29 June 2018
निर्दोष पुरुषों को फँसाने के लिए बलात्कार के नये कानूनों का व्यापक स्तर पर हो रहा इस्तेमाल आज समाज के लिए एक चिंतनीय विषय बन गया है ।
दहेज कानून की ही तरह रेप-रोधी कानूनों का भी बडी मात्रा में निर्दोष पुरुषों को फँसाने के लिए इस्तेमाल हो रहा है । दुर्भाग्यवश इन कानूनों का गलत इस्तेमाल आज आम जनता के बाद प्रतिष्ठित व्यक्तियों के खिलाफ अधिक हो रहा है । 2013 में बलात्कार के मामलों में जेलों में डाले गये 75% लोग निर्दोष साबित हुए ।
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आपको बता दे कि अक्टूबर 2015 में एक नाबालिग ने अपने नाना पर रेप का आरोप लगाया था। अब करीब ढाई साल चले कोर्ट केस के बाद दिल्ली की अदालत ने 65 वर्षीय बुजुर्ग को बरी कर दिया है। यह फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने यह भी कहा कि देश में महिलाओं और बच्चों के झूठे मुकदमों से पुरुषों को बचाने के लिए कोई कानून नहीं है।
विशेष पोक्सो कोर्ट की अतिरिक्त सत्र जज निवेंदिता अनिल शर्मा ने अपने फैसले में कहा कि लड़की ने अपने बयान बार-बार बदले हैं। वहीं उसकी मां के बयान भी बुजुर्ग पर आरोप साबित नहीं कर सके।
जज ने यह भी कहा कि भले ही आरोपी बरी हो गया हो लेकिन हो सकता है कि समाज में कोई उसे निर्दोष न माने और इस तरह वह जिंदगीभर ग्लानी में रहेगा। साथ ही इतनी उम्र में उन्हें निर्दोष होने के बाद भी लंबा समय जेल में गुजारना पड़ा है।
9 साल की नातिन ने बुजुर्ग पर डिजिटल रेप का आरोप लगाया था। जांच के बाद पुलिस ने केस दर्ज किया था और चार्जशीट दाखिल की थी लेकिन आरोप गलत साबित हुए। सुनवाई के दौरान बुजुर्ग ने कहा कि उनकी बेटी ने ये झूठे आरोप लगवाए हैं क्योंकि वह उनकी प्रॉपर्टी पर कब्जा करना चाहती है। बुजुर्ग के अनुसार उन्होंने पिता का धर्म निभाते हुए बेटी को अपने ही घर में रहने की अनुमति दी थी लेकिन प्रॉपर्टी के लालच में आकर बेटी ने ही ऐसी साजिश रच दी।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पाया कि नाबालिग अपने नाना पर लगाए आरोप साबित नहीं कर सकी। उसने जज के सामने कुछ ऐसी बातें कहीं जो पुलिस रिपोर्ट में नहीं थीं। उसके साथ कब-कब किस तरह हरकतें हुई यह भी साबित नहीं हो पाया। इस तरह कोर्ट को कोई ऐसा कारण नहीं मिली कि बुजुर्ग को दोषी माना जाए। फैसले के आखिरी में जज ने कहा, हर कोई महिलाओं और बच्चों के राइट्स कि बात कर रहा है, उसके लिए लड़ रहा है, लेकिन किसी को भी पुरुषों के सम्मान कि परवाह नहीं है।
आम जनता के अलावा राष्ट्रहित में क्रांतिकारी पहल करनेवाली सुप्रतिष्ठित हस्तियों, संतों-महापुरुषों एवं समाज के आगेवानों के खिलाफ बलात्कार कानूनों का राष्ट्र एवं संस्कृति विरोधी ताकतों द्वारा कूटनीतिपूर्वक अंधाधुंध इस्तेमाल हो रहा है ।
दहेज-उत्पीड़न कानून की ही तरह इसमें भी सुधार की आवश्यकता है । रेप के संशोधित कानूनों के लिए तो कई वरिष्ठ वकीलों का भी कहना है कि ये कानून अस्पष्ट हैं ।
निर्दोष पुरुषों को फंसाने के लिए बलात्कार कानून का भयंकर दुरुपयोग हो रहा है इसमे सुधार करना होगा नही तो एक के बाद एक निर्दोष पुरूष फंसते जायेंगे।
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