लोगों को नागरिकता नहीं मिली है ।

🚩दूसरी लिस्ट जो आखिरी लिस्ट तो नहीं है, परंतु एन. आर. सी. की आेर से इसे संपूर्ण लिस्ट बताया गया है । इसका सीधा मतलब ये हुआ कि अब जो आखिरी लिस्ट आएगी उसमें वही नाम शामिल किए जाएंगे, जो तकनीकी आधार पर छूट गए होंगे ।

🚩असम में हिंदुओं का बुरा हाल:-

🚩असम कभी 100 प्रतिशत हिन्दू बाहुल्य राज्य हुआ करता था । हिंदू शैव और शाक्तों के अलावा यहां हिन्दुओं के अन्य कई जनजाति समूह भी थे । यहाँ वैष्णव संतों की भी लंबी परंपरा रही है । यहां बौद्ध काल में लोग बौद्ध बनें, मुस्लिम काल में लोग मुस्लिम बने, वहीं अंग्रेज काल में, यहां के गरीब तबके के लोगों को हिंदू से ईसाई बनाने की प्रक्रिया जारी रही ।

🚩असम में 27 जिले हैं, जिसमें से असम के बारपेटा, करीमगंज, मोरीगांव, बोंगईगांव, नागांव, ढुबरी, हैलाकंडी, गोलपारा और डारंग, 9 मुस्लिम बाहुल्य जनसंख्या वाले जिले हैं, जहां आज आतंक का राज कायम है । यहां बांग्लादेशी मुस्लिमों की घुसपैठ के चलते, राज्य के कई क्षेत्रों में स्थानीय लोगों की जनसंख्या का संतुलन बिगड़ गया है । राज्‍य में आसामी बोलनेवाले लोगों की संख्‍या कम हुई है । 2001 में 48.8 प्रतिशत लोग आसामी बोलते थे, जबकि अब इनकी संख्‍या घटकर 47 प्रतिशत रह गई है ।

🚩1971 के खूनी संघर्ष में पूर्वी बंगाल (बांग्लादेश) के लाखों मुसलमानों को पड़ोसी देश, भारत के पश्‍चिम बंगाल, पूर्वोत्तर राज्य (असम आदि) में और दूसरी ओर म्यांमार (बर्मा में) शरण लेनी पड़ी । युद्ध शरणार्थी शिविरों में रहनेवाले मुसलमानों को सरकार की लापरवाही के चलते उनके देश भेजने का कोई उपाय नहीं किया गया । इसके चलते इन लोगों ने यहीं पर अपने पक्के घर बनाना शुरू कर दिया और फिर धीरे-धीरे पिछले चार दशक से जारी घुसपैठ के दौरान सभी बांग्लादेशियों ने मिलकर भूमि और जंगलों पर अपना अधिकार जताना शुरू कर दिया ।

🚩धीरे-धीरे बांग्लादेशी मुसलमानों सहित स्थानीय मुसलमानों ने (बीटीएडी में) बोड़ो हिन्दुओं की खेती की, 73 प्रतिशत जमीन पर कब्जा कर लिया, अब बोडों के पास केवल 27 प्रतिशत जमीन बची है । सरकार ने वोट की राजनीति के चलते कभी भी इस सामाजिक बदलाव पर ध्यान नहीं दिया, जिसके चलते बोड़ो  समुदाय के लोगों में असंतोष पनपा और फिर उन्होंने हथियार उठाना शुरू कर दिया और यही टकराव का सबसे बड़ा कारण है ।

🚩25 मार्च 1971 के बाद से लगातार अब तक, असम में बांग्लादेशी हिन्दू और मुस्लिम दोनों ही वर्गों का आना लगा रहा । असम ने पहले से ही, 1951 से 1971 तक कई बांग्लादेशियों को शरण दी थी, परंतु 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान और उसके बाद बांग्लादेश के गठन के बाद से लगातार पश्‍चिम बंगाल और असम में बांग्लादेशी मुस्लिम और हिन्दू शरणार्थियों की समस्या जस की तस बनी हुई है ।

🚩असम के लोग अब अपनी ही धरती पर शरणार्थी बन गए हैं । असम के इन लोगों में, जहां हिन्दू जनजाति समूह के बोड़ो, खासी, दिमासा, अपना अस्तित्व बचाने के लिए लड़ रहे हैं, वहीं अन्य स्थानीय आसामी भी अब संकट में आ गए हैं और यह सब हुआ है भारत के वोट की राजनीति के चलते । यहां माओवादी भी सक्रिय हैं, जिनका संबंध मणिपुर और अरुणाचल के उग्रवादियों के साथ है । उन्हें नेपाल और बांग्लादेश के साथ ही भारतीय वामपंथियों से सहयोग मिलता रहता है ।

🚩आधुनिक युग में, यहां पर चाय के बाग में काम करनेवाले बंगाल, बिहार, उड़ीसा तथा अन्य प्रांतों से आए हुए, कुलियों की संख्या प्रमुख हो गई, जिसके चलते एक ओर जहां असम के जनजाति और आम आसामी के लोगों के  रोजगार छूट गए, वहीं दूसरी ओर वे अपने ही क्षेत्र में, हाशिए पर चले गए । इसी के चलते राज्य में असंतोष शुरू हुआ और कई छोटे-छोटे उग्रवादी समूह बनें । इन उग्रवादी समूहों को कई दुश्मन देशों से सहयोग मिलता है । वोटों की राजनीति के चलते कांग्रेस और सी. पी. एम. ने बांग्लादेशी घुसपैठियों को असम, उत्तर पूर्वांचल और भारत के अन्य राज्यों में बसने दिया । बांग्लादेश से घुसपैठ कर यहां आकर बसे मुसलमानों को कभी यहां से निकाला नहीं गया और उनके राशन कार्ड, वोटर कार्ड और अब आधार कार्ड भी बन गए । दशकों से जारी इस घुसपैठ के चलते आज इनकी जनसंख्या असम में ही 1 करोड़ के आसपास है, जबकि पूरे भारत में ये फैलकर, लगभग साढ़े तीन करोड़ के पार हो गए हैं । यह भारतीय मुसलमानों में इस तरह घुलमिल गए हैं कि अब इनकी पहचान भी मुश्किल होती है ।

🚩असम का एक बड़ा जनसंख्या वर्ग, राज्य में अवैध मुस्लिम बांग्लादेशी घुसपैठियों का है, जो अनुमान से कहीं अधिक है और जो बांग्ला बोलते हैं । राज्य के अत्यधिक हिंसा प्रभावित जिलों कोकराझार व चिरांग में बड़ी संख्या में, ये अवैध मुस्लिम बांग्लादेशी घुसपैठी परिवार रहते हैं, जिन्होंने स्थिति को बुरी तरह से बिगाड़ दिया है ।

🚩बांग्लादेशी घुसपैठिए असम में, भारत की हिन्दू अनुसूचित जाति एवं अन्य हिन्दुओं के खेत, घर और गांवों पर कब्जा करके हिन्दुओं को भगाने में लगे हुए हैं । कारबी, आंगलौंग, खासी, जयंतिया, बोड़ो, दिमासा एवं 50 से ज्यादा जनजाति के खेत, घर और जीवन पर निरंतर हमलों से खतरा बढ़ता ही गया, जिस पर अभी तक ध्यान नहीं दिया गया । घुसपैठियों को स्थानीय सहयोग और राजनीतिक संरक्षण मिला हुआ है ।

🚩शरणार्थी शिविर में हिंदू:- 

🚩असम में जातीय हिंसा प्रभावित जिलों में बनाए गए 300 से ज्यादा राहत शिविरों में, चार लाख शरणार्थियों की जिंदगी बदतर हो गई है । कोकराझार के बाहर, जहां बोड़ो हिन्दुओं के शिविर हैं, वहीं धुबरी के बाहर बांग्लादेशी मुस्लिमों के शिविर हैं । कोकराझार, धुबरी, बोड़ो टेरिटोरियल एडमिनिस्ट्रेटिव डिस्ट्रिक (बी. टी. ए. डी.) और आसपास के क्षेत्रों में फैली हिंसा के कारण, अपने घर छोड़कर, राहत शिविरों में पहुंचे लोग, यहां भी भयभीत हैं, शिविरों में शरणार्थियों की जिंदगी बद से बदतर हो गई है । शिविरों में क्षमता से ज्यादा लोगों के होने से पूरी व्यवस्था नाकाम साबित हो रही है । दूसरी ओर लोगों के रोजगार और धंधे बंद होने के कारण वे पूरी तरह से सरकार पर निर्भर हो गए हैं ।

🚩असम NRC ड्राफ्ट जारी होने के बाद जो लोग अवैध रुप से रह रहे हैं, क्या सरकार उन्हें जल्द से जल्द बाहर करेगी ? और हिंदुओं को पुनः अपनी संपत्ति वापस दिलवायेगी ?

🚩सरकार तो जब करेगी तब करेगी अभी आप क्या कर सकते हैं ?

🚩1. फर्जी दस्तावेज बनाने में मदद करनेवाले एेसे भ्रष्ट अधिकारियों पर कठोर कार्यवाही करने की केन्द्र सरकार से मांग करें । इसके लिए ज्ञापन प्रस्तुत कर सकते हैं ।

🚩2. यदि आप के क्षेत्र में इस प्रकार से कोर्इ अधिकारी फर्जी दस्तावेज बनाता ध्यान में आए, तो तुरंत उसकी सूचना पुलिस को दें । यदि फिर भी कुछ कार्यवाही नही होती है तो contact@hindujagruti.org इस र्इमेल पते पर मेल भेजें ।

🚩3. अाप के क्षेत्र में यदि कोर्इ व्यक्ति, संदिग्ध तरीके रहता नजर आए तो उसकी सूचना पुलिस को दें ।

🚩Official Azaad Bharat Links:👇🏻


🔺Youtube : https://goo.gl/XU8FPk


🔺 Twitter : https://goo.gl/kfprSt

🔺 Instagram : https://goo.gl/JyyHmf

🔺Google+ : https://goo.gl/Nqo5IX

🔺 Word Press : https://goo.gl/ayGpTG

🔺Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ

Monday, July 30, 2018

ननों ने ईसाई पादरियों का किया पर्दाफाश, चर्च में पादरी करते है बलात्कार

30 july 2018 

🚩कैथलिक चर्च की दया, शांति और कल्याण की असलियत दुनिया के सामने उजागर ही हो गयी है । मानवता और कल्याण के नाम पर क्रूरता का पोल खुल चुकी है । चर्च  कुकर्मो कि पाठशाला व सेक्स स्कैंडल का अड्डा बन गया है । पोप बेनेडिक्ट सोलहवें ने पादरियों द्वारा किये गए इस कुकृत्य के लिए माफी माँगी थी ।
Nuns have exposed the Christian clergy, pastors do church rape

🚩वेटिकन सिटी : यौन शोषण के खिलाफ शुरू हुए ऑनलाइन कैम्पेन #मी टू से अब नन भी जुड गईं हैं । अब अपने साथ हुए यौन अपराध पर वे भी खुलकर सामने आईं हैं ! 

🚩एक नन ने बताया कि 20 साल पहले यूनिवर्सिटी के क्लासरूम में इटली के एक पादरी ने उनका यौन उत्पीडन किया था । उस समय सिस्टर ने अपने साथ हुई घटना का उल्लेख प्रांतीय सुपीरियर और अपने आध्यात्मिक निदेशक से किया था । हालांकि वह कैथलिक चर्च की गोपनीयता की संस्कृति, उनकी आज्ञापालन के संकल्प, डर और शर्म के कारण से चुप रहीं !

🚩उन्होंने असोसिएटेड प्रेस को बताया, ‘इसने मेरे अंदर मौजूद बड़े घाव को खोल दिया । मैंने ऐसे दिखाने का प्रयास किया की जैसे कुछ हुआ ही नहीं है !’ उल्लेखनीय है कि भारत में भी हाल ही में एक नन ने बिशॉप के खिलाफ रेप का आरोप दर्ज कराया है जिसके बारे में एक साल पहले तक सोचा भी नहीं जा सकता था ! 

🚩बिशॉप पादरी के खिलाफ रेप का आरोप लगाने वाली नन ने बताया कि पादरी लगातार धमकी दे रहा है और रेप केस वापिस लेने के लिए जमीन देने का प्रलोभन भी दे रहा है । 


🚩एपी की रिपोर्ट के अनुसार... यूरोप, अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका और एशिया में ननों के साथ यौन अपराध की घटनाएं सामने आई हैं जिसने यह दिखाया है कि यह समस्या वैश्विक है ! इसकी वजह कैथलिक चर्च में सिस्टर का सेकंड क्लास का दर्जा और इसे चलानेवाले पुरुषों की दासता में काम करना है !

🚩यह मामला बच्चों और वयस्कों के साथ हुए यौन अपराध और साथ ही एक प्रमुख अमेरिकी कार्डिनल थियोडोर मैकार्रिक द्वारा उनके अनुयायियों के यौन उत्पीडन के बाद से चर्चा में है । ननों के साथ किस हद तक ज्यादती हुई है यह अभी अस्पष्ट है खासकर वेटिकन के बाहर ! पीड़ित अपने उत्पीडन को लेकर खुलकर नहीं बोल रहे क्योंकि उन्हें लगता है कि उनका कोई भरोसा नहीं करेगा !

🚩हालांकि, इस सप्ताह आधा दर्जन सिस्टरों ने चीली में एक धार्मिक सभा के दौरान नेशनल टीवी पर पादरियों और अन्य ननों द्वारा किए गए उत्पीडन पर खुलकर बोला और यह भी बोला कि कैसे उनके सीनियर इस पर कुछ नहीं कर रहे ! स्त्रोत : नवभारत टाईम्स

🚩आपको बता दे कि अभी हाल ही में हजारों बच्चों के साथ यौनशोषण का आरोप साबित होने पर अदालत ने करोड़ों का मुआवजा भरने को कहा तब एक कैथोलिक चर्च के उच्च पदस्थ पादरी कार्डिनल टिमोथी का एक चौंकाने वाला बयान आया था, मिल्वौकी के Archdiocese (आर्चडियोज़) ने दावा किया है कि बाल यौन शोषण (बच्चों का बलात्कार) पादरियों के लिए एक "ईश्वर प्रदत्त (धार्मिक) स्वतंत्रता 'है।

🚩पादरी का बयान कितना शर्मनासक है ईसाई पादरी धर्मगुरु बनकर बैठे हैं और बच्चों के साथ दुष्कर्म करते हैं जब #अदालत उन पर जुर्म लगाती है तब बयान देते हैं कि बच्चों का यौन शोषण करने की धार्मिक स्वतंत्रता है क्या ऐसे ईसाई के धर्मगुरु,लोगों का क्या भला करे पायेंगे?

🚩धार्मिकता के नाम पर छोटे-छोटे बच्चों के साथ बलात्कार करना, दारू पीना, #मांस खाना, धर्म का पैसा शेयर बाजार में लगाना, लोगों का शोषण करना, कानून का पालन नही करना, समाज उत्थान कार्य के नाम पर भोले भाले #हिन्दुओं का #धर्मांतरण करवाना और बोलते हैं कि ईसाई धर्म सबसे बड़ा धर्म है ।

🚩सेक्युलर और मीडिया हिन्दू धर्म के पवित्र मंदिर, आश्रमों व साधु-संतों को बदनाम करते है परंतु ईसाई पादरीयों के कुकर्म पर चुप रहते है क्योंकि उसको #वेटिकन सिटी से फंडिंग होता है ।

🚩आपको बता दें कि अभी हाल ही में #आस्ट्रेलिया की कैथोलिक चर्च ने #सेक्सुअल अब्यूज (पादरियों द्वारा बच्चों का यौन शोषण) के मामले में करीब 21 करोड़ 20 लाख 90 हजार अमेरिकी डॉलर (1426 करोड़ रुपए) का हर्जाना दिया है। 

🚩कन्नूर (कैरल) के कैथोलिक चर्च की एक नन सिस्टर मैरी चांडी ने #पादरियों और #ननों का #चर्च और उनके शिक्षण संस्थानों में व्याप्त व्यभिचार का जिक्र अपनी आत्मकथा ‘ननमा निरंजवले स्वस्ति’ में किया है कि ‘चर्च के भीतर की जिन्दगी आध्यात्मिकता के बजाय #वासना से भरी थी । 

🚩हिंदुस्तानी ऐसे ईसाई पादरियों और उनका बचाव करने वाली मीडिया और सेक्युलर लोगो से सावधान रहें  ।

🚩Official Azaad Bharat Links:👇🏻


🔺Youtube : https://goo.gl/XU8FPk


🔺 Twitter : https://goo.gl/kfprSt

🔺 Instagram : https://goo.gl/JyyHmf

🔺Google+ : https://goo.gl/Nqo5IX

🔺 Word Press : https://goo.gl/ayGpTG

🔺Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ

Sunday, July 29, 2018

गौझरन की महिमा लोग समझने लगे, दूध से भी महंगा बिक रहा गौझरन

29 july 2018 

🚩गाय के गोबर में लक्ष्मी और गौझरन में गंगा का वास होता है । जबकि आयुर्वेद में गौझरन के ढेरों प्रयोग कहे गए हैं। गौझरन का रासायनिक विश्लेषण करने पर वैज्ञानिकों ने पाया कि इसमें 24 ऐसे तत्व हैं जो शरीर के विभिन्न रोगों को ठीक करने की क्षमता रखते हैं। 

🚩आयुर्वेद के अनुसार गौमूत्र का नियमित सेवन करने से कई बीमारियों को खत्म किया जा सकता है। जो लोग नियमित रूप से थोड़े से गौमूत्र का भी सेवन करते हैं उनकी रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है। मौसम परिवर्तन के समय होने वाली कई बीमारियां दूर ही रहती हैं। शरीर स्वस्थ और ऊर्जावान बना रहता है।

🚩गौझरन की उपयोगिता देखकर आज मांग बढ़ गई है जिसके कारण मांग बढ़ने से राजस्थान में दूध से भी ज्यादा गौझरन महंगा होने लगा है ।
Gauzharan's glory started to understand,
more expensive than milk, Gauzharan
🚩आपको बता दे कि सिर्फ दूध ही नहीं बल्कि गोमूत्र भी इन दिनों राजस्थान के किसानों की आमदनी का बड़ा साधन बन गया है। राजस्थान में गोमूत्र की अचानक इतनी डिमांड बढ़ गई है कि किसान हाई ब्रिड गाय जैसे गिर और थरपार्कर का गोमूत्र थोक बाजार में 15 से 30 रुपए प्रति लीटर तक बेच रहे हैं। वहीं गाय का दूध का रेट 22 रुपए से लेकर 25 रुपए प्रति लीटर तक है। आलम यह है कि दूध से महंगा गोमूत्र बिक रहा है। यही वजह है कि राज्य के किसान अचानक मालामाल हो गए हैं। कई इलाकों में किसानों की आय में 30 फीसदी से ज्यादा मुनाफा देखने को मिला है ।

🚩बताया जा  रहा है कि राजस्थान में गाय की गिर और थरपारकर जैसी कुछ प्रजातियों के गोमूत्र की डिमांड काफी है। एक ओर जहां किसानों को गाय के दूध के लिए 22-25 रुपए तक ही मिल पाते हैं वहीं गौमूत्र के लिए प्रति लीटर 15-30 रुपए का दाम आसानी से मिल जाता है।

🚩खाद और दवाओं में होता है इस्तेमाल

🚩टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक, जयपुर के रहने वाले किसान कैलाश गुर्जर बताते हैं कि गौमूत्र का इस्तेमाल जैविक कृषि के लिए होता है। इस क्षेत्र में काम करने वाले तमाम लोग उनसे गौमूत्र खरीदते हैं और इसी कारण उनकी आय में करीब 30 फीसदी का मुनाफा भी हुआ है। कैलाश के मुताबिक गौमूत्र का इस्तेमाल केमिकल युक्त खाद के एक विकल्प के रूप में होता है। इसके अलावा दवा और तमाम धार्मिक कामों में भी इसका इस्तेमाल होता है। 

🚩खुले में 50 रुपए प्रति लीटर बिक रहा गोमूत्र

🚩राजस्थान के दूध विक्रेता ओमप्रकाश मीणा के मुताबिक... उन्होंने जयपुर में गिर गायों की गौशाला से गोमूत्र खरीदना शुरू किया है। मीणा का कहना है कि आम बाजार में जैविक कृषि या अन्य कामों को लिए गौमूत्र को 30 से 50 रुपए प्रति लीटर की कीमत में बेचा जा रहा है और इससे किसानों की आय में अच्छा मुनाफा भी देखने को मिल रहा है। मीणा का कहना है कि गौमूत्र से जैविक कृषि के क्षेत्र में बड़ा बदलाव भी देखने को मिल रहा है। मीणा के मुताबिक... बहुत से लोग गौमूत्र को दवाई और धार्मिक कामों में इस्तेमाल करते हैं। यज्ञ और जनेऊ संस्कार में इसका उपयोग सबसे ज्यादा है।

🚩कृषि विश्वविद्यालय भी करता है गोमूत्र की खरीद... 

🚩राजस्थान सरकार के अधीन आने वाली उदयपुर की महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रद्यौगिकी विश्वविद्यालय भी अपने ऑर्गेनिक फॉर्मिंग प्रोजेक्ट के लिए हर महीने करीब 350 से 500 लीटर गौमूत्र खरीदती है। गोमूत्र की इस खरीद के लिए विश्वविद्यालय ने राज्य की कई गौशालाओं से अनुबंध भी किया है। हर महीने करीब 15000-20000 रुपए का गौमूत्र खरीदा जाता है। विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर उमा शंकर के मुताबिक... गौमूत्र किसानों के लिए अतिरिक्त आय का एक साधन है। स्त्रोत : ज़ी न्यूज़

🚩आपको बता दे कि कुछ समय पहले जूनागढ़ एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों को करीब चार साल की रिसर्च में फूड टेस्टिंग के दौरान करीब 400 गिर गायों के टॉयलेट के रिसर्च पर गायों के यूरिन में गोल्ड मिला है। 

🚩इन सभी गायों के पेशाब में 3 मिलीग्राम से लेकर 10 मिली ग्राम तक सोना पाया गया।

🚩डॉ. गोलकिया ने बताया कि अभी तक गाय के पेशाब में सोना होने की बात हमने सिर्फ प्राचीन शास्त्रों में ही पढ़ी थी। इसका अभी तक कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं था। इस बात को सिद्ध करने के लिए हमने करीब 400 गायों के यूरिन की जांच की। इनके यूरिन में हमें सोने के कण मिले। डॉ. गोलकिया ने बताया कि गाय के टॉयलेट में से इस सोने को कैमिकल प्रकिया के जरिए निकाला जा सकता है। इस सोने को लिक्विड से सॉलिड में भी बदला जा सकता है। 

🚩वैज्ञानिकों ने गिर की गाय के यूरिन में करीब 5100 पदार्थ मिले। इनमें से करीब 388 पदार्थ खासतौर से मेडिसिनल वैल्यू रखते हैं। ये पदार्थ कई तरह की बड़ी बीमारियों के इलाज में काम आ सकते हैं।

🚩गिर की गाय पर हुए इस रिसर्च के बाद अब यही टीम भारत भर की 39 स्वदेशी गायों पर अपनी जांच करेगे। गोलकिया ने बताया कि गौ मूत्र प्राचीन काल से ही अनमोल था। इस रिसर्च के बाद वो और भी खास हो गया है।

🚩भारत देश की विडंबना है कि हमारे शास्त्रों में ऋषि मुनियों द्वारा लिखी गई जब हमारे संत बताते है तब हम नही मानते है पर वही बात आज के वैज्ञानिक बोलते है तो आँख बंद करके मानते है ।

🚩गौझरन की तरह और भी अनेक बाते है जो हमारे संत बताते है पर उनकी और कोई ध्यान नही देता है । आज भी हमारे शास्त्रों में अनमोल कुंजियां है पर हमारा दुर्भाग्य है कि टीवी, अखबार देखकर आज के चकाचौंध के युग में हम उसका लाभ नही उठा रहे है और पाश्चात संस्कृति के पीछे भाग रहे है । 

🚩वर्तमान में हिन्दुस्तानियो को अपनी दिव्य संस्कृति को अपनाना चाहिए और पाश्चात संस्कृति को अलविदा कर देना चाहिए जिसके कारण हमारा जीवन स्वस्थ्य, सुखी और सम्मानित जीवन जी सके ।

🚩Official Azaad Bharat Links:👇🏻


🔺Youtube : https://goo.gl/XU8FPk


🔺 Twitter : https://goo.gl/kfprSt

🔺 Instagram : https://goo.gl/JyyHmf

🔺Google+ : https://goo.gl/Nqo5IX

🔺 Word Press : https://goo.gl/ayGpTG

🔺Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ